
छत्तीसगढ़ में कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा को लेकर सख्त निर्देश, हर संस्था में बनेगी आंतरिक शिकायत समिति
छत्तीसगढ़ शासन ने महिला सुरक्षा के लिए सभी सरकारी और निजी संस्थानों में आंतरिक शिकायत समिति बनाना अनिवार्य किया है। समिति न बनाने पर ₹50,000 तक जुर्माना लगेगा।
कार्यस्थलों पर महिला सुरक्षा को लेकर शासन ने जारी किया निर्देश
लैंगिक उत्पीड़न रोकथाम को लेकर आंतरिक शिकायत समिति का होगा गठन
📍 अम्बिकापुर, 02 मई 2025 — छत्तीसगढ़ शासन के महिला एवं बाल विकास विभाग ने राज्य में कार्यरत महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने हेतु सभी शासकीय, अर्द्धशासकीय, सार्वजनिक एवं निजी उपक्रमों को सख्त निर्देश जारी किए हैं। विभाग ने “महिलाओं का कार्यस्थल पर लैंगिक उत्पीड़न (निवारण, प्रतिषेध और प्रतितोष) अधिनियम 2013” की धारा 4(1) के तहत आंतरिक शिकायत समिति (Internal Complaints Committee) का गठन अनिवार्य किया है।
विभाग के अनुसार, जिन संस्थानों में 10 या अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं, वहां यह समिति अनिवार्य रूप से गठित की जानी चाहिए। समिति में महिला पीठासीन अधिकारी, दो अनुभवी सदस्य (समाज सुधार या विधिक ज्ञान में), और एक सदस्य किसी गैर-सरकारी संगठन से लिया जाएगा, जो महिलाओं के अधिकारों के लिए कार्यरत हो। कुल सदस्यों में कम से कम 50% महिलाएं होनी चाहिए।
इस समिति का कार्यकाल नामांकन की तारीख से तीन वर्षों तक होगा। इसके गठन की सूचना को कार्यालय के सूचना पटल, वेबसाइट और सभी महिला कर्मचारियों को अवश्य साझा किया जाना चाहिए। यदि किसी संस्था में समिति नहीं पाई जाती है, तो ₹50,000 तक का जुर्माना अधिनियम के तहत लगाया जा सकता है।
📌 सरगुजा जिला महिला एवं बाल विकास विभाग ने सभी कार्यालय प्रमुखों से आग्रह किया है कि वे अपने अधीनस्थ कार्यालयों में जल्द से जल्द समिति का गठन कर उसकी जानकारी जिला कार्यालय को दें।
👉 शासन की यह पहल राज्य में महिलाओं को एक सुरक्षित, सम्मानजनक एवं भयमुक्त कार्य वातावरण उपलब्ध कराने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।