सरगुजा

प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ लेकर शुरू किया मत्स्य पालन

सफलता की कहानी

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फिशरी साइंस के छात्र रहे गंगाधर मछली पालन से बने लखपति, प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ लेकर शुरू किया मत्स्य पालन, अब हो रही लाखों में कमाई

मछली पालन का काम है फायदे का सौदा, पहले काम की बारीकियां सीखी फिर काम शुरू किया, खुशी है कि कभी खुद अभावों में जिए, अब दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम हूं – गंगाधर

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अम्बिकापुर / सरगुजा जिले के विकासखण्ड मैनपाट के ग्राम काराबेल निवासी मत्स्य पालक गंगाधर पैंकरा बताते हैं कि मछली पालन का काम काफी फायदे का सौदा है। पहले इस काम की बारीकियां सीखी फिर काम शुरू किया, खुशी है कि कभी खुद अभावों में जिए, अब दूसरों को भी रोजगार देने में सक्षम हूं। सिर्फ नौ महीने में ही लगभग 10 लाख का मुनाफा कमाने वाले काराबेल के गंगाधर ने और लोगों को भी रोजगार दिया है। लखनपुर विकासखण्ड के ग्राम कुंवरपुर जलाशय में गंगाधर 18 नग केज स्थापना कर आसपास के ग्रामीणों के साथ मछली पालन का काम कर रहे हैं।
गंगाधर कवर्धा के मात्स्यिकीय महाविद्यालय से बैचलर्स ऑफ फिशरी साइंस के छात्र रह चुके हैं। वे बताते हैं कि मुझे मत्स्य पालन विषय में स्नातकोत्तर की भी इच्छा थी, परन्तु परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी कि आगे की पढ़ाई कर पाता। वर्ष 2018 में पढ़ाई पूरी करके इसी क्षेत्र में करियर बनाने का सोचा। पर इससे पहले जरूरी था कि फील्ड में भी इसकी बारीकियों को समझा जाए। मैंने तब कुछ मत्स्य फर्मों में काम करना शुरू किया। मत्स्य फर्मों में काम को अनुभव तो मिला पर पैसे कम थे। हम 4 भाई हैं, पिताजी ने किसी तरह खेती-बाड़ी कर शिक्षा को प्राथमिकता देकर सभी को शिक्षित किया। एक सामान्य कृषक परिवार में पैसों की जरूरूत तो हमेशा बनी ही रहती है।
वर्ष 2023 में गंगाधर ने अपना काम शुरू करने के फैसला लिया और मछली पालन विभाग में सम्पर्क किया। उन्होंने लखनपुर के कुंवरपुर जलाशय में 18 नग केज स्थापना कर मत्स्य पालन के लिए आवेदन किया, जहां विभाग से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजनान्तर्गत 60 प्रतिशत यानि लगभग 32 लाख अनुदान राशि की स्वीकृति मिली और हितग्राही अंशदान व्यय कर केज की स्थापना की और मत्स्य बीज 2200 नग प्रति केज के मान से लगभग 40000 मत्स्य बीज का संचय किया। वे बताते हैं कि अब तक 33.44 लाख रुपए की कीमत के लगभग 35 टन मत्स्य विक्रय किया गया है, मछली के उत्पादन के बाद इसे थोक मार्केट में रेनुकूट (उत्तर प्रदेश), बनारस (उत्तर प्रदेश), अम्बिकापुर, और बिलासपुर आदि शहरों में बेचा गया। जिससे उन्हें लगभग 9 महीनों में ही लगभग 10 लाख रुपए तक का मुनाफा हुआ। वे बताते हैं कि अपनी ओर से जो लागत लगी थी, वो भी वसूल हो गई और साथ ही बड़ा मुनाफा भी हुआ। मछली उत्पादन और विक्रय के व्यवसाय से उनके जीवन स्तर में बड़ा बदलाव आया है और आज वे अपने साथ-साथ केज में अन्य 8-10 लोगों को रोजगार देने में सक्षम हुए हैं। शासन कि किसान हितैषी योजनाओं ने आज पढ़े-लिखे युवाओं का ध्यान कृषि एवं अन्य कृषि सम्बन्धी गतिविधियों की ओर खींचा है। कृषि, उद्यानिकी, पशुपालन,मछलीपालन जैसे कार्य से युवा समृद्धि की ओर अग्रसर हो रहे हैं और खूब मुनाफा कमा रहे हैं।

Ashish Sinha

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