केरल में भाजपा की जीत का सच: फर्जी वोटिंग और चुनावी धांधली का पर्दाफाश
केरल के त्रिशूर लोकसभा सीट पर भाजपा प्रत्याशी सुरेश गोपी की जीत कैसे फर्जी वोटिंग और चुनाव आयोग की कार्रवाई का नतीजा रही, पढ़िए संजय पराते की राजनीतिक टिप्पणी।
केरल में भाजपा का खाता खोलने का सच
केरल का राजनीतिक इतिहास कांग्रेस-यूडीएफ़ और माकपा-एलडीएफ़ के बीच सत्ता बदलने का रहा है। भाजपा की यहाँ उपस्थिति नगण्य रही है। लेकिन 2024 लोकसभा चुनाव में त्रिशूर सीट से भाजपा प्रत्याशी सुरेश गोपी की जीत ने सबको चौंका दिया।
मीडिया ने इसे “माकपा के गढ़ में सेंध” बताया। परंतु असलियत कुछ और सामने आई—
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चुनाव आयोग ने माकपा की त्रिशूर जिला समिति का बैंक खाता चुनाव के दौरान ब्लॉक किया।
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पाँच साल में 1.46 लाख मतदाता जोड़े गए, जिनमें से 99% अब त्रिशूर में मौजूद नहीं हैं।
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भाजपा नेताओं और उनके रिश्तेदारों के पते पर फर्जी वोटर कार्ड बनाए गए।
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सुरेश गोपी के ड्राइवर के पते पर ही दर्जनों वोट पड़े।
‘द न्यूज़ मिनट’ और राहुल गांधी के आरोप इस पैटर्न की पुष्टि करते हैं कि वोट चोरी पूरे देश में भाजपा की रणनीति रही।
आज सुरेश गोपी को मंत्री बनाकर इस “विजय” को चिन्हित किया गया है। परंतु यह साफ है कि केरल में भाजपा का खाता असल जनादेश से नहीं, बल्कि फर्जीवाड़े से खुला है। विपक्ष का नारा “वोट चोर, गद्दी छोड़” अब और अधिक मजबूत हो गया है।
✍️ (लेखक संजय पराते, उपाध्यक्ष – छत्तीसगढ़ किसान सभा, अखिल भारतीय किसान सभा से संबद्ध)