
छत्तीसगढ़ में अब तक 1097.1 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज
छत्तीसगढ़ में अब तक 1097.1 मि.मी. औसत वर्षा दर्ज
रायपुर//राज्य शासन के राजस्व एवं आपदा प्रबंधन विभाग द्वारा बनाए गए राज्य स्तरीय नियंत्रण कक्ष द्वारा संकलित जानकारी के मुताबिक एक जून 2024 से अब तक राज्य में 1097.1 मिमी औसत वर्षा दर्ज की जा चुकी है। राज्य के विभिन्न जिलों में 01 जून 2024 से आज 21 सितम्बर सवेरे तक रिकार्ड की गई वर्षा के अनुसार बीजापुर जिले में सर्वाधिक 2303.2 मिमी और बेमेतरा जिले में सबसे कम 570.3 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी है।
राज्य स्तरीय बाढ़ नियंत्रण कक्ष से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक जून से अब तक सरगुजा जिले में 589.3 मिमी, सूरजपुर में 1082.9 मिमी, बलरामपुर में 1627.8 मिमी, जशपुर में 938.6 मिमी, कोरिया में 1065.8 मिमी, मनेन्द्रगढ़-चिरमिरी-भरतपुर में 1054.4 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी।
इसी प्रकार, रायपुर जिले में 912.5 मिमी, बलौदाबाजार में 1133.2 मिमी, गरियाबंद में 1024.2 मिमी, महासमुंद में 864.2 मिमी, धमतरी में 979.9 मिमी, बिलासपुर में 945.0 मिमी, मुंगेली में 1050.3 मिमी, रायगढ़ में 990.6 मिमी, सारंगढ़-बिलाईगढ़ में 630.4 मिमी, जांजगीर-चांपा में 1145.7 मिमी, सक्ती 968.0 मिमी, कोरबा में 1332.4 मिमी, गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही में 1134.9 मिमी, दुर्ग में 629.2 मिमी औसत वर्षा दर्ज की गयी। कबीरधाम जिले में 853.7 मिमी, राजनांदगांव में 1077.7 मिमी, मोहला-मानपुर-अंबागढ़ चौकी में 1196.9 मिमी, खैरागढ़-छुईखदान-गंडई में 816.8 मिमी, बालोद में 1132.0 मिमी, बस्तर में 1225.7 मिमी, कोण्डागांव में 1116.5 मिमी, कांकेर में 1363.1 मिमी, नारायणपुर में 1340.5 मिमी, दंतेवाड़ा में 1476.3 मिमी और सुकमा जिले में 1631.9 मिमी औसत वर्षा एक जून से अब तक रिकार्ड की गई।
छत्तीसगढ़ में अब तक 1097.1 मिमी की औसत वर्षा दर्ज की गई है और यह एक उत्कृष्ट खेती और वन्यजीवन सुरक्षा क्षेत्र है।
इस लेख में, हम पांच कार्रवाई योग्य सुझाव प्रस्तुत करेंगे जिन्हें छत्तीसगढ़ में औसत वर्षा दर पर जमीन सुरक्षित करने के लिए अपनाया जा सकता है। हम हर सुझाव की विस्तृत व्याख्या करेंगे, जिसमें वास्तविक उदाहरण और अनुभवों को शामिल किया गया है ताकि पाठक इसे अमल कर सकें।
1. जल संवर्धनशील खेती प्रणाली अपनाएं
जल संवर्धनशील खेती प्रणाली का अपनाना एक बेहतर किसान बनने का मार्ग है। इसके लिए, खेती में पानी का सही उपयोग करना और बारिश के पानी को संचित करने की कला को सीखना होगा। यहां एक उदाहरण है: खेती के खेतों में सुचारू जल सींचाई पद्धति का अनुसरण करके पानी की बचत कर सकते हैं।
2. आर्केटेक्चरल डिजाइन का उपयोग करें
आर्केटेक्चरल डिजाइन को खेतों में पानी को बेहतर तरीके से संचित करने और भूमि की सूखापन से बचाव करने के लिए उपयोग किया जा सकता है। इसके लिए, खेतों में नालों और कुवां पर्यावरण को सुरक्षित करने के लिए उपयोग किया जा सकता है।
3. सही खेती तकनीकों का चयन करें
गौण की जमीन में पर्यावरण के अनुसार खेती तकनीकों का चयन करना महत्वपूर्ण है। उचित बीज, जल सींचाई की व्यावसायिक तकनीकें और सही खाद का उपयोग करना सुनिश्चित करेगा कि वर्षा के समय में भी उत्पादकता बनी रहे।
4. पानी का पुनः उपयोग करें
पानी का सही संरचना और पुनः उपयोग करके, खेतों में जल संचयन को बढ़ावा दिया जा सकता है। इसके लिए, वाणिज्यिक पानी की संरचना का उपयोग करके, बारिश का पानी सहेजा और खेतों को सिंचाई के लिए पुनः इस्तेमाल किया जा सकता है।
5. बारिश के समय में सहायक साधनों का उपयोग करें
बारिश के समय में सहायक साधनों का उपयोग करके हार्वेस्ट करने के प्रक्रिया को आसान बनाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, बारिशी अनुमान करने के लिए मॉबाइल ऐप्स और सिंचाई सुविधाएं का उपयोग किया जा सकता है।
इन पाँच कार्रवाईयों को अपनाकर, छत्तीसगढ़ में औसत वर्षा दर की स्थिति सुरक्षित की जा सकती है और विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया जा सकता है। इन सुझावों का पालन करने से किसानों को सही दिशा में बढ़ने में मदद मिल सकती है और साथ ही पर्यावरण की भी सुरक्षा हो सकती है।
इन अमलीय सुझावों के साथ, खेती क्षेत्र में प्रगति करने का एक कदम और आगे बढ़ाने में मदद मिल सकती है। इसे सही तरीके से अपनाने से किसान अपनी कमाई बढ़ा सकते हैं और साथ ही प्रदेश के विकास में भी योगदान दे सकते हैं।