छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंब्रेकिंग न्यूज़महासमुंदराजनीतिराज्य

सफलता की कहानी : बुधराम की दिव्यांगता से नहीं, आत्मनिर्भरता से बनी पहचान

सफलता की कहानी : बुधराम की दिव्यांगता से नहीं, आत्मनिर्भरता से बनी पहचान

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)

बत्तख और मुर्गियों का पालन कर आमदनी कर रहें

महासमुंद// महासमुंद ज़िले के लखनपुर, झलप निवासी बुधराम साहू, जो 70 प्रतिशत अस्थि बाधित हैं। उन्होंने अपनी दिव्यांगता को कभी अपने सपनों की राह में रोड़ा नहीं बनने दिया। उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण से न केवल अपने परिवार का भरण-पोषण किया बल्कि एक सफल व्यवसायी के रूप में भी अपनी पहचान बनाई।
साहू की प्रेरणादायक यात्रा तब शुरू हुई जब समाज कल्याण विभाग ने उन्हें मोटराइज्ड ट्राइसाइकिल प्रदान की। इस ट्राइसाइकिल ने उनके जीवन में नया मोड़ लाया, जिससे उन्हें आस-पास के गांवों में साग-सब्जी, मशरूम, इमली चॉकलेट जैसी चीजें बेचकर अपनी आजीविका शुरू करने का अवसर मिला। यह ट्राइसाइकिल उनकी स्वतंत्रता का प्रतीक बन गई और उनके जीवन को गतिशील एवं आर्थिक रूप से सुदृढ़ बनाया।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)

वर्तमान में, साहू 40 बत्तख और 80 देशी मुर्गियों का पालन कर रहे हैं। उनकी मुर्गियाँ प्रतिदिन अंडे देते हैं, चूजों में परिवर्तित उन्हें अतिरिक्त आमदनी प्राप्त होती है। श्री बुधराम साहू ने यह साबित कर दिया है कि दिव्यांगता कभी भी सफलता की राह में बाधा नहीं बन सकती।

बुधराम ने बताया कि समाज कल्याण विभाग द्वारा, उन्हें मुर्गी पालन व्यवसाय के लिए 95 हजार रुपए का ऋण प्रदान किया गया। उन्होंने इस अवसर का भरपूर लाभ उठाया और धीरे-धीरे अपने मुर्गी पालन व्यवसाय को सफलतापूर्वक विकसित किया। उनकी कड़ी मेहनत का परिणाम यह रहा कि वे हर महीने लगभग 15 हजार रुपए की आमदनी करने लगे। उन्होंने अपने ऋण की पूरी राशि समय से पहले ब्याज सहित चुका दी, जिसके फलस्वरूप सरकार ने ब्याज की राशि उन्हें सब्सिडी के रूप में वापस कर दी।

Ashish Sinha

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!