छत्तीसगढ़ब्रेकिंग न्यूज़राज्यरायपुर

छत्तीसगढ़ के किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह

राज्य के कृषि एवं मौसम विज्ञान विभाग और इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने छत्तीसगढ़ में मानसून आगमन को ध्यान में रखते हुए किसानों को मौसम आधारित कृषि सलाह दी है। उन्होंने खरीफ फसलों और फल-सब्जियों की बुवाई के साथ ही पशुपालन के संबंध में और आवश्यक वैज्ञानिक सलाह दी है।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से इस समय करना चाहिए। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर ले। धान की जैविक खेती के लिए हरी खाद फसल जैसे ढेंचा/सनई की बुवाई शीघ्र करें। खरीफ फसल लगाने के लिए बीज एवं उर्वरक का अग्रिम व्यवस्था कर लें। धान का थरहा डालने या बोवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में प्रदाय किए गए फफूंद नाशक से अवश्य उपचारित कर लें। धान की नर्सरी के लिए गोबर खाद की व्यवस्था कर लें। सुनिश्चित सिंचाई के साधन उपलब्ध होने की स्थिति में धान का थरहा तैयार करने के लिए धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्र के लगभग 1/10 भाग में नर्सरी तैयार करें इसके लिए मोटा धान वाली किस्मों की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या पतला धान की किस्मों की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालें। सोयाबीन, मक्का, मूंगफली आदि फसलों की बुवाई के लिए खेतों को गहरी जुताई कर तैयार करें जिससे बहुवर्षीय घास नष्ट हो जाएं। गन्ने की नई फसल में आवश्यकतानुसार निंदाई-गुडाई एवं सिंचाई करें।
कृषि वैज्ञानिकों ने कहा है कि जो किसान भाई फलदार पौधे लगाना चाहते हैं वे वर्तमान में खेतों की तैयारी करें तथा साथ ही साथ खेतों में वर्षा ऋतु में पौधे लगाने के लिए गड्डे खोदने का कार्य प्रारंभ करें। गड्डों में मिट्टी के साथ सड़ी हुई गोबर खाद, दीमक मारने की दवा एवं अनुशंसित उर्वरक की मात्रा मिलाकर पुनः जमीन से 10 सेंटीमीटर ऊंचा भर दें। सीधे बुवाई वाली सब्जियों के उन्नत किस्मों के बीजों की व्यवस्वथा रखें एवं योजना अनुसार खेत की तैयारी करें। खरीफ की लतावली सब्जी जैसे लौकी, कुम्हड़ा को बैग में पौध तैयार करें व करेला, बरबट्टी लगाने हेतु अच्छी किस्म का चयन कर मेड नाली पद्धति से फसल लगाना सुनिश्चिित करें, कुंदरू व परवल लगाने हेतु खेत तैयार करें। अदरक एवं हल्दी की रोपित फसल में पलवार (मल्चिंग) करें और जल निकास को वर्षा पूर्व ठीक कर लें।
कृषि वैज्ञानिकों ने मुर्गियों को रानीखेत बीमारी से बचाने के लिए पहला टीका एफ-1 सात दिनों के अंदर एवं दूसरा टीका आर-2बी आठ सप्ताह की उम्र में लगवाएं। गर्मी के मौसम में मुर्गियों के लिए पीने के पानी की मात्रा 3-4 गुना बढ़ा दें। पशुओं को 50 से 60 ग्राम नमक पानी में मिलाकर अवश्य खिलाएं तथा दुधारू पशुओं के आहार में दाना मिश्रण की मात्रा बढ़ा दें। गलघोटू एवं लंगड़ी रोग से बचाव के लिए मवेशियों का टीकाकरण करवाएं।

WhatsApp Image 2025-09-25 at 3.01.05 AM
Ashish Sinha

e6e82d19-dc48-4c76-bed1-b869be56b2ea (2)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!