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सूरजपुर जिले 12 गौठानों को माॅडल के रूप में विकसित किया जाएगा।

सूरजपुर जिले 12 गौठानों को माॅडल के रूप में विकसित किया जाएगा

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गौठान में मल्टीयूटिलिटी एक्टीविटी संचालित होंगे – कलेक्टर डाॅ. गौरव कुमार सिंह

गोपाल सिंह विद्रोही प्रदेश खबर प्रमुख छत्तीसगढ़ -सूरजपुर/आज4 जुलाई 2021 को कलेक्टर डाॅ. गौरव कुमार सिंह के कुशल निर्देशन एवं जिला पंचाययत सीईओ के मार्गदर्शन में राज्य शासन की महत्वकांक्षी गोधन न्याय योजना के तहत जिले में कुल 105 गौठान में वर्मी कम्पोस्ट का उत्पदान किया जा रहा है। गौठानों में कार्यरत स्व सहायता समूहों के द्वारा खरीदी किये गए गोबर से वर्मी खाद निर्माण किया जा जाकर इसकी बिक्री सहकारी समितियों के माध्यम से की जा रही है और लाभांश की राशि गौठान तथा स्व सहायता समूहों को दी जाती है। इस तरह ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सुधारने और महिलाओं की आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण योजना साबित हो रही है। कलेक्टर ने जिले के गौठानों के माध्यम से अधिक से अधिक रोजगार में निरंतरता बनी रहे इसके लिए उन्होंने 12 गौठान को माॅडल गौठान के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया है। जिसे मल्टीयूटिलिटी के रूप में विकास किया जाएगा। जहां सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी।

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सूरजपुर जिले में 12 गौठान को मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है जिसमें भैयाथान ब्लॉक से सुंदरपुर एवं खोपा, ओड़गी ब्लॉक से खोड़ एवं खर्रा, प्रतापपुर ब्लॉक से सतीपारा एवं खड़गवाकला, प्रेमनगर ब्लॉक से कोतल एवं तारा, रामानुजनगर ब्लाॅक से कृष्णपुर एवं बद्रिकाआश्रम तथा सूरजपुर ब्लॉक से कमलपुर एवं केशवनगर का चयन किया गया है, जिसमें सभी मॉडल गौठान मे मल्टी एक्टिविटी सेंटर के रूप में महिला स्वयं सहायता समूह प्रोसेसिंग यूनिट, बकरी शेड, मुर्गी, बटेर शेड, मशरूम शेड, गाय शेड, मिनी राइस मिल, मछली पालन हेतु छोटा तालाब का निर्माण किया जाना है। जिसमें महिला स्व सहायता समूह द्वारा बकरी पालन, मुर्गी पालन, बटेर पालन, मशरूम उत्पादन, गाय पालन, मछली पालन, गोबर से दिया एवं मूर्ति निर्माण, मधुमक्खी पालन, चुनरी एवं सीमेंट गमला निर्माण तथा अगरबत्ती, निरमा, नील, फिनायल, मिनी राइस मिल, चप्पल, दोना-पत्तल इत्यादि गतिविधियां की जानी है तथा गौठान में चारागाह एवं बाड़ी विकास का कार्य किया जाना है जिसमें फूलों की खेती, नर्सरी, सब्जी उत्पादन, मिश्रित फलोद्यान (मुनगा, पपीता, आम, ड्रैगन फ्रूट) का खेती किया जाना है तथा सेरीकल्चर द्वारा टसर पौधरोपण किया जाना है।

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Ashish Sinha

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