
संभल में जुमे की नमाज के दौरान दिए गए भाषणों के कारण माहौल खराब हुआ: विधानसभा में सीएम आदित्यनाथ
लखनऊ, संभल की शाही जामा मस्जिद में सर्वेक्षण का बचाव करते हुए उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सोमवार को विधानसभा में कहा कि जुमे की नमाज के दौरान दिए गए भाषणों की प्रकृति के कारण अदालत के आदेश के बाद दो दिनों तक चली इस कवायद के बाद माहौल खराब हो गया।
उन्होंने कहा कि मुगल साम्राज्य के संस्थापक बाबर के संस्मरण बाबरनामा में भी उल्लेख है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर यह ढांचा बनाया गया था।
पिछले महीने संभल में मस्जिद के सर्वेक्षण के विरोध में भड़की हिंसा में चार लोगों की मौत हो गई थी। मस्जिद का सर्वेक्षण अदालत ने तब कराया था, जब एक याचिका में दावा किया गया था कि यह हरिहर मंदिर का स्थल है और वहां पूजा करने की अनुमति मांगी गई थी।
संभल और बहराइच में हाल ही में हुई हिंसा और इसी तरह की घटनाओं पर चर्चा के लिए विपक्ष के नेता माता प्रसाद पांडेय और अन्य सपा सदस्यों की मांग पर जवाब देते हुए आदित्यनाथ ने कहा, “वे (विपक्ष) सच्चाई को छिपाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई भी सूरज, चांद और सच्चाई को ज्यादा दिनों तक नहीं छिपा सकता। सच्चाई जल्द ही सामने आ जाएगी।” आदित्यनाथ ने इस बात को खारिज कर दिया कि जय श्री राम के नारे और मुस्लिम बहुल इलाकों से गुजरने वाले हिंदू धार्मिक जुलूसों ने सांप्रदायिक तनाव को भड़काया। मुख्यमंत्री ने पूछा कि संविधान में कहां लिखा है कि मुस्लिम बहुल इलाके में हिंदू जुलूस नहीं निकाला जा सकता। जब आप इसे रोकते हैं, तो हिंदू पक्ष की ओर से भी प्रतिक्रिया आती है कि हम भी इसे नहीं जाने देंगे। मुझे इन बातों पर आश्चर्य होता है कि मस्जिद के सामने जुलूस नहीं निकलने दिया जाएगा। यह सड़क किसी की है क्या? यह एक सार्वजनिक सड़क है, आप किसी को कैसे रोक सकते हैं? बहराइच में भी एक पारंपरिक जुलूस निकला था और उस पारंपरिक जुलूस को आगे बढ़ाने के लिए सभी व्यवस्थाएं पूरी कर ली गई थीं। लेकिन यह कहना कि भड़काऊ नारे लगाए जा रहे थे। जय श्री राम का नारा भड़काऊ नहीं है, यह हमारी भक्ति का नारा है, हमारी आस्था का प्रतीक है।
कल अगर मैं आपसे कहूं कि हमें अल्लाहु अकबर का नारा पसंद नहीं है, तो क्या आपको यह पसंद आएगा? उन्होंने कहा, “हमारी विरासत इतनी विशाल और प्राचीन है… मैं अपना पूरा जीवन जय श्री राम, हर हर महादेव और राधे राधे के अभिवादन के साथ बिता सकता हूं। हमें किसी और अभिवादन की जरूरत नहीं है।”
इससे पहले सदन में संभल से सपा विधायक इकबाल महमूद ने कहा कि संभल में शाही जामा मस्जिद के सर्वेक्षण के लिए एक अदालत में प्रार्थना पत्र दिया गया था और उसी दिन दो घंटे के भीतर सर्वेक्षण का आदेश भेज दिया गया था।
सपा सदस्य ने कहा, “जामा मस्जिद प्रबंधन ने सर्वेक्षण में पूरा सहयोग किया। लेकिन, उन लोगों ने जाते ही जय श्री राम के नारे लगाने शुरू कर दिए, जिससे सपा ही नहीं बल्कि पूरा संभल आक्रोशित हो गया। 23 नवंबर की रात को अधिकारियों ने कहा कि 24 तारीख को फिर से सर्वे होगा। विधायक ने दावा किया, “इसके बाद लोगों ने कहा कि दोबारा सर्वे की क्या जरूरत है, लेकिन उन्होंने एक नहीं सुनी और लखनऊ से आदेश दिया गया कि 24 तारीख को ही सर्वे कर लेना है।” इकबाल महमूद ने यह भी दावा किया कि दूसरे सर्वे का आदेश इसलिए दिया गया, क्योंकि कुंदरकी विधानसभा उपचुनाव का परिणाम 23 नवंबर को आया था। सपा सदस्य ने यह भी कहा कि लोगों ने फिर जय श्री राम के नारे लगाए और जब भीड़ जुटी तो फायरिंग शुरू हो गई और पांच लोगों की मौत हो गई, जिसमें एक व्यक्ति का पोस्टमार्टम नहीं किया गया और उसे जबरन दफना दिया गया। कांग्रेस विधानमंडल दल की नेता आराधना मिश्रा ‘मोना’ ने कहा कि यह सिर्फ राजनीतिक मुद्दा नहीं है, बल्कि यूपी की 25 करोड़ जनता की सुरक्षा का मामला है। कोई भी सरकार नहीं चाहती कि सांप्रदायिक दंगे हों और प्रदेश जले, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि इन दो घटनाओं के कारण आज प्रदेश का माहौल ठीक नहीं है। सदस्यों को जवाब देते हुए आदित्यनाथ ने कहा कि कोर्ट के निर्देश पर डीएम और एसपी ने मनमाने तरीके से सर्वे कराया। उन्होंने कहा कि बाबरनामा में कहा गया है कि हरिहर मंदिर को तोड़कर ढांचा बनाया गया था। मुख्यमंत्री ने कहा कि पुराण में भी कहा गया है कि श्री हरि विष्णु का दसवां अवतार सम्भल में होगा। उन्होंने कहा कि बहराइच और सम्भल की घटनाओं में प्रशासन न्यायोचित तरीके से काम कर रहा है। आदित्यनाथ ने कहा कि सम्भल की घटना में न्यायिक आयोग का गठन किया गया है। इसके सदस्य नियमित रूप से दौरा कर रहे हैं। वे लोगों से बयान लेंगे, सबकी बात सुनेंगे और सच्चाई सामने लाएंगे, लेकिन अनावश्यक पथराव और अवैध हथियारों से फायरिंग से वहां शांति बहाल नहीं होगी। एनसीआरबी के आंकड़ों का हवाला देते हुए मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने कहा कि 2017 में जब उनकी सरकार बनी थी, तब से राज्य में सांप्रदायिक दंगों में 97 से 99 प्रतिशत की कमी आई है।
उन्होंने कहा कि 2017 के बाद से यूपी में कोई दंगा नहीं हुआ है, जबकि 2012 से 2017 (सपा कार्यकाल) तक राज्य में 815 सांप्रदायिक दंगे हुए और 192 लोगों की मौत हुई। 2007 से 2011 के बीच 616 सांप्रदायिक घटनाएं हुईं, जिनमें 121 लोगों की मौत हुई। आदित्यनाथ ने कहा, “तथ्यों को छिपाकर आप कब तक जनता को गुमराह करेंगे? माननीय न्यायालय के आदेश पर संभल में एक सर्वेक्षण किया जा रहा था। जय श्री राम का नारा लगाना कोई सांप्रदायिक कृत्य नहीं है। हम जो कुछ भी करते हैं, उसमें राम मौजूद हैं। अगर ‘जय श्री राम’ का नारा लगाने से किसी को ठेस पहुंचती है, तो उनकी मंशा पर सवाल उठाया जाना चाहिए।” बहराइच में अक्टूबर में दुर्गा प्रतिमा विसर्जन जुलूस के दौरान सांप्रदायिक हिंसा में 22 वर्षीय एक व्यक्ति की मौत हो गई थी।