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यूपी राजकीय निर्माण निगम में 130 करोड़ का घोटाला: पांच पूर्व अधिकारियों पर FIR, जानिए पूरा मामला

यूपी राजकीय निर्माण निगम में 130 करोड़ का घोटाला: पांच पूर्व अधिकारियों पर FIR, जानिए पूरा मामला

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उत्तर प्रदेश में एक बड़े भ्रष्टाचार कांड का खुलासा हुआ है। यूपी राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) के पांच पूर्व अधिकारियों पर 130 करोड़ रुपये के गबन का आरोप लगा है। इस घोटाले से राज्य सरकार और प्रशासन में हड़कंप मच गया है। आरोपियों के खिलाफ प्राथमिकी (FIR) दर्ज कर ली गई है और जांच एजेंसियां इस मामले की गहराई से जांच कर रही हैं।

यह घोटाला न केवल सरकारी धन के दुरुपयोग को उजागर करता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे उच्च पदों पर बैठे अधिकारी अपने अधिकारों का दुरुपयोग करके भ्रष्टाचार को बढ़ावा देते हैं। इस लेख में हम इस घोटाले से जुड़ी हर जानकारी को विस्तार से प्रस्तुत करेंगे, जिसमें घोटाले की पृष्ठभूमि, आरोपियों की पहचान, घोटाले का तरीका, जांच की प्रगति और संभावित कानूनी परिणाम शामिल हैं।

क्या है पूरा मामला?

यूपी राजकीय निर्माण निगम (UPRNN) राज्य सरकार का एक प्रतिष्ठित संगठन है, जो सरकारी निर्माण कार्यों को अंजाम देता है। हाल ही में, जांच एजेंसियों ने निगम में वित्तीय अनियमितताओं की पड़ताल की, जिससे यह खुलासा हुआ कि निगम के पांच पूर्व अधिकारियों ने 130 करोड़ रुपये का गबन किया है।

प्रारंभिक जांच में सामने आया कि यह गबन विभिन्न निर्माण परियोजनाओं के लिए आवंटित धन के दुरुपयोग के माध्यम से किया गया। अधिकारियों ने फर्जी बिल, गलत भुगतान और अन्य गैरकानूनी तरीकों का उपयोग करके इस रकम को हड़प लिया।

कौन-कौन हैं आरोपी?

अभी तक इस घोटाले में पांच पूर्व अधिकारियों के नाम सामने आए हैं। हालांकि, जांच एजेंसियों ने अभी तक पूरी जानकारी सार्वजनिक नहीं की है, लेकिन विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, इनमें शामिल हैं:

1. पूर्व प्रबंध निदेशक (MD) – जिन्होंने परियोजनाओं को स्वीकृत करने और धन आवंटन में भूमिका निभाई।

2. मुख्य अभियंता (CE) – जो निर्माण कार्यों की देखरेख करते थे और भुगतान प्रक्रिया को मंजूरी देते थे।

3. मुख्य लेखा अधिकारी (CFO) – जिन पर वित्तीय लेन-देन की जिम्मेदारी थी और उन्होंने गबन की प्रक्रिया में सहायता की।

4. वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक – जो निर्माण कार्यों की प्रगति की निगरानी करते थे और झूठी रिपोर्ट बनाकर हेराफेरी में शामिल रहे।

5. अन्य प्रशासनिक अधिकारी – जिन्होंने दस्तावेजों में हेरफेर कर अवैध भुगतान को आसान बनाया।

कैसे हुआ 130 करोड़ रुपये का गबन?

इस घोटाले को अंजाम देने के लिए आरोपियों ने कई तरीके अपनाए, जिनमें शामिल हैं:

1. फर्जी बिलिंग और भुगतान – जिन निर्माण कंपनियों को भुगतान किया जाना था, उनकी जगह फर्जी कंपनियों को भुगतान कर दिया गया।

2. अधूरे कार्यों का पूरा भुगतान – कई निर्माण परियोजनाओं में काम अधूरा था, लेकिन पूरा होने का दिखावा कर भुगतान जारी कर दिया गया।

3. नकली टेंडर प्रक्रिया – नियमों को ताक पर रखकर मनचाही कंपनियों को ठेके दिए गए और कमीशन के रूप में पैसे बांटे गए।

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4. दस्तावेजों में हेरफेर – सरकारी रिकॉर्ड में छेड़छाड़ कर गलत भुगतान को सही ठहराया गया।

5. बैंक खातों के माध्यम से गबन – धनराशि को विभिन्न खातों में ट्रांसफर कर दिया गया, जिससे ट्रांजैक्शन की ट्रैकिंग मुश्किल हो गई।

FIR दर्ज होने के बाद की कार्रवाई

घोटाले का खुलासा होने के बाद यूपी पुलिस ने तुरंत FIR दर्ज की। इसमें आरोपियों पर कई गंभीर धाराएं लगाई गई हैं, जिनमें शामिल हैं:

धोखाधड़ी (IPC धारा 420)

आपराधिक साजिश (IPC धारा 120B)

भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत केस

अब मामले की जांच आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) कर रहे हैं। पुलिस ने कई संदिग्ध बैंक खातों को फ्रीज कर दिया है और आरोपियों की संपत्तियों की जांच शुरू कर दी गई है।

सरकार और जनता की प्रतिक्रिया

इस घोटाले के खुलासे के बाद राज्य सरकार ने सख्त कदम उठाने के संकेत दिए हैं। मुख्यमंत्री ने इस मामले में दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई का आश्वासन दिया है और जांच एजेंसियों को समयबद्ध तरीके से रिपोर्ट सौंपने के निर्देश दिए हैं।

वहीं, विपक्षी दलों ने सरकार को घेरते हुए आरोप लगाया है कि इतने बड़े घोटाले के पीछे राजनीतिक संरक्षण हो सकता है। जनता में भी इस मुद्दे को लेकर आक्रोश है और लोग सरकारी धन की हेराफेरी पर सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं।

पहले भी हो चुके हैं ऐसे घोटाले

उत्तर प्रदेश में सरकारी विभागों में वित्तीय अनियमितताओं के मामले पहले भी सामने आ चुके हैं। कुछ प्रमुख घोटाले इस प्रकार हैं:

1. गोमती रिवरफ्रंट घोटाला – करोड़ों रुपये की हेराफेरी हुई थी।

2. खनन घोटाला – जिसमें कई अधिकारियों और नेताओं पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे।

3. NRHM घोटाला – स्वास्थ्य विभाग से जुड़ा यह घोटाला राज्य का सबसे बड़ा घोटाला माना जाता है।

इन मामलों की तरह ही यूपी राजकीय निर्माण निगम में हुआ यह नया घोटाला भी प्रशासन की लापरवाही और भ्रष्टाचार को उजागर करता है।

अब आगे क्या होगा?

इस मामले में जांच जारी है और आने वाले दिनों में कई और बड़े खुलासे हो सकते हैं। संभावित कदमों में शामिल हैं:

1. सभी आरोपियों की गिरफ्तारी – जांच एजेंसियां जल्द ही गिरफ्तारियां कर सकती हैं।

2. संपत्तियों की जब्ती – जिन संपत्तियों को अवैध धन से खरीदा गया है, उन्हें जब्त किया जा सकता है।

3. नए घोटालों का खुलासा – इस जांच में और घोटालों का भी पर्दाफाश हो सकता है।

4. प्रक्रिया में सुधार – सरकार निर्माण निगम में वित्तीय प्रक्रियाओं को पारदर्शी बनाने के लिए नए नियम लागू कर सकती है।

यूपी राजकीय निर्माण निगम का यह घोटाला राज्य में भ्रष्टाचार की गंभीरता को दर्शाता है। जब उच्च पदों पर बैठे अधिकारी ही सरकारी धन का दुरुपयोग करते हैं, तो जनता का सरकार और प्रशासन पर से भरोसा उठने लगता है।

इस मामले में सरकार और जांच एजेंसियों की परीक्षा है कि वे कितनी जल्दी और कितनी सख्ती से कार्रवाई करते हैं। जनता अब न्याय की उम्मीद लगाए बैठी है, ताकि दोषियों को सजा मिले और भविष्य में इस तरह के घोटाले न हों।

Ashish Sinha

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