
निर्वाचन कार्य में लापरवाही: चार शिक्षकों का निलंबन और चुनावी प्रक्रिया की सख्ती
निर्वाचन कार्य में लापरवाही: चार शिक्षकों का निलंबन और चुनावी प्रक्रिया की सख्ती
उत्तर बस्तर कांकेर/लोकतांत्रिक प्रक्रिया में चुनावों का निष्पक्ष एवं सुचारु संचालन अत्यंत महत्वपूर्ण होता है। चुनाव आयोग द्वारा निर्धारित दिशानिर्देशों के तहत प्रत्येक मतदान कर्मी की जिम्मेदारी होती है कि वह अपने दायित्वों का पालन पूर्ण निष्ठा और अनुशासन के साथ करे। उत्तर बस्तर कांकेर जिले में त्रिस्तरीय आम निर्वाचन 2025 के अंतिम चरण में मतदान प्रक्रिया के पश्चात निर्वाचन सामग्री जमा करने में लापरवाही बरतने के कारण चार शिक्षकों को निलंबित कर दिया गया। यह घटना प्रशासनिक सख्ती और चुनाव प्रक्रिया की पारदर्शिता को उजागर करती है।
24 फरवरी 2025 को उत्तर बस्तर कांकेर जिले में हुए त्रिस्तरीय आम निर्वाचन के अंतिम चरण के मतदान के बाद निर्वाचन सामग्री जमा करने के दौरान चार मतदान कर्मियों द्वारा लापरवाही बरती गई। प्राप्त जानकारी के अनुसार, मतदान केंद्र क्रमांक 72 में पीठासीन अधिकारी के रूप में नियुक्त प्राथमिक शाला पीवी 68 के प्रधान पाठक माध्यमिक शाला ताडहूर के मन्नूलाल नेताम, मतदान अधिकारी दो प्राथमिक शाला पीवी 71 के सहायक शिक्षक देवराज तितराम, मतदान अधिकारी एक माध्यमिक शाला पीवी 15 के शिक्षक बेद्युति विश्वास और मतदान अधिकारी तीन उच्चतर माध्यमिक विद्यालय सिकसोड़ के सहायक शिक्षक विवेक एक्का द्वारा केवल मतपेटी जमा की गई, लेकिन अन्य महत्वपूर्ण निर्वाचन सामग्री एवं दस्तावेज जमा नहीं किए गए।
निर्वाचन प्रक्रिया के तहत यह अनिवार्य होता है कि मतदान संपन्न होने के बाद सभी आवश्यक दस्तावेज और सामग्री नियत समय पर सुरक्षित रूप से प्रशासन को सौंप दी जाए। इन शिक्षकों द्वारा लापरवाही बरतने के कारण निर्वाचन प्रक्रिया में व्यवधान उत्पन्न हुआ, जिसे जिला निर्वाचन अधिकारी ने गंभीरता से लिया।
इस लापरवाही को गंभीर मानते हुए कांकेर जिले के कलेक्टर एवं जिला निर्वाचन अधिकारी श्री निलेश कुमार महादेव क्षीरसागर ने तत्काल प्रभाव से चारों शिक्षकों को निलंबित करने का निर्णय लिया। उन्होंने स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया की शुचिता एवं निष्पक्षता बनाए रखने के लिए किसी भी स्तर पर लापरवाही सहन नहीं की जाएगी।
इन शिक्षकों को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा आचरण नियम 1965 के नियम 3 के तहत कदाचरण का दोषी माना गया। निलंबन के दौरान उनका मुख्यालय कार्यालय खंड शिक्षा अधिकारी, भानुप्रतापपुर निर्धारित किया गया है, और वे नियमानुसार जीवन निर्वाह भत्ता प्राप्त करने के पात्र होंगे।
इस निलंबन के बाद शिक्षकों की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन शिक्षकों के संघों में इस निर्णय को लेकर असंतोष व्यक्त किया गया है। कुछ शिक्षकों का कहना है कि मतदान प्रक्रिया अत्यधिक जटिल होती है और कभी-कभी अनजाने में त्रुटियां हो सकती हैं। उन्होंने प्रशासन से मांग की है कि इस मामले की गहन जांच होनी चाहिए और यदि संभव हो तो शिक्षकों को चेतावनी देकर सुधरने का अवसर दिया जाना चाहिए।
चुनाव प्रक्रिया में किसी भी प्रकार की लापरवाही से लोकतंत्र की नींव कमजोर हो सकती है। मतदान कर्मियों द्वारा बरती गई यह लापरवाही निम्नलिखित समस्याओं को जन्म दे सकती थी:
1.मतदान प्रक्रिया की विश्वसनीयता पर प्रश्नचिह्न – चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता बनाए रखना आवश्यक है, और ऐसी घटनाओं से जनता का भरोसा कमजोर हो सकता है।
2. मतगणना में गड़बड़ी की संभावना – अगर मतदान सामग्री में किसी भी प्रकार की कमी या गड़बड़ी होती है, तो इससे मतगणना की सटीकता प्रभावित हो सकती है।
3.प्रशासनिक कार्यों में बाधा – निर्वाचन सामग्री समय पर जमा न होने से प्रशासन को अतिरिक्त दबाव का सामना करना पड़ता है, जिससे चुनावी कार्यों की सुचारु रूप से निष्पत्ति में देरी हो सकती है।
4.कानूनी परिणाम – लापरवाही करने वाले कर्मियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है, जिससे उनके भविष्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।
इससे पहले भी कई चुनावों में मतदान कर्मियों की लापरवाही सामने आ चुकी है। कई बार निर्वाचन आयोग ने सख्ती बरतते हुए कर्मचारियों को चेतावनी दी है या निलंबित किया है। इस तरह की घटनाओं से बचने के लिए चुनाव आयोग समय-समय पर मतदान कर्मियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करता है।
इस घटना से प्रशासन और मतदान कर्मियों को कई महत्वपूर्ण सबक मिले हैं, जिनके आधार पर आगे की चुनावी प्रक्रिया में सुधार किया जा सकता है:
1. मतदान कर्मियों का बेहतर प्रशिक्षण – चुनावी प्रक्रिया के दौरान लापरवाही से बचने के लिए मतदान कर्मियों को अधिक प्रभावी प्रशिक्षण दिया जाना चाहिए।
2. सख्त निगरानी और नियमों का पालन – मतदान प्रक्रिया की समुचित निगरानी सुनिश्चित की जानी चाहिए ताकि भविष्य में इस प्रकार की घटनाएँ न हों।
3. चेतावनी और सुधार के अवसर – छोटे प्रशासनिक त्रुटियों के लिए कठोर दंड की बजाय सुधारात्मक कदम उठाने चाहिए, ताकि कर्मचारी भविष्य में बेहतर तरीके से कार्य कर सकें।
4. प्रौद्योगिकी का उपयोग – डिजिटल ट्रैकिंग और इलेक्ट्रॉनिक रिपोर्टिंग के जरिए मतदान सामग्री जमा करने की प्रक्रिया को अधिक पारदर्शी बनाया जा सकता है।
उत्तर बस्तर कांकेर में हुई यह घटना चुनावी प्रक्रिया में लापरवाही की गंभीरता को दर्शाती है। यह प्रशासन की सख्ती को भी उजागर करती है, जिससे स्पष्ट होता है कि चुनाव प्रक्रिया में किसी भी स्तर पर चूक को सहन नहीं किया जाएगा। हालांकि, शिक्षकों की ओर से भी यह दलील दी जा रही है कि उन्हें उचित अवसर दिया जाना चाहिए। प्रशासन और शिक्षकों के बीच संतुलन बनाए रखना आवश्यक है, ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं से बचा जा सके और चुनावी प्रक्रिया को अधिक प्रभावी और निष्पक्ष बनाया जा सके।










