
“ईडी की निष्पक्षता पर सवाल: सिर्फ कांग्रेस की जांच क्यों, भाजपा के दफ्तरों की फंडिंग पर चुप्पी क्यों?”
ईडी की कार्रवाई पर कांग्रेस का कड़ा एतराज: सिर्फ कांग्रेस पर निशाना क्यों, भाजपा दफ्तरों की भी हो जांच?
रायपुर। आशीष सिन्हा। 27 फरवरी 2025 । प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस के प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू को घंटों तक जबरन बैठाए जाने पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने इसे राजनीतिक विद्वेष से प्रेरित कार्रवाई करार देते हुए सवाल उठाया कि ईडी सिर्फ कांग्रेस पर ही शिकंजा क्यों कस रही है, भाजपा के दफ्तरों की जांच कब होगी?
ईडी पर राजनीतिक पूर्वाग्रह का आरोप
दीपक बैज ने कहा कि ईडी ने कांग्रेस से उसके जिला कार्यालयों से संबंधित कुछ जानकारी मांगी थी, जिसे देने के लिए प्रभारी महामंत्री मलकीत सिंह गैदू स्वयं ईडी के कार्यालय गए थे। कांग्रेस ने पूरी पारदर्शिता के साथ आवश्यक दस्तावेज सौंपे, लेकिन जानकारी देने के बावजूद उन्हें घंटों तक जबरदस्ती रोका गया, जो पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
उन्होंने कहा कि यदि ईडी को अतिरिक्त जानकारी की आवश्यकता थी तो वह इसे लिखित में मांग सकती थी। कांग्रेस अपनी वित्तीय व्यवस्था को लेकर पूरी तरह पारदर्शी है और हर रुपये का हिसाब देने को तैयार है। लेकिन जिस तरह से एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता को अनावश्यक रूप से परेशान किया गया, उससे स्पष्ट है कि यह पूरी कार्रवाई भाजपा के इशारे पर हो रही है।
भाजपा के दफ्तरों की फंडिंग की जांच क्यों नहीं?
दीपक बैज ने ईडी पर भाजपा के प्रति नरमी और कांग्रेस के प्रति सख्ती का आरोप लगाते हुए सवाल किया कि जब ईडी राजनीतिक दलों की वित्तीय जांच कर रही है, तो फिर भाजपा के दफ्तरों की जांच क्यों नहीं की जा रही?
उन्होंने कहा कि भाजपा का नया कार्यालय “कुशाभाऊ ठाकरे परिसर” 150 करोड़ रुपये की लागत से बना है, जो किसी फाइव-स्टार होटल जैसा दिखता है। क्या ईडी यह बताएगी कि इस भवन के निर्माण के लिए धन कहां से आया?
इसी तरह, रायपुर में भाजपा का एकात्म परिसर 1 रुपये की लीज पर ली गई सरकारी जमीन पर बनाया गया था, लेकिन बाद में इसे व्यवसायिक परिसर में बदल दिया गया और भाजपा द्वारा यहां से सालाना 1.5 करोड़ रुपये का किराया वसूला जा रहा है। यह स्पष्ट रूप से सरकारी जमीन का दुरुपयोग और वित्तीय अनियमितता है।
दीपक बैज ने यह भी आरोप लगाया कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने दिल्ली में 500 करोड़ रुपये की लागत से अपना विशाल मुख्यालय बनाया है। इस निर्माण के लिए फंडिंग कहां से आई, इसकी जांच ईडी क्यों नहीं करती?
ईडी को भाजपा का अनुषांगिक संगठन बनने से बचना चाहिए
प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा कि कांग्रेस कार्यालय की जांच की जा सकती है तो फिर भाजपा के कार्यालयों की भी जांच होनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि कानून सभी के लिए समान होना चाहिए। अगर ईडी वास्तव में भ्रष्टाचार पर कार्रवाई कर रही है, तो वह सिर्फ कांग्रेस पर ही शिकंजा क्यों कस रही है? भाजपा के दफ्तरों, उसके वित्तीय स्रोतों और अनियमितताओं की जांच करने की हिम्मत ईडी क्यों नहीं जुटा पा रही?
कांग्रेस संचार विभाग के अध्यक्ष सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि भाजपा राजनीतिक बदले की भावना से ईडी का उपयोग कर रही है। उन्होंने कहा, “ईडी एक स्वतंत्र एजेंसी होनी चाहिए, लेकिन वर्तमान में वह भाजपा की शाखा के रूप में कार्य कर रही है।”
उन्होंने कहा कि अगर भाजपा वास्तव में भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना चाहती है, तो उसे अपने ही दफ्तरों की जांच के लिए ईडी को निर्देश देना चाहिए। लेकिन वास्तविकता यह है कि भाजपा सिर्फ कांग्रेस को बदनाम करने की साजिश में लगी है।
प्रदेश कांग्रेस के नेताओं ने कहा कि वे इस भेदभावपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ जनता के बीच जाएंगे और भाजपा की साजिश को उजागर करेंगे।
“हम ईडी की इस पक्षपातपूर्ण कार्रवाई के खिलाफ लोकतांत्रिक तरीके से संघर्ष करेंगे,” कांग्रेस नेताओं ने कहा।
क्या सिर्फ कांग्रेस पर होगी कार्रवाई? भाजपा के भ्रष्टाचार की कब होगी जांच?
ईडी की राजनीतिक प्रतिबद्धता पर सवाल उठाते हुए कांग्रेस ने दोहराया कि अगर वह वास्तव में निष्पक्ष है, तो उसे भाजपा के फंडिंग और दफ्तर निर्माण की जांच करनी चाहिए।
कांग्रेस ने साफ कर दिया है कि वह इस मुद्दे को लेकर जनता के बीच जाएगी और भाजपा की साजिश को बेनकाब करेगी।