
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया नमन
भारत कोकिला सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने किया नमन
रायपुर | 02 मार्च 2025 |छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सुप्रसिद्ध कवयित्री सरोजिनी नायडू की पुण्यतिथि (02 मार्च) पर उन्हें श्रद्धापूर्वक नमन किया। इस अवसर पर उन्होंने उनके योगदान को याद करते हुए कहा कि सरोजिनी नायडू की ओजस्वी वाणी और सशक्त लेखनी ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम को नई दिशा प्रदान की। महिलाओं को सामाजिक और राजनीतिक रूप से जागरूक करने में उनका योगदान ऐतिहासिक महत्व रखता है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ‘भारत कोकिला’ के नाम से प्रसिद्ध सरोजिनी नायडू की कविताएँ, उनके विचार और उनका संघर्ष आने वाली पीढ़ियों के लिए सदैव प्रेरणा स्रोत रहेंगे। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान अपने प्रभावशाली भाषणों और ओजस्वी लेखन से देशवासियों को जागरूक किया और महिलाओं को स्वतंत्रता आंदोलन में सक्रिय रूप से भाग लेने के लिए प्रेरित किया।
सरोजिनी नायडू भारतीय राष्ट्रीय आंदोलन की प्रमुख नेता थीं। महात्मा गांधी के विचारों से प्रेरित होकर उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम में सक्रिय भागीदारी निभाई। 1917 में उन्होंने महिलाओं के अधिकारों के लिए आंदोलन शुरू किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस से जुड़ीं। 1925 में उन्हें भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया, जो इस पद को संभालने वाली पहली भारतीय महिला थीं।
1930 के सविनय अवज्ञा आंदोलन में उन्होंने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और नमक सत्याग्रह के दौरान गांधी जी के साथ गिरफ्तार भी हुईं। 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन में भी उन्होंने साहसिक नेतृत्व दिखाया और अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ आवाज उठाई। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद उन्हें उत्तर प्रदेश की पहली महिला राज्यपाल के रूप में नियुक्त किया गया, जहाँ उन्होंने प्रशासनिक कार्यों में भी अपनी कुशलता दिखाई।
सरोजिनी नायडू केवल एक राजनेता ही नहीं, बल्कि एक महान कवयित्री भी थीं। उनकी कविताएँ राष्ट्रीयता, प्रकृति और मानवीय संवेदनाओं से ओत-प्रोत थीं। उनकी प्रमुख काव्य रचनाओं में “द गोल्डन थ्रेशहोल्ड”, “द बर्ड ऑफ टाइम” और “द ब्रोकन विंग” शामिल हैं। उनकी कविताओं में भारतीय संस्कृति, समाज और प्रकृति की झलक मिलती है।
उनकी ओजस्वी वाणी और प्रभावशाली लेखनी ने देश के युवाओं और महिलाओं को जागरूक किया। उनकी रचनाएँ आज भी साहित्य प्रेमियों को प्रेरित करती हैं। उन्हें उनकी काव्य प्रतिभा के कारण ‘भारत कोकिला’ की उपाधि दी गई थी।
सरोजिनी नायडू महिला सशक्तिकरण की प्रबल समर्थक थीं। उन्होंने महिलाओं को शिक्षा, समाज और राजनीति में भाग लेने के लिए प्रेरित किया। उनके विचार और संघर्ष महिलाओं के अधिकारों की रक्षा और उनके उत्थान के लिए महत्वपूर्ण रहे हैं। उन्होंने भारतीय महिलाओं को आत्मनिर्भर और आत्मसम्मान से परिपूर्ण जीवन जीने के लिए प्रेरित किया।
सरोजिनी नायडू का जीवन संघर्ष और प्रेरणा से भरा था। उनकी आवाज़, उनके विचार और उनके कार्य आज भी समाज के हर वर्ग के लिए मार्गदर्शक हैं। स्वतंत्रता संग्राम में उनके योगदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। उनकी पुण्यतिथि पर पूरा देश उन्हें नमन करता है और उनके आदर्शों को अपनाने का संकल्प लेता है।
सरोजिनी नायडू का योगदान भारतीय समाज में हमेशा याद रखा जाएगा। उनके विचार और आदर्श आने वाली पीढ़ियों को प्रेरित करते रहेंगे और भारतीय महिलाओं को सशक्त बनने की दिशा में आगे बढ़ने के लिए मार्गदर्शन प्रदान करेंगे।