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मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ का बस्तर मॉडल राष्ट्रीय मंच पर चमका

CM परिषद बैठक में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम की प्रस्तुति से सबका ध्यान खींचा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉडल को सराहते हुए अन्य राज्यों में अपनाने का सुझाव दिया।

प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में CM परिषद बैठक: बस्तर मॉडल ने बटोरी सराहना, विकास-संस्कृति और जनभागीदारी की बनी मिसाल

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा – बस्तर बना बदलाव की प्रतीक भूमि, युवाओं को मिली नई दिशा

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रायपुर, 25 मई 2025/ राजधानी दिल्ली स्थित अशोक होटल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में छत्तीसगढ़ सरकार के सुशासन मॉडल, नवाचारों और जनभागीदारी आधारित पहलों ने राष्ट्रीय स्तर पर विशेष पहचान बनाई।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय द्वारा प्रस्तुत “बस्तर मॉडल” — विशेषकर बस्तर ओलंपिक और बस्तर पंडुम जैसे आयोजनों ने न केवल प्रधानमंत्री, बल्कि अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भी गहरी प्रेरणा दी।

बस्तर बना संस्कृति, सहभागिता और विकास का मॉडल

मुख्यमंत्री साय ने बताया कि छत्तीसगढ़ में ‘सुशासन एवं अभिसरण विभाग’ गठित कर योजनाओं के क्रियान्वयन को संस्थागत रूप दिया गया है। ‘अटल मॉनिटरिंग पोर्टल’ जैसे डिजिटल टूल्स से योजनाओं की रियल-टाइम निगरानी की जा रही है।
उन्होंने स्पष्ट किया कि शासन का उद्देश्य केवल योजनाएं बनाना नहीं, बल्कि उन्हें संवेदनशीलता और पारदर्शिता के साथ जमीनी स्तर तक पहुँचाना है।

बस्तर ओलंपिक: खेल के ज़रिए सामाजिक क्रांति

बस्तर ओलंपिक की जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि यह आयोजन अब केवल खेल प्रतिस्पर्धा नहीं, बल्कि सामाजिक बदलाव का माध्यम बन गया है।
इस वर्ष आयोजन में 7 जिलों के 32 विकासखंडों से 1.65 लाख प्रतिभागियों ने भाग लिया। प्रतियोगिता 11 पारंपरिक खेलों पर आधारित रही, जिसमें जूनियर, सीनियर, महिला और दिव्यांग वर्ग शामिल थे।

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मुख्यमंत्री ने पुनेन सन्ना का उदाहरण साझा करते हुए कहा कि कभी नक्सल प्रभावित दोरनापाल के इस युवा ने व्हीलचेयर दौड़ में पदक जीतकर सामाजिक बदलाव का प्रतीक बन गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने भी बस्तर ओलंपिक को “बस्तर की आत्मा का उत्सव” बताते हुए मन की बात में सराहा था।

बस्तर पंडुम: संस्कृति के रंग और एकता का संगम

मुख्यमंत्री ने बताया कि बस्तर पंडुम केवल एक सांस्कृतिक आयोजन नहीं, बल्कि आदिवासी परंपराओं, लोककलाओं और भाषाओं को जीवंत करने वाला महोत्सव है।
इसमें 1,743 सांस्कृतिक दलों व 47,000 प्रतिभागियों ने भाग लिया। सरकार द्वारा ₹2.4 करोड़ की प्रोत्साहन राशि प्रदान की गई।

पारंपरिक गीत-संगीत, लोकनृत्य, पकवान प्रतियोगिताएं, हाट-बाजार सहित यह आयोजन ग्राम पंचायत स्तर पर हुआ, जिससे हर उम्र और वर्ग को जोड़ते हुए बस्तर की एकता और पहचान को मजबूत किया गया।

राष्ट्रीय मंच पर बस्तर मॉडल की गूंज

बैठक में छत्तीसगढ़ के बस्तर मॉडल को अभिनव, अनुकरणीय और सामूहिक विकास की दिशा में प्रेरणादायक बताया गया।
प्रधानमंत्री और अन्य राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने सुझाव दिया कि ऐसे जनसहभागिता व संस्कृति केंद्रित नवाचार अन्य राज्यों में भी लागू किए जाएं।

Ashish Sinha

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