
उत्तर बस्तर कांकेर : लोकवाणी के 19वीं कड़ी का प्रसारण
उत्तर बस्तर कांकेर 11 जुलाई 2021मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की मासिक रेडियोंवार्ता लोकवाणी के 19वीं कड़ी का आज प्रसारण किया गया। कांकेर विकासखण्ड के ग्राम कोकानपुर में लोकवाणी के श्रवण की व्यवस्था की गई थी, जहॉ पर ग्राम पंचायत के सरपंच श्रीमती माधुरी उईके, उप सरपंच अनिल कुमार यदु सहित पंचगणों एवं ग्रामीणों ने लोकवाणी को उत्साहपूर्व सुना। लोकवाणी में मुख्यमंत्री श्री बघेल ने प्रदेश में संचालित विकास कार्यों एवं उपलब्धियों की जानकारी देते हुए कहा कि जब हम छत्तीसगढ़िया आकांक्षाओं की बात कहते हैं तो उसमें जाति, धर्म, समाज, वर्ग जैसी चीजों से ऊपर उठकर ऐसे विकास की बात करते हैं, जिसमें हमारी परंपराओं और संस्कृति का सम्मान हो। जिसमें छत्तीसगढ़ी भाई-बहनों के श्रम और उपज के सम्मान का भाव हो। मैं कहना चाहता हूं कि सीमेंट-कांक्रीट की चमक, हमारे लिए कोई मायने नहीं रखती, हमारे लिए तो छत्तीसगढ़िया भाई-बहनों की आंखों की चमक और चेहरे की मुस्कुराहट महत्वपूर्ण है। जब हमें अवसर मिला तो हमने विकास की सही अवधारणा प्रस्तुत की। हम उद्योग-धंधे, व्यापार-व्यवसाय के कतई खिलाफ नहीं हैं। इनके विकास से राज्य आगे बढ़ेगा, रोजगार के अवसर बढ़ेंगे, हम इनका भरपूर विकास चाहते हैं। हर क्षेत्र में भरपूर विकास चाहते हैं। लेकिन जब सवाल जल-जंगल-जमीन और प्राकृतिक संसाधनों पर हक का आता है तो हम स्थानीय समुदाय के साथ खड़े होते हैं। क्योंकि सारे साधन जनता के हैं, इसलिए विकास में जनता की सीधी भूमिका और भागीदारी सुनिश्चित करना हमारा कर्त्तव्य है। अब चाहे धान का मान रखना हो, तरह-तरह की कृषि और वन उपजों को सम्मान देना हो, यहां तक की गरीबों का आखिरी सहारा गोबर को गोधन में बदलना हो, तो निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है।
नरवा-गरवा-घुरवा-बारी को छत्तीसगढ़ के सर्वांगीण विकास से, ग्रामीण अर्थव्यवस्था और अस्मिता से जोड़ना हो, तो निश्चित तौर पर यह हमारी प्राथमिकता है। हम छत्तीसगढ़ के बुनियादी विकास की बात करते हैं और उसी दिशा में सारे प्रयास किए गए हैं, जिसके कारण आर्थिक मंदी और कोरोना जैसे महासंकट के दौर में भी, छत्तीसगढ़ की अर्थव्यवस्था अपनी पटरी पर बनी रही। जब देश और दुनिया के बाजारों में सन्नाटा था, तब छत्तीसगढ़ में ऑटो-मोबाइल से लेकर सराफा बाजार तक में उत्साह था। हमारे कल-कारखाने भी चलते रहे और गौठान भी। हमारा रास्ता थोड़ा लंबा जरूर है, लेकिन यह स्थायी विकास का रास्ता है। हमारे फैसले छत्तीसगढ़ को न सिर्फ तात्कालिक राहत देते हैं बल्कि दूरगामी महत्व के साथ, चौतरफा विकास के रास्ते खोलते हैं। इसीलिए हम कहते हैं कि हम ‘नवा छत्तीसगढ़’ गढ़ रहे हैं और बात है अभिमान की, छत्तीसगढ़िया स्वाभिमान की’।
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा कि अभी प्रदेश में ऐसे बहुत से बुनियादी काम किए जाने हैं, जिनसे हमारे प्रदेश के ग्रामीण अंचल, वन अंचल, बसाहटों, कस्बों और बहुत से शहरों में रहने वाले लोगों का जीवन आसान हो सके। अच्छी सड़कों पर चलने का हक, अच्छे अस्पतालों में इलाज का हक, अच्छे स्कूलों में पढ़ने का हक, साफ पानी पीने का हक, अच्छी गुणवत्ता और उचित दर की बिजली आपूर्ति पाने का हक, अपने संसाधनों के आधार पर रोजगार का हक, अच्छी शिक्षा से अच्छी नौकरी पाने का हक, छत्तीसगढ़ में रहने वाले हर व्यक्ति को है। हमारा मानना है कि छत्तीसगढ़ के हर नागरिक, हर बच्चे को ऐसी सुविधाएं मिलनी चाहिए, जिनसे वे आज सुखी जीवन जी सकंे और बेहतर भविष्य बनाने के लिए शिक्षा-कौशल तथा अवसर प्राप्त कर सकें। इसलिए हमने डेढ़ दशक की तरह लग्जरी सुविधाओं के चंद काम करने का लक्ष्य नहीं रखा है, बल्कि ऐसे सार्वजनिक निर्माण कार्यों को बढ़ावा देने का लक्ष्य रखा है, जो एक साथ सैकड़ों-हजारों लोगों के काम आ सकंे। यही हमारी मूल नीति है। विकास की इस दिशा में हम आगे बढ़ रहे हैं।
आदिवासी अंचलों में आम जनता की सहूलियत के नए-नए उपाय करने के लिए प्रशासन को स्पष्ट निर्देश दिए गए हैं। पिछले ढाई सालों में ऐसे अनेक छोटे -बड़े नवाचार हुए हैं, जिसका लाभ मिल रहा है। डेनेक्स कपड़ा फैक्ट्री से लेकर वनोपज संग्रह में महिला स्व-सहायता की भूमिका, देवगुड़ी के विकास से लेकर स्थानीय उपजों के वेल्यूएडिशन तक बहुत से काम किए गए हैं। मैंने डीएमएफ के उपयोग के लिए नई गाइड लाइन बनवाई थी, जिसके कारण बस्तर में कुपोषण मुक्ति से लेकर मलेरिया उन्मूलन तक सफलता का नया कीर्तिमान रचा गया है। मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना अगर 11 लाख मरीजों तक पहुंचती है, मुख्यमंत्री स्लम स्वास्थ्य योजना और दाई-दीदी मोबाइल क्लीनिक जैसी पहल का लाभ 05 लाख लोगों को मिलता है, तो इसके पीछे आप जैसे साथियों की सोच और सहयोग है।
मुख्यमंत्री ने कहा हमने चार-पांच लग्जरी सड़कों की कल्पना नहीं की, बल्कि हजारों ऐसी सड़कों की कल्पना की है, जो सुविधाजनक हों। आगामी दो वर्षों में हम 16 हजार करोड़ की लागत से हजारों सड़कें और पुल-पुलिया बना रहे हैं। हमारा लक्ष्य है कि सड़कों का नेटवर्क पूरा हो। ऐसा न हो कि सड़क तो हैं, लेकिन एप्रोच नहीं, पुल-पुलिया नहीं। इसलिए हमारी परियोजनाओं में समग्रता का भाव है। इसी तरह जिलों में सड़कों के काम होंगे। ऐसी कोई सड़क नहीं बचेगी, जिसके बारे में जनता की मांग हो और वह हमारी आगामी कार्ययोजनाओं में शामिल न हो। हमने विभिन्न योजनाओं की सड़कों को तत्परता से बनाते हुए अनेक कीर्तिमान भी बनाए हैं। सिर्फ एक साल 2020-21 की बात कर लेते हैं। इसमें ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’ के तहत प्रदेश में 4 हजार 228 किलोमीटर सड़कें बनाई गईं। इसी तरह पीएमजीएसवाई सड़कों की पूर्णता का प्रतिशत 121 रहा। ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना’ के तहत 94 किलोमीटर की 261 सड़कें बनाई, जिसमें पूर्णता का प्रतिशत 92 रहा है। ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना’ में 387 किलोमीटर की 97 सड़कें बनाईं, जिसमें पूर्णता का प्रतिशत 85.24 रहा। पूरे ढाई साल को देखें तो हमने पीएमजीएसवाई के तहत 8 हजार 545 किलोमीटर सड़कें बनाई और सड़कों का निर्माण पूर्ण करने का प्रतिशत 96.98 रहा है, जो अपने आप में एक बड़ी उपलब्धि है।
सरकार में आते ही हमने स्वास्थ्य के क्षेत्र में जिस तरह के सुधार किए और व्यवस्थाओं को चौक-चौबंद किया, उसका बहुत लाभ कोरोना से निपटने में भी मिला है। वर्ष 2018 के अंत में प्रदेश के सरकारी अस्पतालों में सिर्फ 1 हजार 378 डॉक्टर काम कर रहे थे, हमने उसे बढ़ाकर 3 हजार 358 कर दिया। इसी प्रकार मेडिकल स्टाफ की संख्या भी 18 हजार से बढ़ाकर लगभग 22 हजार कर दी गई है। उस समय प्रदेश के सभी अस्पतालों को मिलाकर बिस्तरों की संख्या मात्र 15 हजार थी। हमारी उदार नीतियों से मात्र ढाई वर्ष में यह संख्या बढ़कर अब लगभग 30 हजार हो गई है। कोरोना से लड़ने के लिए विशेष सुविधाओं की जरूरत पड़ी तो हमने वेंटिलेटर, आईसीयू बेड्स, एचडीयू बेड्स, ऑक्सीजनयुक्त बेड, ऑक्सीजन कान्सेंटेªटर, हर तरह के ऑक्सीजन सिलेंडर, पीएसए ऑक्सीजन प्लांट, लिक्विड ऑक्सीजन टैंक, मल्टीमॉनिटर्स जैसे आवश्यक उपकरणों को भी कई गुना बढ़ाया गया है। कांकेर, कोरबा तथा महासमुंद में नए मेडिकल कॉलेज भी खोल रहे हैं, जिससे प्रदेश में डॉक्टरों की संख्या बढ़ेगी और जनता को इसका लाभ भी मिलेगा। कोरोना से बचाव के लिए सावधानी की अपील करते हुए उन्होंने कहा कि मास्क, हाथ की सफाई, भौतिक दूरी को अपनी जीवन शैली का अंग बना लें।
मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल ने कहा कि घरेलू बिजली उपभोक्ताओं के लिए बिजली बिल हाफ योजना लागू की है। इस योजना के तहत प्रदेश के 39 लाख से अधिक उपभोक्ताओं को विगत 27 महीने में 1 हजार 822 करोड़ रू. का लाभ दे चुके हैं। इस योजना के तहत प्रत्येक घरेलू उपभोक्ता को बिना जाति-धर्म या आय के बंधन के प्रतिमाह 400 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जा रही है। इसके अलावा 5 हार्स पावर तक के सिंचाई पंप का उपयोग करने वाले लगभग 6 लाख किसानों को भी निःशुल्क बिजली दी जा रही है। बीपीएल श्रेणी के 18 लाख परिवारों को 30 यूनिट बिजली प्रतिमाह निःशुल्क दी जा रही है। बिजली की वितरण व्यवस्था में सुधार के लिए 1281 करोड़ रू. के लागत के कार्य किए जा चुके हैं तथा 211 करोड़ रू. के कार्य किए जा रहे हैं। 1400 करोड़ रू. से अधिक लागत से 33 केवी उपकेन्द्रों की स्थापना, ट्रांसफार्मर एवं लाइन विस्तार जैसे अनेक कार्य किए गए हैं। औद्योगिक विकास का लाभ प्रदेश की जनता को दिलाने के लिए नई औद्योगिक नीति बनाई गई है, जिसके कारण प्रदेश में 47 हजार करोड़ रू. का पूंजी निवेश होगा और 67 हजार से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रूप से रोजगार मिलेगा। अप्रत्यक्ष रूप से इसमें लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। हमने हर विकासखंड में फूडपार्क स्थापित करने की दिशा में कार्यवाही शुरू की है। 146 में से 110 विकासखंडों में भूमि चिन्हांकित हो गई है तथा 48 विकासखंडों में जमीन, उद्योग विभाग को हस्तांतरित की चुकी है।
आदिवासियों तथा वन आश्रित परिवारों को सीधा लाभ दिलाने के लिए हमने समर्थन मूल्य पर वनोपज खरीदी संख्या 7 से बढ़ाकर 52 की। 17 वनोपजों की संग्रहण मजदूरी तथा समर्थन मूल्य में वृद्धि की, जिसके कारण 13 लाख से अधिक आदिवासियों और वन आश्रित परिवारों को हर साल 502 करोड़ रू. अतिरिक्त मिलेंगे। ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ के तहत हर साल लगभग 5700 करोड़ रू. का भुगतान किया जा रहा है।‘गोधन न्याय योजना’ से होने वाला भुगतान भी 125 करोड़ रू. से अधिक हो चुका है। इस तरह हमने प्राकृतिक संसाधनों को लोगों की आय का जरिया बनाने का बड़ा कदम उठाया है और हमारी नजर में यही सार्थक विकास है।
उन्होंने कहा कि ‘जल-जीवन मिशन’ के माध्यम से एक बड़ा अभियान छेड़ दिया है, जिसके तहत वर्ष 2023 तक प्रदेश के सभी 39 लाख ग्रामीण घरों में नल से शुद्ध जल पहुंचाया जाएगा। पहले प्रति व्यक्ति, प्रतिदिन 40 लीटर शुद्ध पेयजल प्रदाय का लक्ष्य था, जिसे अब बढ़ाकर 55 लीटर प्रति व्यक्ति प्रतिदिन कर दिया गया है। इस योजना के लिए चालू वर्ष में 850 करोड़ रू. का बजट आवंटन किया गया है। पिछले महीने हमने वर्चुअल कार्यक्रम के माध्यम से सभी जिलों में ‘जल-जीवन मिशन’ का शिलान्यास कर दिया है।भारत सरकार ने जल-जीवन मिशन के तहत सभी ग्रामीण घरों में नल के माध्यम से शुद्ध जल पहुंचाने के लिए वर्ष 2024 की समय सीमा तय की है। लेकिन हम छत्तीसगढ़ में यह काम एक साल पहले पूरा करना चाहते हैं। हमने 26 हजार शिक्षाकर्मियों का संविलियन किया, जिससे उन्हें नियमित वेतनमान, पदोन्नति, स्थानांतरण जैसी तमाम सुविधाएं मिलने लगीं। प्रदेश में 2 हजार 800 व्याख्याताओं की भर्ती का काम पूरा हो चुका है। उन्होंने ज्वाइन भी कर लिया है। 10 हजार से अधिक पदों पर शिक्षकों तथा सहायक शिक्षकों के चयन की प्रक्रिया पूरी हो गई है। स्कूल खुलते ही ये शिक्षक-शिक्षिकाएं बच्चों को पढ़ाने के लिए मौजूद रहेंगे। अनुसूचित जाति तथा अनुसूचित जनजाति के बच्चों को छात्रवृत्ति तथा भोजन सहाय राशि में वृद्धि की गई। देश में पहली बार शिक्षा के अधिकार के तहत 12वीं तक निःशुल्क शिक्षा की व्यवस्था की गई है। ग्रेजुएशन और पोस्ट ग्रेजुएशन करने वाली बेटियों की निःशुल्क पढ़ाई की व्यवस्था की गई है। प्रदेश में स्कूल से ही शिक्षा का स्तर बढ़ाने के लिए स्वामी आत्मानंद इंग्लिश मीडियम स्कूल योजना शुरू की गई है, जिसके तहत 171 शालाओं में बच्चों को प्रवेश दिया जा रहा है। कोरोना से जिन बच्चों के पालकों का निधन हुआ है, उन बच्चों को निःशुल्क शिक्षा देने के लिए हमने ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की है, जिसके तहत सरकारी तथा निजी स्कूलों में बच्चों को प्रवेश दिलाकर उनकी निःशुल्क शिक्षा, पात्रता अनुसार छात्रवृत्ति तथा निःशुल्क कोचिंग आदि की व्यवस्था की जा रही है।
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