
महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने खून से लिखा पत्र, कांग्रेस ने साय सरकार पर साधा निशाना
छत्तीसगढ़ में एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर, महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने खून से पत्र लिखकर जताई नाराजगी। कांग्रेस ने साय सरकार को घेरा।
महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने खून से लिखा पत्र, कांग्रेस ने साय सरकार पर साधा निशाना
छत्तीसगढ़ में एनएचएम कर्मचारी हड़ताल पर, महिला स्वास्थ्यकर्मियों ने खून से पत्र लिखकर जताई नाराजगी। कांग्रेस ने साय सरकार को घेरा।
रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। इस बीच महिला कर्मचारियों द्वारा सरकार को खून से पत्र लिखने का मामला सामने आया है। इसे लेकर प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता वंदना राजपूत ने साय सरकार पर तीखा हमला बोला और कहा कि “सरकार की नाकामी और लापरवाही का यह हाल है कि कर्मचारी खून से पत्र लिखने को मजबूर हो गए हैं।”
वंदना राजपूत ने कहा कि भाजपा सरकार कर्मचारियों के साथ किए गए वादों को पूरा नहीं कर रही है। उन्होंने आरोप लगाया कि डबल इंजन की सरकार ने मोदी की गारंटी पर सत्ता हासिल की, लेकिन आज हर विभाग के कर्मचारी अपनी समस्याओं को लेकर आंदोलन कर रहे हैं।
“कुशासन में हर वर्ग परेशान”
प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि विष्णु देव साय सरकार के कुशासन में पटवारी, राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, शिक्षक, रसोईया और सफाईकर्मी सभी अपनी मांगों को लेकर हड़ताल कर चुके हैं। “सरकार चुनाव के समय बड़े-बड़े वादे करती है, लेकिन सत्ता में आने के बाद कर्मचारियों की परेशानियों से कोई वास्ता नहीं रखती। आज भाजपा सरकार में कर्मचारियों के खून की कोई कीमत नहीं है।”
एनएचएम हड़ताल से स्वास्थ्य सेवाएं ठप
वंदना राजपूत ने बताया कि एनएचएम कर्मचारियों के हड़ताल पर जाने से स्वास्थ्य सेवाएं चरमरा गई हैं। हेल्थ सेंटर बंद होने से टीकाकरण और इलाज के लिए लोगों को भटकना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि बरसात के मौसम में संक्रमण बढ़ने से आम लोगों को इलाज की जरूरत होती है, लेकिन सरकारी स्वास्थ्य सेवाएं बंद होने से गरीब और मध्यमवर्गीय परिवार मुश्किल में हैं क्योंकि प्राइवेट अस्पताल में इलाज कराना उनके लिए संभव नहीं है।
त्योहार पर भी मजबूरी का आंदोलन
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि तीज महिलाओं के लिए खास त्योहार है, लेकिन इस समय भी महिला कर्मचारियों को आंदोलन करना पड़ रहा है। “सरकार महिलाओं के अधिकारों की बड़ी-बड़ी बातें करती है, लेकिन उनकी समस्याओं को सुनने को तैयार नहीं है। कर्मचारी खून से पत्र लिख रहे हैं और सरकार विदेश दौरों में व्यस्त है।”












