
एमपी सीएम हाउस की सुरक्षा हाईटेक, UVSS, ANPR और DFMD से होगा फुलप्रूफ सिक्योरिटी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास की सुरक्षा अचानक बढ़ा दी गई है। UVSS, ANPR और DFMD जैसे हाईटेक सिस्टम लगाए गए। जानें इनके फायदे और दूसरे राज्यों से तुलना।
अचानक बढ़ाई गई ‘मुख्यमंत्री निवास’ की सुरक्षा – जानिए कौन से तीन हाईटेक सिस्टम करेंगे कड़ा पहरा और क्यों है ये बड़ा कदम
एमपी सीएम हाउस की सुरक्षा हाईटेक, UVSS, ANPR और DFMD से होगा फुलप्रूफ सिक्योरिटी
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास की सुरक्षा अचानक बढ़ा दी गई है। UVSS, ANPR और DFMD जैसे हाईटेक सिस्टम लगाए गए। जानें इनके फायदे और दूसरे राज्यों से तुलना।
भोपाल | मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री निवास (CM House) की सुरक्षा को अब हाईटेक बना दिया गया है। यह फैसला ऐसे समय में लिया गया है जब सुरक्षा के पैमाने और टेक्नोलॉजी को लेकर पूरे देश में अपडेटेशन हो रहा है। अब सीएम हाउस में कोई भी वाहन या व्यक्ति प्रवेश करेगा तो उसे फुलप्रूफ ऑटोमैटिक सिक्योरिटी सिस्टम से गुजरना होगा।
पहले जहां सुरक्षा जांच मुख्य रूप से मैनुअल चेकिंग पर निर्भर थी, वहीं अब तीन अत्याधुनिक सिस्टम लगाए गए हैं जो पूरी जांच प्रक्रिया को तेज, सटीक और मानवीय त्रुटि से मुक्त बनाएंगे।
क्यों अचानक बढ़ाई गई सुरक्षा?
इस अपग्रेड के पीछे कई वजहें हो सकती हैं:
✔ वीआईपी मूवमेंट बढ़ना: हाल ही में सीएम निवास पर कई हाई-प्रोफाइल राजनीतिक बैठकें हो रही हैं।
✔ राष्ट्रीय सुरक्षा मानक: भारत में वीआईपी सुरक्षा को लेकर कई बार गाइडलाइंस बदली गई हैं।
✔ टेक्नोलॉजिकल एडवांसमेंट: नई तकनीक से खतरे को पहचानने की क्षमता कई गुना बढ़ जाती है।
सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि मौजूदा समय में जब खतरे मल्टी-डायमेंशनल हैं, तब AI और ऑटोमेशन आधारित सिस्टम ही भरोसेमंद समाधान हैं।
ये तीन हाईटेक सिस्टम कैसे काम करते हैं?
1. व्हीकल सर्विलांस सिस्टम (UVSS)
यह सिस्टम वाहनों की अंडरबॉडी और स्ट्रक्चर को हाई-रिजॉल्यूशन कैमरों से स्कैन करता है।
किसी भी संदिग्ध वस्तु जैसे बम, ज्वलनशील पदार्थ या असामान्य डिवाइस को सेकंडों में पहचान लेता है।
AI-बेस्ड एल्गोरिथ्म इमेजेस को प्रोसेस करके तुरंत अलर्ट भेजता है।
फायदा: बिना रुके, कुछ ही सेकंड में पूरी जांच।
2. ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन (ANPR)
गेट पर लगे कैमरे वाहनों की नंबर प्लेट को रीड करते हैं और डेटाबेस से मैच करते हैं।
अगर कोई वाहन ब्लैकलिस्टेड है, चोरी का है या क्राइम रिकॉर्ड से जुड़ा है, तो तुरंत अलर्ट।
यह सिस्टम 24×7 मॉनिटरिंग करता है और डेटा को सर्वर में स्टोर करता है।
फायदा: रियल-टाइम थ्रेट आइडेंटिफिकेशन।
3. डोर फ्रेम मेटल डिटेक्टर (DFMD)
गेट पर फुल-बॉडी मेटल डिटेक्टर गेट लगाए गए हैं।
आगंतुकों द्वारा लाए गए हथियार या धातु की संदिग्ध वस्तु का तुरंत पता।
साथ में बैगेज स्कैनिंग मशीन भी लगाई गई है।
फायदा: 100% सिक्योर एंट्री पॉइंट।
अन्य बदलाव – सिर्फ टेक्नोलॉजी ही नहीं, इंफ्रास्ट्रक्चर भी बदला
मुख्य प्रवेश द्वार को अधिक सुरक्षित और सुसज्जित बनाया गया है।
आधुनिक प्रतीक्षा कक्ष (Modern Lounge) का निर्माण किया गया है जिसमें एक साथ कई डेलीगेशन बैठ सकते हैं।
CCTV कैमरों की संख्या बढ़ाई गई और इनको AI एनालिटिक्स से जोड़ा गया।
पैनिक बटन और इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम भी लगाए गए हैं।
अन्य राज्यों की तुलना में एमपी का सिक्योरिटी अपग्रेड
भारत के कई राज्यों में सीएम हाउस की सुरक्षा पहले ही हाईटेक हो चुकी है।
✔ उत्तर प्रदेश (लखनऊ): CM Yogi Adityanath के निवास में UVSS और फेस रिकॉग्निशन सिस्टम।
✔ दिल्ली (सीएम आवास): ANPR और AI-बेस्ड CCTV पहले से एक्टिव।
✔ गुजरात: ड्रोन सर्विलांस का उपयोग।
एमपी का यह कदम इन राज्यों के समान सुरक्षा स्तर तक पहुंचने का संकेत है।
टेक्नोलॉजी क्यों जरूरी?
✔ मैनुअल चेकिंग में समय ज्यादा लगता है।
✔ मानवीय त्रुटियों का खतरा।
✔ AI-बेस्ड सिस्टम तुरंत अलर्ट भेजते हैं और रिकॉर्ड भी रखते हैं।
✔ किसी भी आतंकी या आपराधिक गतिविधि को समय रहते रोका जा सकता है।
सुरक्षा बढ़ने से आम जनता पर क्या असर?
सीएम से मिलने वालों को थोड़ा ज्यादा सिक्योरिटी प्रोसेस से गुजरना होगा।
लेकिन यह प्रक्रिया तेज और ऑटोमेटिक है, इसलिए ज्यादा समय नहीं लगेगा।
ज्यादा भरोसेमंद सुरक्षा का मतलब है राजनीतिक स्थिरता और सुरक्षित प्रशासन।
क्या आने वाले समय में और टेक्नोलॉजी जुड़ेगी?
सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स का मानना है कि भविष्य में:
✔ फेशियल रिकॉग्निशन सिस्टम लगेगा।
✔ बायोमेट्रिक एक्सेस कंट्रोल लागू हो सकता है।
✔ ड्रोन सर्विलांस और AI-पेट्रोलिंग रोबोट्स भी जुड़ सकते हैं।