
मंत्री केदार कश्यप पर मारपीट का आरोप: कांग्रेस का विरोध तेज, राजनीतिक भूचाल की आहट
मंत्री केदार कश्यप पर मारपीट का आरोप: कांग्रेस का विरोध तेज, राजनीतिक भूचाल की आहट

मंत्री केदार कश्यप पर कर्मचारी से मारपीट और जातिसूचक गाली का आरोप।

कर्मचारी लकवाग्रस्त, फिर भी दुर्व्यवहार का शिकार।
कांग्रेस का प्रदेशव्यापी पुतला दहन और बर्खास्तगी की मांग।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव की तीखी प्रतिक्रिया।
भाजपा सरकार की साख और चुनावी रणनीति पर असर।
मंत्री केदार कश्यप पर कर्मचारी से मारपीट और जातिसूचक गाली का आरोप।
कर्मचारी लकवाग्रस्त, फिर भी दुर्व्यवहार का शिकार।
कांग्रेस का प्रदेशव्यापी पुतला दहन और बर्खास्तगी की मांग।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव की तीखी प्रतिक्रिया।
भाजपा सरकार की साख और चुनावी रणनीति पर असर।
रायपुर/सरगुजा। छत्तीसगढ़ की राजनीति इन दिनों गरमाई हुई है। वजह है—जगदलपुर सर्किट हाउस में एक साधारण चतुर्थ वर्ग कर्मचारी खितेन्द्र पांडे के साथ राज्य के वरिष्ठ मंत्री केदार कश्यप का कथित दुर्व्यवहार। मारपीट, गाली-गलौज और जातिसूचक टिप्पणी के इस मामले ने न केवल प्रशासनिक हलकों में चिंता पैदा की है, बल्कि यह अब राजनीतिक मुद्दा भी बन चुका है।
घटना की जड़: एक कर्मचारी पर मंत्री का गुस्सा
शनिवार शाम को हुई इस घटना में मंत्री केदार कश्यप ने आरोप लगाया कि कर्मचारी खितेन्द्र पांडे ने उनके लिए कमरे नहीं खोले। इसी आरोप को लेकर मंत्री ने कथित रूप से थप्पड़ और जूतों से पिटाई की।
कर्मचारी ने पुलिस को दिए अपने लिखित आवेदन में साफ कहा है कि कमरे खुले हुए थे और वह रसोई में नाश्ता तैयार करने गए थे। आरोप है कि इसके बावजूद मंत्री ने न केवल शारीरिक हिंसा की बल्कि मां-बहन की गालियां और जातिसूचक अपशब्द भी कहे।
विशेष रूप से चौंकाने वाली बात यह है कि पीड़ित कर्मचारी पहले से ही लकवाग्रस्त (पक्षाघात से पीड़ित) है। ऐसे कर्मचारी के साथ इस तरह का व्यवहार स्वाभाविक रूप से अमानवीय और अस्वीकार्य माना जा रहा है।
कांग्रेस का आक्रोश: पूरे प्रदेश में पुतला दहन
घटना की जानकारी मिलते ही कांग्रेस ने इसे बड़ा मुद्दा बना लिया।
जिला कांग्रेस कमेटी सरगुजा ने रविवार को घड़ी चौक पर मंत्री का पुतला दहन किया और उनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग की।
जिला कांग्रेस अध्यक्ष बालकृष्ण पाठक ने कहा:
“जो व्यक्ति कर्मचारियों की भावनाओं को नहीं समझ सकता, उन्हें अपमानित करता है और जातिसूचक गालियां देता है, उसे मंत्रिपरिषद में बने रहने का कोई अधिकार नहीं है। कांग्रेस मुख्यमंत्री से इनकी तत्काल बर्खास्तगी की मांग करती है।”
नेताओं और कार्यकर्ताओं की मौजूदगी
इस विरोध प्रदर्शन में बड़ी संख्या में कांग्रेस कार्यकर्ता और पदाधिकारी शामिल हुए। इनमें अजय अग्रवाल, शफी अहमद, द्वितेन्द्र मिश्रा, हेमंत सिन्हा, रामविनय सिंह, सीमा सोनी, संजीव मंदिलवार, गुरुप्रीत सिद्धू, रजनीश सिंह, आशीष जायसवाल, रश्मि सोनी, अनुराधा सिंह, शकीला सिद्धकी सहित कई वरिष्ठ नेता और सैकड़ों कार्यकर्ता मौजूद रहे।
कांग्रेस ने इस घटना को सिर्फ स्थानीय मुद्दा न मानते हुए पूरे प्रदेश में पुतला दहन अभियान चलाने का निर्णय लिया है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव की तीखी प्रतिक्रिया
घटना ने कांग्रेस के शीर्ष नेताओं को भी आक्रामक बना दिया है।
पूर्व उपमुख्यमंत्री टी.एस. सिंहदेव ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी जताते हुए लिखा:
“यह घटना सत्ता के अहंकार और असंवेदनशीलता को उजागर करती है। भाजपा सरकार में जब कर्मचारी ही सुरक्षित नहीं हैं तो आम जनता की सुरक्षा की गारंटी कौन देगा? लोकतंत्र में जनता की सेवा करने वालों के साथ दुर्व्यवहार अस्वीकार्य है।”
उन्होंने सवाल उठाया कि क्या प्रदेश सरकार मंत्री के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करेगी या सत्ता के दबाव में मामले को दबा दिया जाएगा।
प्रशासनिक और कानूनी पहलू
कर्मचारी ने घटना की लिखित शिकायत जगदलपुर थाने में दर्ज कराई है। अब सवाल यह है कि पुलिस किस प्रकार की कार्रवाई करती है।
यदि जातिसूचक गालियों का मामला सही साबित होता है, तो अनुसूचित जाति-जनजाति अत्याचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज हो सकता है, जो बेहद गंभीर है और मंत्री के राजनीतिक करियर पर गहरा असर डाल सकता है।
भाजपा सरकार की मुश्किलें
भाजपा सरकार पहले ही विपक्ष के लगातार हमलों का सामना कर रही है। इस घटना ने सरकार की छवि को और चोट पहुंचाई है।
एक ओर यह मुद्दा कर्मचारी सुरक्षा और सम्मान से जुड़ा है।
दूसरी ओर, जातिसूचक गाली का पहलू इसे सामाजिक न्याय के सवाल से जोड़ता है।
भाजपा नेतृत्व के सामने अब दोहरी चुनौती है—
1. मंत्री को बचाने की कोशिश करना, जिससे विपक्ष का हमला तेज होगा।
2. या फिर मंत्री के खिलाफ कार्रवाई करना, जिससे पार्टी की आंतरिक राजनीति प्रभावित हो सकती है।
सामाजिक असर: संवेदनशील समुदायों में नाराजगी
घटना ने निचले तबके के कर्मचारियों और समाज के संवेदनशील वर्गों में गहरी नाराजगी पैदा की है। यह मुद्दा केवल एक व्यक्ति के साथ मारपीट तक सीमित नहीं है, बल्कि इसे सम्मान और गरिमा से जोड़कर देखा जा रहा है।
जातिसूचक टिप्पणी के आरोप ने इसे और अधिक विस्फोटक बना दिया है।
कांग्रेस की रणनीति
कांग्रेस इस घटना को जनता के बीच बड़े पैमाने पर उठाने की तैयारी में है।
पार्टी नेताओं का मानना है कि आने वाले चुनाव में भाजपा सरकार को कर्मचारियों और सामान्य वर्ग के आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।
कांग्रेस अब इस मुद्दे को “सत्ता का अहंकार बनाम आम जनता का सम्मान” के रूप में पेश करने की कोशिश करेगी।
आने वाले दिनों का परिदृश्य
यह विवाद अब केवल प्रशासनिक या व्यक्तिगत नहीं रहा। यह धीरे-धीरे एक राजनीतिक आंदोलन का रूप ले सकता है।
यदि सरकार कार्रवाई नहीं करती है, तो कांग्रेस इसे लेकर लगातार विरोध प्रदर्शन करेगी।
यदि कार्रवाई होती है, तो भाजपा के भीतर असंतोष और गुटबाजी सामने आ सकती है।
जगदलपुर सर्किट हाउस विवाद ने छत्तीसगढ़ की राजनीति में नया तूफान ला दिया है।
एक साधारण कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार का मामला अब प्रदेशव्यापी राजनीतिक मुद्दा बन गया है। कांग्रेस की रणनीति साफ है—इस घटना को सत्ता के अहंकार, सामाजिक न्याय और कर्मचारी सम्मान से जोड़कर जनता के बीच ले जाना।
भाजपा के लिए यह परीक्षा की घड़ी है। आने वाले दिनों में इस मामले की दिशा तय करेगी कि यह विवाद एक मंत्री तक सीमित रहता है या पूरे प्रदेश की राजनीति को हिला देता है।












