
कांग्रेस के प्रति समर्पण: 31 अक्टूबर को टीएस सिंह देव का जश्न न मनाने का भावुक कारण
टीएस सिंह देव, जिन्हें उनके समर्थक और आम जनता 'टीएस बाबा' कहकर पुकारते हैं, छत्तीसगढ़ की राजनीति में सादगी और दृढ़ निष्ठा का पर्याय हैं। 31 अक्टूबर का दिन, जो उनका जन्मदिन है, उनके लिए किसी उत्सव का नहीं, बल्कि एक गहरे भावुक संकल्प और अटूट राजनीतिक समर्पण का दिन है।
कांग्रेस के प्रति समर्पण: 31 अक्टूबर को टीएस सिंह देव का जश्न न मनाने का भावुक कारण
टीएस सिंह देव, जिन्हें उनके समर्थक और आम जनता ‘टीएस बाबा’ कहकर पुकारते हैं, छत्तीसगढ़ की राजनीति में सादगी और दृढ़ निष्ठा का पर्याय हैं। 31 अक्टूबर का दिन, जो उनका जन्मदिन है, उनके लिए किसी उत्सव का नहीं, बल्कि एक गहरे भावुक संकल्प और अटूट राजनीतिक समर्पण का दिन है।
टीएस सिंह देव का जन्म 31 अक्टूबर 1952 को हुआ था, लेकिन इस दिन वह अपनी उम्र बढ़ने की खुशी नहीं मनाते, बल्कि एक राष्ट्रीय क्षति को याद करते हैं।
- ऐतिहासिक दुःख: 31 अक्टूबर 1984 को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री और कांग्रेस की कद्दावर नेता श्रीमती इंदिरा गांधी की हत्या हुई थी।
- भावुक निर्णय: इंदिरा गांधी के निधन की तारीख और अपने जन्मदिन की तारीख एक होने के कारण, टीएस सिंह देव ने उसी दिन से जन्मदिन का जश्न मनाना त्याग दिया। यह फैसला केवल एक राजनीतिक शिष्टाचार नहीं, बल्कि गांधी परिवार और कांग्रेस पार्टी के प्रति उनके हृदय के गहरे सम्मान को दर्शाता है।
- निष्ठा का प्रमाण: एक महाराजा पृष्ठभूमि से आने वाले और राज्य की सबसे बड़ी पार्टी के शीर्ष पद पर रहने वाले नेता के लिए यह त्याग, उनके व्यक्तिगत जीवन से ऊपर वैचारिक और दलगत निष्ठा को रखने की उनकी प्रतिबद्धता का सबसे बड़ा सार्वजनिक प्रमाण है।
टीएस सिंह देव की यह निष्ठा आकस्मिक नहीं है, बल्कि उनकी पारिवारिक और राजनीतिक विरासत में गहराई से समाई हुई है।
- पारिवारिक संबंध: टीएस बाबा का परिवार दशकों से कांग्रेस पार्टी से जुड़ा रहा है। उनके दादा, महाराजा रामानुज शरण सिंहदेव, ने 1939 के त्रिपुरी अधिवेशन में अंग्रेजों के विरोध के बावजूद कांग्रेस को खुलकर समर्थन दिया था। उनके पिता और नेहरू परिवार के बीच भी घनिष्ठ व्यक्तिगत संबंध रहे।
- संकट में समर्पण: उनके राजनीतिक करियर के सबसे बड़े संघर्ष—मुख्यमंत्री पद की लंबी खींचतान—के दौरान भी, जब उन्हें कथित ‘ढाई साल के फॉर्मूले’ का लाभ नहीं मिला, उन्होंने आलाकमान के फैसलों पर कभी कोई सीधा हमला नहीं किया। यह उनके पार्टी अनुशासन और समर्पण को सिद्ध करता है।
आज टीएस सिंह देव के लिए 31 अक्टूबर का दिन केवल एक तारीख नहीं है, बल्कि श्रीमती इंदिरा गांधी को श्रद्धांजलि देने और जनसेवा के प्रति अपने संकल्प को नवीनीकृत करने का दिन है।
- उनके समर्थक इस दिन को ‘सेवा संकल्प दिवस’ के रूप में मनाते हैं, जिसमें रक्तदान शिविर और जरूरतमंदों को सहायता प्रदान की जाती है।
टीएस सिंह देव का जन्मदिन एक ऐसा उदाहरण है जो दिखाता है कि राजनीति में पद और सत्ता की आकांक्षाओं से ऊपर भी आदर्शों, बलिदान और अटूट समर्पण का स्थान होता है।












