
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ऑपरेशन सिंदूर पर किया टिप्पणी, महाभारत का उदाहरण देते हुए कहा- ‘जब युद्ध अनिवार्य हो…’
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने ऑपरेशन सिंदूर में भारतीय सशस्त्र बलों की भूमिका की सराहना की। महाभारत का उदाहरण देते हुए उन्होंने कहा, "शांति सर्वोपरि है, लेकिन जब युद्ध अनिवार्य हो, तो पूरी दृढ़ता से लड़ें।"
नई दिल्ली, 07 अक्टूबर 2025।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने भारतीय सशस्त्र बलों की प्रशंसा करते हुए कहा कि देश के सैनिकों ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान संयुक्त रणनीतिक दृष्टिकोण की ताकत का प्रदर्शन किया, जिससे एलओसी के पार आतंकी ढांचे का सफाया संभव हुआ।
राष्ट्रपति भवन में 65वें राष्ट्रीय रक्षा कालेज के पाठ्यक्रम के सदस्यों और शिक्षकों को संबोधित करते हुए मुर्मु ने महाभारत का उल्लेख किया। उन्होंने कहा कि यह महाकाव्य सदियों से हमारे मूल्य और संस्कृति की अभिव्यक्ति है। राष्ट्रपति ने कहा:
“हर प्रयास युद्ध से बचने और शांति बनाए रखने के लिए किया गया। कृष्ण ने शांति के प्रयासों का नेतृत्व किया। जब युद्ध अनिवार्य हो गया, तो कृष्ण ने अर्जुन को सभी संदेहों को दूर करने और बहादुरी से लड़ने के लिए कहा। यह दृष्टिकोण शांति और अहिंसा के मूल्यों का सम्मान करता है, लेकिन आवश्यक होने पर युद्ध में पूरी दृढ़ता से लड़ने की प्रेरणा देता है।”
राष्ट्रपति ने यह भी बताया कि बदलते भू-राजनीतिक और सुरक्षा परिदृश्य के चलते सशस्त्र बलों को तकनीकी रूप से उन्नत और बहु-क्षेत्रीय एकीकृत संचालन के लिए तैयार किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर में त्रि-सेवा समन्वय और संतुलित रणनीति के कारण नियंत्रण रेखा के पार और सीमा के भीतर आतंकी ढांचे को सफलतापूर्वक नष्ट किया गया।
उल्लेखनीय है कि यह ऑपरेशन 7 मई को पहलगाम आतंकवादी हमले के जवाब में शुरू किया गया था