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झारखंड की जेलों में हाईटेक मुलाकाती व्यवस्था लागू, अब कैदियों से हफ्ते में दो दिन मुलाकात संभव

नए जेल मैनुअल के तहत झारखंड की जेलों में अब कैदियों से हफ्ते में दो दिन मुलाकात की सुविधा मिलेगी। इंटरकॉम वॉइस सिस्टम और सीसीटीवी से लैस हाईटेक कक्षों में परिवारजन अब कैदियों से सुरक्षित और स्पष्ट बातचीत कर सकेंगे।

झारखंड की जेलों में हाईटेक मुलाकाती व्यवस्था लागू, अब कैदियों से हफ्ते में दो दिन मिल सकेंगे परिजन

रांची। झारखंड की जेलों में अब विचाराधीन कैदी अपने स्वजनों से हफ्ते में दो दिन मुलाकात कर सकेंगे। यानी, महीने में आठ बार मुलाकात की अनुमति होगी। पहले जहां 15 दिन में केवल एक बार मिलने की व्यवस्था थी, वहीं नए जेल मैनुअल में सुधार की दिशा में यह बड़ा कदम उठाया गया है।

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नए नियमों का उद्देश्य यह है कि कैदी में सुधार की भावना पैदा हो, वह अपनी गलती को समझे और जेल से एक बेहतर नागरिक बनकर निकले। इसी सोच के साथ जेलों में कैदियों और उनके परिजनों के बीच मुलाकात की व्यवस्था को हाईटेक और मानवीय रूप दिया गया है।

पहले जेलों में एक खिड़की के माध्यम से मुलाकात होती थी, जहां चार-पांच कैदी और उनके स्वजन ऊंची आवाज में बात करते थे। इससे शोरगुल, गोपनीयता की कमी और महिला स्वजनों के लिए असुविधा की स्थिति बनती थी। अब इस पुरानी व्यवस्था की जगह इंटरकॉम आधारित “इन पेयर विजिटर इंटरकॉम वॉइस लॉगर सिस्टम” लागू किया गया है।

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अब इंटरकॉम और इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन से होगी मुलाकात

नई व्यवस्था के तहत कैदी और स्वजन अलग-अलग केबिन में बैठकर इंटरकॉम के माध्यम से 10 मिनट तक बात कर सकेंगे। दीवार की दोनों ओर आठ से दस केबिन बनाए गए हैं, जिनमें इलेक्ट्रॉनिक स्क्रीन और इंटरकॉम लगाए गए हैं। इससे बातचीत साफ़-साफ़ सुनाई देगी और एक-दूसरे को देखा भी जा सकेगा।

प्रत्येक मुलाकाती कक्ष में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। बातचीत की रिकॉर्डिंग होगी, ताकि किसी विवाद या अनुचित गतिविधि की स्थिति में प्रमाण के तौर पर उपयोग किया जा सके।

राज्य की 31 जेलों में 90% से अधिक काम पूरा

राज्य में कुल 31 जेलें हैं, और लगभग 90 प्रतिशत से अधिक जेलों में यह हाईटेक मुलाकाती प्रणाली लागू हो चुकी है। इससे भीड़भाड़ की समस्या भी समाप्त हो जाएगी और जेल प्रशासन को निगरानी में सहूलियत मिलेगी।

इस नई व्यवस्था के लागू होने से कैदियों और उनके परिवारों के बीच संवाद का माहौल बेहतर हुआ है, जिससे सुधारात्मक प्रक्रिया को बल मिलने की उम्मीद है।


Ashish Sinha

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