
भोपाल में SIR सर्वे की शुरुआत, लापरवाही पर पहली कार्रवाई — कर्मचारी बर्खास्त
भोपाल में वोटर लिस्ट के स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) सर्वे की शुरुआत के पहले दिन ही कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने लापरवाही बरतने वाले कर्मचारी को बर्खास्त किया। जिलेभर में 2029 बीएलओ और 250 सुपरवाइजर डोर-टू-डोर सर्वे में जुटे हैं।
भोपाल में ‘SIR’ सर्वे की शुरुआत — लापरवाही पर पहली बड़ी कार्रवाई, कलेक्टर ने किया कर्मचारी बर्खास्त
भोपाल। राजधानी भोपाल में मतदाता सूची के गहन परीक्षण यानी स्पेशल इंटेंसिव रिवीजन (SIR) की शुरुआत के पहले ही दिन प्रशासन ने सख्त रुख अपना लिया। डोर-टू-डोर सर्वे में लापरवाही करने वाले एक कर्मचारी को कलेक्टर कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने बर्खास्त कर दिया। यह कार्रवाई जिले के अधिकारियों और कर्मचारियों को स्पष्ट संदेश देती है कि मतदाता सूची की शुद्धता से कोई समझौता नहीं होगा।
मंगलवार को एसआईआर सर्वे के पहले दिन कलेक्टर, एसडीएम, तहसीलदार, सुपरवाइजर और बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) घर-घर जाकर मतदाताओं को फॉर्म दे रहे थे। इस बीच जानकारी मिली कि गोविंदपुरा विधानसभा के बूथ नंबर 150 पर तैनात सहायक ग्रेड-3 प्रशांत दुबे ड्यूटी से अनुपस्थित रहे। जांच में आरोप सही पाए जाने पर कलेक्टर ने तत्काल बर्खास्तगी की कार्रवाई की।
कलेक्टर सिंह ने कहा — “यह कार्य अत्यंत संवेदनशील है। कोई भी अधिकारी या कर्मचारी यदि लापरवाही करेगा तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी। लोकतंत्र की नींव सही मतदाता सूची पर टिकी है।”
भोपाल जिले में इस कार्य के लिए कुल 2029 बीएलओ और 250 सुपरवाइजर नियुक्त किए गए हैं। ये सभी एक महीने तक घर-घर जाकर मतदाताओं को “गणना पत्रक” वितरित करेंगे। मतदाता को यह फॉर्म भरकर वापस जमा कराना होगा। बीएलओ को प्रत्येक घर पर तीन बार तक जाना अनिवार्य किया गया है ताकि कोई मतदाता छूट न जाए।
जिले में वर्तमान में 21 लाख से अधिक मतदाता हैं। अभियान के पहले ही दिन कलेक्टर सिंह ने खुद हुजूर विधानसभा के विभिन्न बूथों का दौरा कर कार्य की निगरानी की और मतदाताओं से बातचीत भी की।
यह सर्वे 2003 के बाद पहली बार इस पैमाने पर किया जा रहा है। जिन लोगों के नाम पुराने रिकॉर्ड में नहीं हैं, उन्हें परिवार के किसी सदस्य के नाम से जानकारी देनी होगी। बीएलओ फॉर्म में दर्ज जानकारी का सत्यापन करेंगे और सही पाए जाने पर ही नाम जोड़ा जाएगा।
यह प्रक्रिया मतदाता सूची को त्रुटिरहित बनाने के उद्देश्य से की जा रही है ताकि भविष्य में किसी को मतदान के अधिकार से वंचित न होना पड़े।
कलेक्टर सिंह ने स्पष्ट किया कि इस सर्वे के दौरान मतदाताओं से किसी भी प्रकार के दस्तावेज नहीं लिए जाएंगे। बीएलओ केवल ‘गणना पत्रक’ के माध्यम से दी गई जानकारी का सत्यापन करेंगे। यदि किसी मतदाता के परिवार में मृत्यु हो गई हो या कोई व्यक्ति स्थायी रूप से बाहर चला गया हो, तो संबंधित जानकारी फॉर्म में अंकित करनी होगी।
एसआईआर प्रक्रिया केवल चुनावी दस्तावेज़ अपडेट करने की कवायद नहीं है, बल्कि यह प्रशासनिक पारदर्शिता और जवाबदेही की दिशा में भी एक अहम कदम है। बीएलओ, सुपरवाइजर और राजस्व अधिकारियों को सख्त निर्देश दिए गए हैं कि किसी भी स्थिति में मतदाता सूची में गलत या दोहराव वाले नाम न रहें।
इस सर्वे से “डुप्लिकेट वोटर”, “मृत व्यक्तियों के नाम” और “दूसरे राज्य में शिफ्ट हुए लोगों” के रिकॉर्ड को भी अपडेट किया जाएगा।
पहले ही दिन बर्खास्तगी की कार्रवाई से प्रशासन ने यह संकेत दे दिया है कि कार्य में किसी भी तरह की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।
इस कार्रवाई के बाद अन्य विभागीय कर्मचारियों में भी सतर्कता बढ़ी है। चुनाव कार्यों में अक्सर ढिलाई देखने को मिलती है, लेकिन इस बार जिला प्रशासन ने शुरुआती चरण से ही निगरानी तेज कर दी है।
प्रशासन ने आम नागरिकों से अपील की है कि जब बीएलओ उनके घर पहुंचे, तो वे पूर्ण जानकारी सही-सही दें। गलत या अधूरी जानकारी देने से मतदाता सूची में त्रुटियां बढ़ सकती हैं। बीएलओ द्वारा दिए गए फॉर्म की एक प्रति मतदाता के पास रहेगी और दूसरी प्रशासन के रिकॉर्ड में रखी जाएगी।
भोपाल में एसआईआर सर्वे की शुरुआत सख्त अनुशासन और पारदर्शिता के साथ हुई है। एक कर्मचारी की बर्खास्तगी भले ही प्रशासनिक कार्रवाई हो, लेकिन यह लोकतंत्र के उस सिद्धांत को मजबूत करती है जो कहता है — “हर सही मतदाता का नाम सूची में हो, यही असली लोकतांत्रिक भागीदारी है।”
यदि यह पहल सफल होती है, तो यह पूरे मध्यप्रदेश के लिए एक आदर्श बन सकती है।







