
अयोध्या में धर्मध्वज आरोहण: संत समाज बोला—योगी धर्म के प्रहरी, 500 साल का सपना हुआ पूरा
अयोध्या में राम मंदिर पर धर्मध्वज प्रतिष्ठापन के दौरान संत समाज ने योगी आदित्यनाथ को धर्म का प्रहरी बताया। राम–जानकी विवाह पर्व का पूजन भी हुआ।
राम मंदिर पर धर्मध्वज आरोहण: संत समाज ने कहा—500 वर्षों की तपस्या का फल, योगी आदित्यनाथ धर्म परंपरा के प्रहरी
अयोध्या। 25 नवंबर 2025
राम जन्मभूमि मंदिर के शिखर पर आज धर्मध्वज का प्रतिष्ठापन अयोध्या के संत समाज के लिए केवल धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि 500 वर्षों के संघर्ष, तपस्या और प्रतीक्षा का पूर्णत्व है। अवधपुरी के संत और राम वैदेही मंदिर के प्रतिष्ठित संत दिलीप दास ने इस अवसर को “सनातन संस्कृति के वैश्विक उत्थान का क्षण” बताया।
“योगी आदित्यनाथ केवल मुख्यमंत्री नहीं, धर्म के प्रहरी” — संत दिलीप दास
संत दिलीप दास ने कहा कि अयोध्या मिशन के अंतर्गत सनातन संस्कृति का जैसा पुनरुद्धार हुआ है, वह अभूतपूर्व है।
उन्होंने कहा—
“योगी आदित्यनाथ केवल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री नहीं, बल्कि धर्म परंपरा की रक्षा के प्रहरी हैं। धर्म की स्थापना और सनातन परंपराओं के संरक्षण के लिए उनका योगदान ऐतिहासिक है।”
संतों ने यह भी कहा कि अयोध्या, काशी और मथुरा सहित भारत के आध्यात्मिक स्थलों का महिमामंडन और विकास सनातन चेतना को नई शक्ति दे रहा है।
विवाह पंचमी पर राम–जानकी विवाह पर्व का पूजन
विवाह पंचमी के अवसर पर आयोजित इस प्रतिष्ठा समारोह में बड़ी संख्या में मौजूद साधु-संतों ने प्रभु श्रीराम और माता जानकी के दिव्य विवाह पर्व का पूजन-अर्चन किया।
संत समाज का कहना है कि यह क्षण भारत के उज्ज्वल भविष्य की आस्था को अधिक मजबूत करता है और सनातन समाज के आत्मगौरव का शंखनाद है।
“यह वह क्षण है जिसकी कल्पना हमारे पूर्वजों ने सदियों पहले की थी” — संत समाज
संतों ने भावुक होकर कहा कि धर्मध्वज का आरोहण केवल एक अनुष्ठान नहीं बल्कि—
- भारत की आध्यात्मिक विरासत की मजबूती
- सनातन आस्था की वैश्विक प्रतिष्ठा
- पीढ़ियों के संघर्ष का प्रतिफल
उन्होंने कहा कि सदियों की कठिन यात्रा, संघर्ष, बलिदान और तपस्या के उपरांत आज का क्षण साकार हुआ है।
मोदी–योगी की भूमिका को संत समाज ने बताया आधार
संत समाज ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की भूमिका को राम मंदिर निर्माण और धर्मध्वज प्रतिष्ठापन की उपलब्धि का एक महत्वपूर्ण आधार बताया।
उनके अनुसार—
- डबल इंजन सरकार ने सनातन परंपराओं के संरक्षण को नई दिशा दी
- मठ–मंदिरों के संवर्धन और धार्मिक स्थलों पर सुविधाओं का विस्तार हुआ
- संत समाज को सम्मानजनक स्थान प्राप्त हुआ
संतों का कहना है कि यह शासन सनातन परंपरा के पुनरुद्धार और धार्मिक संस्कृति के संरक्षण का स्वर्णिम अध्याय लिख रहा है।











