
गोपाल सिंह विद्रोही प्रदेश खबर प्रमुख छत्तीसगढ़/सूरजपुर: खेत, पोखर, नदी, नाले सब सुख गए है। मायूस किसानों को अभी भी बारिश की उम्मीद लगी हुई है की आज नहीं तो कल बारिश होगी किसी प्रकार की धर्म को फसल को बचाया जा सकता है। गत 10-15 दिनों से कोयलांचल में बारिश नहीं हो रही है। जिससे क्षेत्र के सभी खेत, नदी नाले ,पोखर, गड्ढे सब सुख गए है!
जानकारी के अनुसार गत 10 से 15 दिनों के बीच कोयलांचल में बारिश नहीं हो रही है जिससे किसानों की बोनी पर बुरा असर पड़ रहा है। किसान किसी तरह से चाह रहे हैं कि तलाब ,पोखर एवं गड्ढों से डीजल पंप सेट से पानी निकाल कर एक बार बोनी कर ले। ईश्वर चाहा तो आज नहीं तो कल बारिश होगी परंतु गड्ढे पोखरी का पंप से खिंचाई होने से वह भी सूख गए हैं। किसान यह नहीं समझ पा रहे हैं कि अब क्या करें ।
किसान इस उम्मीद पर अभी भी अपने खेतों में जोताई बुनाई में लगा तो है परंतु चेहरे से मुस्कान पूरी तरह से जा चुकी है। मायूस किसान अपनी जमा पूंजी खेतों में फेंकते जा रहे है। ईश्वर से एक उम्मीद है कि आज नहीं तो कल बारिश होगी। धान की बोनी होगी ।फसल लहराएगी। ईश्वर चाहा तो फिर परिवार के सदस्यों के चेहरे पर मुस्कान आएगी। अब केवल उनकी उम्मीद बारिश पर ही लगी हुई है। खेत में लगे धान एवं धान का रोपा सूख रहा है ।धान के पत्तियों पर कीड़े लगने लगे है। खेतों में दरार पड़ने लगे है। यदि यही हाल रहा तो पूरा कोलांचल क्षेत्र सूखे की चपेट में आ जायेगा । आज इसी कड़ी में नवभारत प्रतिनिधि गोपाल सिंह विद्रोही ने कोयलांचल के पहाड़ गांव, करतम्मा, राजापुर, गणेशपुर, गोपालपुर, महेशपुर ,तेलाइ कछार , कंदराई, जामदेई,पेंडराखी आदि ग्रामों का दौरा कर किसानों की समस्या सुनी तो उनकी पीड़ा उनके अंदर से बाहर छलक पड़ी।आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया -ग्राम पंचायत परसा पारा के मझिले किसान संतोष कुमार अपनी पीड़ा बताते कहते है40 हजार रु जोड़ी का भैसा की खरीदी खेती के लिए की है।तीन एकड़ खेतो के लिए धान का बीज लगाने खेतों की तैयारी कर रहे है।प्रति एकड़ धन बिज यूएस312 ,6 किलो (2)पैकेट कीमत 1600 रू डी ए पी प्रतिबोरा 1200,यूरिया प्रतिबोरा यूरिया 267 सोसायटी में ,खुले बाजार में डी ए पी 1700रू ,यूरिया 700रू , चिल्हार प्रतिकिलो यूरिया 15 रू, डी ए पी 32 रू मिल रहा है । 15 मजदूर बीज उखाड़ने धान रोपने के लिए लगते हैं जिसकी मजदूरी 3000 पड़ता है। इन दिनों पंपसेट से पानी लेकर खेतों की तैयारी की जा रही है 1 एकड़ में 5 लीटर डीजल लग रहा है।कीटनाशक दवाइयां अलग से खरपतवार के लिए अलग में जोर लगाना पड़ता है इस प्रकार धान की खेती में आमदनी अठन्नी खर्चा रुपैया हो पा रहा है। ग्राम पंचायत परसा पारा राकेश शहंशाह एवं सिरदार पारा के शक्ल सिंह शक्ल सिंह ने कहा कि ट्रैक्टर से जुताई के लिए जुताई के लिए 1 एकड़ में दो बार कम से कम करना पड़ता है। अब आप समझ सकते हैं की 99रू डीजल खरीद कर खेतो की जुताई किस हाल में करना पड़ता है? न तो खाद बीज एवं डीजल पर सरकार का नियंत्रण है और न ही राज्य सरकार किसी प्रकार का किसानों की सहूलियत दे रही है। यदि यही हाल रहा तो खेती किसानी के काम हम सब हमेशा के लिए छोड़ देंगे।












