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बिश्रामपुर दैनिक सब्जी बाजार कांप्लेक्स में बड़े विक्रेताओं द्वारा ग्रामीण सब्जी विक्रेताओं से अच्छे व्यवहार न किए जाने से फुटपाथ पर सब्जी बेचने को मजबूर

बिश्रामपुर दैनिक सब्जी बाजार कांप्लेक्स में बड़े विक्रेताओं द्वारा ग्रामीण सब्जी विक्रेताओं से अच्छे व्यवहार न किए जाने से फुटपाथ पर सब्जी बेचने को मजबूर
गोपाल सिंह विद्रोही प्रदेश खबर प्रमुख छत्तीसगढ़ बिश्रामपुर
– दैनिक बाजार के सब्जी विक्रेताओं के खौफ से ग्रामीण सब्जी विक्रेता फुटपाथ पर सब्जी बेचने के लिए मजबूर है।
इस संबंध में जानकारी के अनुसार स्थानीय बस स्टैंड स्थित दैनिक गुदरी सब्जी बाजार कांप्लेक्स में यूं तो नगर पंचायत बिश्रामपुर ने सब्जी विक्रेताओं को चबूतरा एवं चबूतरा के नीचे सब्जी रखने के लिए स्टोर करने की सुविधा प्रदान की है। जिस पर सब्जी रखा स्थानीय सब्जी विक्रेता नियमित बाजार लगाते हैं परंतु सब्जी कॉन्प्लेक्स चबूतरा पर कुछ सब्जी विक्रेताओं ने दबंगई दिखाते हुए कई कई आवंटित चबूतरे के अतिरिक्त अन्य चबूतरे पर भी जबरन कब्जा जमा लिया है। जिससे मौसमी सब्जियों के लेकर ग्रामीण किसान यदि कंपलेक्स में सब्जी बेचने पहुंचते हैं तो उन्हें कतिपय सब्जी विक्रेताओं द्वारा कांप्लेक्स के नीचे सब्जी रखकर बेचने नहीं दिए जाते हैं। मजबूरन ग्रामीण सब्जी विक्रेताओं द्वारा भटगांव विश्रामपुर मार्ग राणा प्रताप चौक के समीप फुटपॉथ एवं नाली पर सब्जी बेचने मजबूर है। अपनी व्यथा बताते हुए पंपापुर निवासी सब्जी विक्रेता शिवचरण, गीरवरगंज की महिला संतोषी, राम बाई , इंद्र कुंवर, रामधनी कुमार सब्जी विक्रेता विक्रेता कहती है कि फुटपाथ पर सब्जी बेचते हैं तो धमका चमका कर कांप्लेक्स के अंदर भेजते है लोग। जब सब्जी कांप्लेक्स में बेचते है तो वहां से लोकल सब्जी विक्रेता जिन्हे चबूतराआबंटित है वे लोग वहां से भगा देते हैं। कहते हैं अपनी सब्जी हमें दे दो। सस्ते भाव में खरीदने हेतु दबाव बनाते हैं और महंगे भाव में बेचते हैं। इस तरह से कॉन्प्लेक्स के अंदर एवं कांप्लेक्स के बाहर दोनों जगहों पर जलील होना पड़ता है अब जाएं तो जाएं कहां। इन महिला पुरुष सब्जी विकसित होने बताया आने जाने मे 30 रू किराया लग जाता है वह अलग से परेशानी है ।विश्रामपुर आने पर इस जगह से उस जगह सब्जी लेकर जगह-जगह भटकना पड़ता है। उसमे सारा दिन बर्बाद हो जाता है। वह अलग से परेशानी है। बाहरहाल ग्रामीण सब्जी विक्रेताओं का परेशान करने का मुख्य कारण बताया जाता है कि गांव के किसान यदि कंपलेक्स में सब्जी लेकर नहीं पहुंचते हैं तो लोकल सब्जी विक्रेताओं के द्वारा उपभोक्ताओं को अवने पौने दामों पर सब्जी बेच कर कमाई की जा रही है। इस संबंध में श्रमिक नेता नरेंद्र सिंह चौहान ने कहा कि ग्रामीण सब्जी विक्रेताओं के साथ लोकल सब्जी विक्रेता का व्यवहार न्याय उचित नहीं है और न ही मानवीय दृष्टिकोण से सही कहा जा सकता है। नगर पंचायत को ऐसे सब्जी विक्रेताओं का चबूतरा आबंटित चबूतरा को रद्द करना चाहिए 1से 2 चबूतरे पर काबिज करने वाले सब्जी विक्रेताओं पर उचित कार्रवाई करना चाहिए तथा ग्रामीण सब्जी विक्रेताओं को प्राथमिकता के आधार पर कांप्लेक्स में स्थान मिलनी चाहिए।

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Ashish Sinha

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