
जया पंचमी 09 नवंबर, श्री हरि पूजा-सुख शांति समृद्धि (संदर्भ- भविष्योत्तर पुराण)में वृद्धि होती है।
जया पंचमी 09 नवंबर, श्री हरि पूजा-सुख शांति समृद्धि (संदर्भ- भविष्योत्तर पुराण)में वृद्धि होती है।
09 नवंबर 2021 जया पंचमी, सुख शांति समृद्धि, जया पंचमी कार्तिक शुक्ल पक्ष पंचमी, विष्णु जी की पूजा,जया देवी के साथ करने से ब्रह्महत्या एवं दैनिक जीवन में , जाने अनजाने में हुए पापों का निराकरण होकर सुख शांति में वृद्धि होती है।
विधि
जया पंचमी के दिन , प्रात: सूर्योदय से एक घंटे पूर्व या एक घंटे पश्चात की अवधि मे तिल एवम तैल से उबटंन करे। तीर्थ जल अथवा तीर्थों के स्मरण कर स्नान करना चाहिए।
यह भगवान हरि की पूजा का दिन है। विष्णु के बाएं भाग में जया देवी की स्थापना करना चाहिए। या किसी पेपर पर विष्णु जी के चित्र के साथ उनके बाएं भाग में जया देवी का चित्र निर्मित करना चाहिए।
इसके बाद रोली पुष्प आदि उन को अर्पण करना चाहिए। विष्णु जी के चरण, घुटने ,उदर, वक्ष, मुख और मस्तक पर तिलक से स्पर्श करना चाहिए।
मंत्र- पद्मनाभाय नमः ।नरसिंहाय नमः। मन्मथाय नमः ।दामोदराय नमः ।
जल अर्ध्य
जयाय जय रुपपाय जय गोविंद रूपिणे। जय दामोदरायेति जय सर्व नमोस्तुते ते।
दान-
बॉस के टोकनी डलिया में सात प्रकार के अन्य रखकर लाल वस्त्र से ढककर ब्राह्मण को या विष्णु मंदिर में दान करना चाहिए।
दान मंत्र-
यथा वेणु फलम दृष्ट्वा तुष्यते मधुसूदन:।
तथा में अस्तु शुभम सर्वम नमोस्तुते ते। ऐसा बोल कर मंदिर में या ब्राह्मण को दान करें
रक्षापोटली बंधन –
इसके पश्चात एक वस्त्र में पुष्प , रोली ,सरसों, और दूर्वा रखकर रखें। उसे उपर से बांधे।
शुरू हरि के हाथ मे बांधे। –
।यह रक्षा पोटली कहलाती है। बाद मे इसे घर में रख देना चाहिए ।