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गरियाबंद : बल्दी बाई के निधन की खबर से भावूक हुए राहूल गांधी,परिजनो को पत्र लिखकर दी मृत आत्मा को श्रध्दाजंली

जनपद पंचायत के सीईओं राहूल गांधी के पत्र लेकर पहुचे कुल्हाडीघाट

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रिखीराम नागेश/ ब्यूरो चीफ गरियाबंद/लोकसभा सांसद कांग्रेस नेता राहूल गांधी ने श्रीमती बल्दी बाई के निधन पर दुख व्यक्त किया है उन्होने श्रीमती बल्दी बाई के परिजनों को पत्र लिखकर मृत आत्मा को श्रध्दाजंली देते हुए अपनी संवेदना व्यक्त की है आज शनिवार को जनपद पंचायत मैनपुर के मुख्यकार्यापालन अधिकारी नरसिंह ध्रुव राहुल गांधी के पत्र को लेकर बल्दी बाई के परिजन उसके पौत्र धनसाय सोरी से मुलाकात कर उन्हे पत्र सौपा सांसद श्री राहूल गांधी ने पत्र में उल्लेख किया है कि स्वः श्रीमती बल्दी बाई का मेरे परिवार के प्रति बहुत गहरा स्नहे था, छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान उन्होंने उनके पिता स्व. राजीव गांधी का आत्मीयता से स्वागत सत्कार किया था शोक की इस घड़ी में वे बल्दी बाई ओर उसके परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त करता हूॅ।

तहसील मुख्यालय मैनपुर से 18 किलोमीटर दुर विशेष पिछडी जनजाति ग्राम कुल्हाडीघाट में 14 जुलाई 1985 को देश के तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी एंव उनकी धर्मपत्नी सोनिया गांधी को जंगली कंद मूल खिलाने वाली बल्दी बाई का दो दिन पूर्व निधन हो गया, बल्दी बाई के निधन पर पूर्व एआईसीसी अध्यक्ष राहुल गांधी ने शोक प्रकट किया है, अपने शोक संदेश में ईश्वर से बल्दी की आत्मा को शांति प्रदान करने और परिजनों को असहाय पीड़ा सहन करने की शक्ति प्रदान करने की संवेदना प्रकट की है,अपने पत्र में राहुल ने कहा है कि बल्दी बाई का उनके परिवार के प्रति गहरा स्नेह था,छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान उन्होंने उनके पिता स्व. राजीव गांधी का आत्मीयता से स्वागत किया था। शोक की इस घड़ी में वे बल्दी बाई ओर उसके परिवार के प्रति संवेदना प्रकट करते है।

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गौरतलब है कि मैनपुर के कुल्हाड़ीघाट निवासी बल्दी बाई का 6 मई की सुबह आकस्मिक निधन हो गया था, एक दिन पहले ही वह कोरोना को मात देकर मेकाहारा से अपने घर लौटी थी, उनके निधन पर प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ओर पीसीसी चीफ मोहन मरकाम भी अपनी संवेदनाएं प्रकट कर चुके है,बल्दी बाई के कोरोना संक्रमित होने की खबर सुनते ही मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने मेकाहारा में उनके बेहतर इलाज के लिए डॉक्टरों को निर्देशित किया था, 10 दिन इलाज के बाद 98 वर्ष की उम्र में वे कोरोना को मात देकर घर लौट आयी थी, फिर अगले दिन अचानक हृदयगति रुकने से उनका निधन हो गया था। जिले के कई स्थानीय नेताओं ने भी उनके निवास पहुंचकर अपनी संवेदनाएं प्रकट की है।

गौरतलब है कि बल्दी बाई 14 जुलाई 1985 में तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी और उनकी पत्नी सोनिया गांघी को प्रवास के दौरान अपनी झोपड़ी में कंदमूल खिलाकर अचानक सुर्खियों में आ गयी थी, उसके बाद से जब भी कांग्रेस के कोई बडे नेता मैनपुर कुल्हाडीघाट प्रवास होता था बल्दी बाई से मुलाकात करने नही भुलते थे,,बल्दी बाई के कारण ही कांग्रेस ने कुल्हाडीघाट को गोद लिया और कई कार्यो को विस्तार दिया, कांग्रेस के वरिष्ठ सांसद मोहसिना किदवई ने भी अपने कार्याकाल मे कुल्हाडीघाट को गोद लिया था बल्दी बाई के निंधन से कांगे्रस को बहुत बडे क्षति पहुची है, जिसे कभी पुरा नही किया जा सकता।

Ashish Sinha

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