
कोरबा में दोबारा हुआ पावर प्लांट का शिलान्यास, सियासत गर्म
कोरबा में दोबारा हुआ पावर प्लांट का शिलान्यास, सियासत गर्म
रायपुर, 30 मार्च 2025। छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर से बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। कोरबा में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी के 1320 मेगावाट के सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट का शिलान्यास दोबारा किए जाने को लेकर विपक्ष ने भाजपा सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं। कांग्रेस का दावा है कि इस परियोजना का शिलान्यास भूपेश बघेल की सरकार के कार्यकाल में ही किया जा चुका था, लेकिन नई सरकार ने इसे ठंडे बस्ते में डालने के बाद अब पुनः शिलान्यास करवा दिया। इस घटनाक्रम के बाद सत्तारूढ़ भाजपा और विपक्षी कांग्रेस के बीच राजनीतिक तनातनी तेज हो गई है।
### पहले हो चुका था शिलान्यास
कोरबा जिले में प्रस्तावित 1320 मेगावाट (620×2) क्षमता के दो सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट को लेकर 25 अगस्त 2022 को तत्कालीन कांग्रेस सरकार ने फैसला लिया था। इस परियोजना को वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद 30 जुलाई 2023 को तत्कालीन मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, उपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव, विधानसभा अध्यक्ष डॉ. चरणदास महंत और राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल की उपस्थिति में शिलान्यास किया गया था। परियोजना पर काम भी शुरू किया गया था, लेकिन सत्ता परिवर्तन के बाद भाजपा सरकार ने इस पर कोई ध्यान नहीं दिया और इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया।
अब नई सरकार ने उसी परियोजना का फिर से शिलान्यास करवा दिया, जिससे कांग्रेस हमलावर हो गई है। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा की सरकार के पास अपनी कोई मौलिक योजना नहीं है, इसलिए वह पूर्ववर्ती सरकार की परियोजनाओं को नया रूप देकर जनता को भ्रमित करने का प्रयास कर रही है।
### अगर काम जारी रहता तो निर्माण पूरा हो चुका होता
कांग्रेस का कहना है कि यदि नई सरकार ने इस परियोजना को समय पर जारी रखा होता तो अब तक इसका निर्माण कार्य पूरा हो चुका होता और इससे छत्तीसगढ़ की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 4000 मेगावाट से अधिक हो जाती। यह पावर प्लांट प्रदेश की बिजली जरूरतों को पूरा करने में सहायक होता और राज्य को आर्थिक रूप से भी मजबूती प्रदान करता।
लेकिन, सत्ता परिवर्तन के बाद इस योजना को अनदेखा किया गया और जब विपक्ष ने सरकार से सवाल किए, तो आनन-फानन में उसी योजना का दोबारा शिलान्यास करवा दिया गया। इससे न केवल समय की बर्बादी हुई, बल्कि प्रदेश के औद्योगिक विकास और ऊर्जा क्षेत्र को भी नुकसान पहुंचा।
### सत्ता परिवर्तन के बाद योजनाओं का बदला नाम
प्रदेश में दिसंबर 2023 में सत्ता परिवर्तन के बाद कांग्रेस सरकार की कई योजनाओं को बंद कर दिया गया या उनके नाम बदल दिए गए। कांग्रेस का आरोप है कि भाजपा सरकार ने सवा साल में कोई नई जनकल्याणकारी योजना शुरू नहीं की है। इसके बजाय उसने कांग्रेस सरकार की योजनाओं के नाम बदलने और उन्हें अपने खाते में जोड़ने का ही काम किया है।
कांग्रेस का यह भी आरोप है कि भाजपा सरकार ने अपने ही शीर्ष नेताओं को गुमराह कर गलत निर्णय लेने के लिए मजबूर किया। जिस योजना का शिलान्यास पहले ही हो चुका था, उसका दोबारा शिलान्यास करवा देना एक बड़ी प्रशासनिक चूक को दर्शाता है।
### भाजपा पर गुमराह करने के आरोप
इस पूरे घटनाक्रम के बाद कांग्रेस ने भाजपा सरकार से माफी मांगने की मांग की है। विपक्ष का कहना है कि जनता को गुमराह करने और प्रधानमंत्री से एक ही परियोजना का दोबारा शिलान्यास कराने के लिए मुख्यमंत्री और भाजपा सरकार को सार्वजनिक रूप से खेद व्यक्त करना चाहिए।
राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि यह मामला केवल एक परियोजना के दोबारा शिलान्यास का नहीं, बल्कि शासन की कार्यप्रणाली और राजनीतिक रणनीति से जुड़ा है। इससे स्पष्ट होता है कि सत्ता परिवर्तन के बाद योजनाओं को लागू करने में देरी हुई, जिससे प्रदेश की विकास योजनाओं को नुकसान हुआ।
अब यह देखना होगा कि भाजपा सरकार इस आरोप पर क्या प्रतिक्रिया देती है और क्या वह यह स्पष्ट करेगी कि पहले से स्वीकृत और शिलान्यास हो चुकी परियोजना को दोबारा शुरू करने की जरूरत क्यों पड़ी। विपक्ष ने इस मुद्दे को जनता के बीच ले जाने का संकेत दिया है, जिससे यह आने वाले दिनों में बड़ा राजनीतिक मुद्दा बन सकता है।