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चिराग परियोजना में किसानों को समन्वित कृषि प्रणाली अपनाने प्रेरित किया जाएगा

रायपुर। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय में मंगलवार को चिराग परियोजना के अन्तर्गत कार्यरत मैदानी कार्यकर्ताओं एवं परियोजना अमले को ‘‘समन्वित कृषि प्रणाली’’ के बारे में विस्तृत जानकारी देने के लिए चार दिवसीय तकनीकी प्रशिक्षण कार्यक्रम प्रारंभ किया गया। प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. गिरीश चंदेल ने किया। समारोह की अध्यक्षता चिराग परियोजना की संचालक डॉ. चंदन संजय त्रिपाठी ने की। इस चार दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम के अंतर्गत चिराग परियोजना के मैदानी कार्यकर्ताओं को कृषि के साथ-साथ पशुपालन, डेयरी, मछली पालन, कुक्कुट पालन, मशरूम उत्पादन तथा अन्य आयमूलक गतिविधियों के समन्वित क्रियान्वयन के संबंध में विषय विशेषज्ञों द्वारा गहन प्रशिक्षण दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि चिराग परियोजना छत्तीसगढ़ राज्य के आठ जिलों – कांकेर, कोण्डागांव, नारायणपुर, बस्तर, दंतेवाड़ा, बीजापुर, सुकमा और मुंगेली के 14 विकासखण्डों में संचालित है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय चिराग परियोजना में तकनीकी मार्गदर्शन एवं सहयोग प्रदान कर रहा है।

प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ करते हुए कुलपति ने कहा कि चिराग परियोजना का मुख्य उद्देश्य राज्य के किसानों की आमदनी बढ़ाना तथा कृषक परिवारों को पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराना है। डॉ. चंदेल ने कहा कि यह विडंबना है कि लोगों का पेट भरने और उन्हें पोषण उपलब्ध कराने वाले किसानों के परिवार स्वयं अच्छे पोषण से वंचित रह जाते हैं। उन्होंने कृषि वैज्ञानिकों से आव्हान किया कि किसान जिन फसलों का पूर्व से उत्पादन कर रहें हैं, उन्हीं फसलों की अधिक पोषक मूल्य वाली किस्में उगाने के लिए उन्हें प्रेरित किया जाना चाहिए। इसके लिए विभिन्न फसलों की न्यूट्रीशनल प्रोफाइल बनाकर अधिक पोषण मूल्य वाली किस्मों को कार्यक्रम में शामिल करना चाहिए। डॉ. चंदेल ने कहा कि इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा विभिन्न फसलों के प्रसंस्करण एवं मूल्य संवर्धन पर काफी अच्छा कार्य किया जा रहा है और कृषक उत्पादक समूहों तथा महिला स्व-सहायता समूहों को इनसे जोड़ते हुए उनके लिए मार्केट लिंकेज उपलब्ध कराया जा रहा है।

चिराग परियोजना की संचालक डॉ. चंदन संजय त्रिपाठी ने कहा कि चिराग परियोजना एशिया की एकमात्र ऐसी परियोजना है जिसमें पोषण आधारित कृषि पर कार्य किया जा रहा है। इसमें कृषक परिवारों की महिलाओं एवं बच्चों के लिए पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराने को प्राथमिकता दी जा रही है। परियोजना के तहत विशेष रूप से आदिवासी क्षेत्रों पर ध्यान केन्द्रित किया गया है। इस परियोजना का एक प्रमुख उद्देश्य आदिवासी कृषक परिवारों में सामाजिक एवं व्यवहारगत परिवर्तन लाना है जिससे महिलाओं तथा बच्चों को पर्याप्त पोषण मिल सके। उन्होंने कहा कि समन्वित कृषि प्रणाली के माध्यम से किसानों को परंपरागत फसलों के साथ-साथ अन्य आयमूलक एवं पोषण वर्धक उद्यमों को अपनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है। डॉ. त्रिपाठी ने कहा कि राज्य में संचालित गौठानों को चिराग परियोजना से जोड़ा जाएगा। शुभारंभ कार्यक्रम को इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के निदेशक विस्तार सेवाएं डॉ. अजय वर्मा ने भी संबोधित किया। चिराग परियोजना तकनीकी सहयोग दल के टीम लीडर डॉ. के.एल. नंदेहा ने परियोजना के उद्देश्यों लक्षयों एवं गतिविधियों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में कृषि विश्वविद्यालय से संचालक अनुसंधान डॉ. विवेक कुमार त्रिपाठी, निदेशक प्रक्षेत्र एवं बीज डॉ. एस.एस. टुटेजा, अधिष्ठाता कृषि महाविद्यालय रायपुर डॉ. जी.के. दास, कृषि अभियांत्रिकी महाविद्यालय, रायपुर के अधिष्ठाता डॉ. विनय पाण्डेय, अधिष्ठाता खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर डॉ. ए.के. दवे, अधिष्ठाता छात्र कल्याण डॉ. संजय शर्मा सहित अनेक कृषि वैज्ञानिकगण, पशुपालन एवं पशु चिकित्सा विभाग छत्तीसगढ़ शासन तथा चिराग परियोजना के वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित थे।

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