
अयोध्या दीपोत्सव 2025: 26 लाख दीयों का विश्व रिकॉर्ड, ‘एक दीया राम के नाम’ ऑनलाइन बुकिंग
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में अयोध्या दीपोत्सव 2025 की तैयारी। इस बार 26 लाख 11 हजार दीये जलेंगे। 'दिव्य अयोध्या' पोर्टल पर 'एक दीया राम के नाम' कार्यक्रम के तहत ऑनलाइन बुकिंग करें और पाएं दिवाली के बाद प्रसाद व स्मृति चिन्ह।
अयोध्या दीपोत्सव 2025: 26 लाख दीयों के साथ जगमगाएगी डिजिटल आभा, राम की पैड़ी पर बनेगा नया विश्व रिकॉर्ड
अयोध्या धाम: रामलला के भव्य मंदिर में विराजमान होने के बाद अयोध्या में आयोजित होने जा रहा नौवां दीपोत्सव 2025 इस बार ऐतिहासिक होने वाला है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में, अयोध्या को केवल दीपों से ही नहीं, बल्कि डिजिटल आभा से भी जगमगाने की तैयारी अंतिम चरण में है, जिसका उद्देश्य इसे विश्व के सांस्कृतिक मानचित्र पर एक डिजिटल और आध्यात्मिक नगरी के रूप में स्थापित करना है।
इस दीपोत्सव में तकनीक और संस्कृति का एक अद्भुत संगम पेश किया जाएगा। धर्मपथ से लेकर लता चौक, रामकथा पार्क और सरयू घाट तक, अयोध्या का हर कोना रोशनी की अद्भुत छटा से नहाया रहेगा।
26 लाख दीयों का विश्व रिकॉर्ड
दीपोत्सव की सबसे बड़ी विशेषता है राम की पैड़ी पर दीपों का प्रज्वलन।
- लक्ष्य: इस बार राम की पैड़ी के 56 घाटों पर कुल 26 लाख 11 हजार 101 दीप प्रज्वलित किए जाएंगे।
- रिकॉर्ड: इतनी बड़ी संख्या में दीप प्रज्वलित करके दीपोत्सव में एक बार फिर विश्व रिकॉर्ड बनाया जाएगा, जो अयोध्या की वैश्विक पहचान को और मजबूत करेगा।
“एक दीया राम के नाम”: डिजिटल भागीदारी की पहल
अयोध्या न आ पाने वाले लाखों रामभक्तों के लिए श्री अयोध्या तीर्थ विकास परिषद ने एक अनोखी पहल शुरू की है: “एक दीया राम के नाम” कार्यक्रम।
इस कार्यक्रम के माध्यम से भक्त दीपोत्सव में डिजिटल रूप से शामिल हो सकेंगे।
- बुकिंग: प्रतिभागी “दिव्य अयोध्या” पोर्टल या एप्लिकेशन के माध्यम से तीन पैकेजों में से किसी एक को ऑनलाइन बुक कर सकते हैं।
- प्रक्रिया: बुकिंग करने पर, दीपोत्सव के दौरान भक्त के नाम पर राम की पैड़ी पर एक दीया जलाया जाएगा।
- उपहार: दिवाली के बाद, भक्तों को उनके दिए गए पते पर एक विशेष उपहार भेजा जाएगा, जिसमें प्रसाद, पुस्तकें और अयोध्या तथा सरयू नदी से संबंधित एक स्मृति चिन्ह शामिल होगा।
यह पहल सुनिश्चित करती है कि रामलला के पहले भव्य दीपोत्सव में दुनिया भर के रामभक्तों की भावनाएं शामिल हो सकें, चाहे वे शारीरिक रूप से अयोध्या में मौजूद न हों।












