
तिल्दा-नेवरा नगर के हास्पीटलो में अब भी जरूरत मंद मरीजों को हास्पीटल प्रबंधन के मनमानी के चलते ब्लड के लिए डोनरो के चक्कर काटने पड़ते है…
खरोरा.ब्लड बैंक से सुविधायुक्त तिल्दा-नेवरा नगर के हास्पीटलो में अब भी जरूरत मंद मरीजों को हास्पीटल प्रबंधन के मनमानी के चलते ब्लड के लिए डोनरो के चक्कर काटते
आए दिन देखाजा सकता है जिससे क्षुब्ध संजीवनी रक्त दाता संघ जैसे सामाज सेवी संगठनों में आक्रोश ब्याप्त है…जानकारी में आया है कि बीते वर्षो में जी.एम.आर.पांवर प्राईवेट लिमिटेड के द्वारा तिल्दा-नेवरा नगर के मिशन ईवेन्जिकल हास्पीटल में आवश्यकता के अनुरूप मांग को देखते हुए ब्लड बैंक की स्थापना की गई थी उक्त ब्लड बैंक में नगर के इनसे जुड़े सामाजिक संस्थाओं द्वारा आए दिन ब्लड डोनेट कर स्टोर किया जाता है ताकि जरूरत मंद मरीजों को आपातकालीन में ब्लड के लिए भटकना न पड़े परंतु सामाजिक संस्थाओं का जनहितैषी मंशाओं में उस समय पानी फिर जाता है जब ज्ञात होता है कि आपात स्थिति में ब्लड बैंक में ब्लड की दरकरार पड़ गयी है और हास्पीटल मैनेजमेंट ब्लड की कमी का हवाला देते हुए मरीज व उनके परिजनों को अन्यत्र स्थलो से ब्यवस्था हेतु दबाव डालते हैं…ब्लड बैंक की सुविधा के बावजूद जरूरत मंदो को समय पर ब्लड से वंचित होने से क्षुब्ध भाटापारा , सिमगा ,बलौदाबाजार जैसे सुदूर क्षेत्रो के डोनरो व ब्लड के खरीदी बिक्री में लिप्त दलालों के मुंह ताकने पड़ते हैं जो जरूरत मंद मरीजों के परिजनों को आसानी से अपने चंगुल में फंसाकर उनसे ब्लड डोनेट के नाम पर भारी भरकम रुपए की मांग करते हैं और ब्लड के दलाल अपने इरादों पर सफल भी हो जाते हैं यह मामला आये दिन देखने व सुनने को मिलता है..
वही
“”संजीवनी रक्त दाता संघ के अध्यक्ष ओमप्रकाश सिंह चौहान ने कहा कि इस मसले पर संबंधित विभाग के अधिकारियों एवं जनप्रतिनिधियों को भी सजग होनी चाहिए ताकि जरूरत मंद मरीज व परिजन रक्त की जरूरतों पर बेबस न हो उन्होंने अप्रत्यक्ष रूप से हास्पीटल प्रबंधन के कटाक्ष करते हुए कहा कि नगर के विभिन्न संगठनों द्वारा ब्लड बैंक में आवश्यकता से अधिक ब्लड डोनेट किया जाता है फिर भी मरीजों को ब्लड के लिए अन्यत्र भटकना पड़ता है जिससे हास्पीटल संदेह के घेरे में है “” श्री चौहान ने कहा कि हमारे द्वारा निस्वार्थ भावना से निर्बल ,आशक्त ,जीवन व मृत्यु के मध्य संघर्ष करने वालो को आपात स्थिति में ब्लड की कमी के चलते जांन न गंवानी पड़े इस मकसद से ब्लड बैंक को डोनेट कर ब्लड की आपूर्ति करते रहते हैं फिर भी सुनने में आता है कि ब्लड बैंक में अधिकतर ब्लड यूनिट की कमी का रोना रोया जाता है जिससे खफा चौहान ने कहा कि हमारे द्वारा निस्वार्थ किये गये ब्लड डोनेट को ब्लड बैंक से दो से तीन हजार रूपए में हास्पीटल से खरीदनी पड़ती है जिससे संबंधित हास्पीटल से भरोसा उठने लगा है…
उन्होंने रक्तदान से संबंधित मामले पर प्रकाश डालते हुए कहा कि रक्तदान के मामले में अभी भी जागरूकता की कमी है मरीज के परिजन स्वयं का ब्लड डोनेट करने से हिचकते हैं उनमें भय का वातावरण देखा जाता है प्रशासन व जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि आम लोगों के मध्य इस विषय पर जागरूकता अभियान चलावे…साथ ही उन्होंने हास्पीटल प्रबंधन पर आरोप लगाते हुए कहा कि ब्लड डोनर के साथ हास्पीटल के नुमाइंदों का सहयोगात्मक रवैया का अभाव होता है ब्लड डोनरो को कभी लंच का समय या कभी अन्य कार्यों में ब्यस्तता का हवाला देकर परेशान किया जाता है जबकि हास्पीटल मैनेजमेंट को चाहिए की ब्लड डोनेट से संबंधित जांच व आपातकालीन सेवाएं चौबीस घंटा देनी चाहिए उन्होंने बताया कि ब्लड डोनरो का लैब से संबंधित टेस्टींग का रिपोर्ट भी संबंधित ब्यक्तियो को देने में आना कानी की जाती है जबकि सहज रूप से प्रदाय की जानी चाहिए.
खरोरा से लालजी वर्मा की रिपोर्ट=====