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Ambikapur : दीपावली विषयक तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी………………..

‘सबको सुख-वैभव मिले, पूरे हों सब काम, अवध बने हर घर यहां, हर मन में हो राम‘

दीपावली विषयक तुलसी साहित्य समिति की सरस काव्यगोष्ठी………………..

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पी0एस0यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// दीपावली विषय पर तुलसी साहित्य समिति की ओर से शायर-ए-शहर यादव विकास की अध्यक्षता में केशरवानी भवन में सरस काव्यगोष्ठी का आयोजन किया गया। कार्यक्रम के मुख्य अतिथि गीता-मर्मज्ञ पं. रामनारायण शर्मा, विशिष्ट अतिथि पीजी कॉलेज के पूर्व छात्रसंघ अध्यक्ष ब्रहमाशंकर सिंह, केशरवानी वैश्य सभा के उपाध्यक्ष मनीलाल गुप्ता, कवयित्री मीना वर्मा व वरिष्ठ साहित्यकार बीडी लाल थे। काव्यगोष्ठी का शुभारंभ कवयित्री मीना वर्मा ने सुंदर सरस्वती-वंदना से किया। पं. रामनारायण शर्मा ने कहा कि दिवाली का पर्व पांच दिन का होता है- धनतेरस, नरक चतुर्दशी, सांध्यकालीन दीपावली, गोवर्धन पूजा और भाई दूज- चित्रगुप्त पूजा। यह पर्व धन वैभव की देवी मां लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए मनाया जाता है। इनकी पूजा के साथ मां सरस्वती, श्री गणेश और कुबेर की पूजा का भी विधान है क्योंकि बिना ज्ञान और बुद्धि के लक्ष्मी अर्थात धन की प्राप्ति असंभव है। अभावग्रस्त लोगों को इस दिन वस्त्र, भोजन आदि का दान कर उनके जीवन में उल्लास भरकर सच्ची दीपावली का आनंद प्राप्त किया जा सकता है। विद्वान ब्रह्माशंकर सिंह का कहना था कि श्रीरामचंद्र के चौदह वर्ष के वनवास की पूर्णता पर अयोध्यावासियों ने प्रसन्नतापूर्वक दीपमाला सजा कर अपने महाराज का स्वागत किया था। इसीलिए अयोध्या सहित पूरे देश में प्रतिवर्ष दीपोत्सव मनाया जाता है। इससे जीवन में उल्लास की वृद्धि होती है और हमें निरंतर आगे बढने की प्रेरणा भी मिलती है।

काव्यगोष्ठी में कवयित्री माधुरी जायसवाल ने सबको अपनी शुभकामनाएं दीं- आ गई दिवाली, बधाई आप-सबको, मधुरिम उजालेवाली हर ज्योति आप-सबको, खुशियों की रहे लाली, बधाई आप-सबको ! कवयित्री आशा पाण्डेय ने दीप पर्व का सुंदर चित्रण अपने उत्कृष्ट दोहे में किया- जगमग करती रौशनी, भरता हृदय उजास। आतिशबाजी गूंजती, होता मन उल्लास। वरिष्ठ कवयित्री मीना वर्मा ने अपने काव्य में अखंड दीप जलाने का आह्वान किया-आओ हम सब मिलकर यादों के दीप जलाते हैं। विश्वास के घी से, प्रेम की बाती, अखंड दीप जलाते है। लोकगायिका पूर्णिमा पटेल ने घने अंधेरे को मिटाने के वास्ते दीप जलाने का आग्रह किया- टिमटिम करते दीपों से गहन तिमिर हम दूर भगाएं। आलौकिक करने को पथ, आओ फिर एक दीप जलाएं। वरिष्ठ कवि बीडी लाल ने जब दिवाली की रौशनी से नहाई रात्रिरूपी नायिका के मधुर परिणय का वर्णन किया तो श्रोता भावविभोर हो गए- निशा नायिका का परिणय है दीपों की बारात सजी है। हुलस रहा है जनजीवन, दर्शन की बस लगन लगी है। वरिष्ठ कवि उमाकांत पाण्डेय ने भी सही कहा कि- राह में आज दूर तक बिखर गई ज्योति, क्या कहूं और भी ज्यादा निखर गई ज्योति। अभिनेत्री व कवयित्री अर्चना पाठक से उनकी अंतर्व्यथा छिपी न रह सकी। उन्होंने अपनी कठिनाइयों व अविश्वास को यूं नुमायां किया- दीपक यहां जलाना मुश्किल-सा लग रहा है। उजाले में मेरा आना मुश्किल-सा लग रहा है। मैं खुद भी एक दीया हूं जो रौशन भी न हो पाई। हो पाऊंगी मैं रौशन, मुश्किल-सा लग रहा है !

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संसार में अंधेरे व उजाले का संघर्ष तो निरंतर चलता ही रहता है। मनुष्य को परिस्थितियों के आगे कभी हार नहीं माननी चाहिए और दीप ही की भांति विजय की कामना मन में हमेशा रखनी चाहिए। कविवर श्यामबिहारी पाण्डेय की ओजस्वी कविता का संदेश भी यही था- जंग तम से हमेशा चलती ही रहे, जीत की भावना मन में पलती रहे। हर अमावस की काली घनी रात से, दीप की रौशनी एक लड़ती रहे। युवा शायर मनव्वर अशरफी एक मंजे हुए शायर हैं। उन्होंने दीपों के माध्यम से देशप्रेम, देश की आन व सलामती का सुझाव यूं दीये से दीये को रौशन किया जाए, मिलके घरों को रौशन किया जाए। सलामत रहे आबरू-ए-वतन हमारा, इश्क़-ए-वतन में तन-मन किया जाए। संस्था के अध्यक्ष शायर व दोहाकार मुकुन्दलाल साहू ने पूरे राष्ट्र की सुख-समृद्धि की मंगलकामना अपने दोहे में की- सबको सुख-वैभव मिले, पूरे हों सब काम। अवध बने हर घर यहां, हर मन में हो राम।

शायर-ए-शहर यादव विकास का ग़ज़ल पढ़ने का अंदाज़ औरों से जुदा होता है। इस बार उन्होंने दिलों में उम्मीदों के अनगिन चिराग़ जला दिए- आपका पर्दा उठाना हो गया, आज मौसम आशिकाना हो गया। बात कल की ही मगर क्या बात है, आपको देखे ज़माना हो गया ! इनके अलावा कविवर रंजीत सारथी की रचना- ऐ हंसा छूट जाही भइया, ऐ काया छूट जाही, वरिष्ठ गीतकार अंजनी कुमार सिन्हा का गीत-देखिए कितना ग़ज़्ाब ढाती हैं बेटियां, जो चाहती हैं करके दिखाती हैं बेटियां, रामलाल विश्वकर्मा की कविता- रस्ते पर अकेले निकल चुका हूं मैं, कई बार रहबरों से छल चुका हूं मैं और युवाकवि अम्बरीष कश्यप की उम्दा ग़ज़ल- कामना हज़ार दिल में रखते हैं, क्या हम बाज़ार दिल में रखते हैं और कवि अजय श्रीवास्तव की कविताओं की प्रशंसा श्रोताओं ने तालियां बजाकर कीं। अंत में, कवि डॉ. उमेश पाण्डेय के इस आह्वान के साथ कार्यक्रम का यादगार समापन हुआ- आओ दीप जलाएं एकता का, आओ जश्न मनाएं आज़ादी का, व्यर्थ न जाने देंगे वीरों का बलिदान, आओ जश्न मनाएं हरियाली का। कार्यक्रम का काव्यमय संचालन कवयित्री अर्चना पाठक और आभार कवि मुकुन्दलाल साहू ने जताया। इस अवसर पर लीला यादव, सचिदानंद पाण्डेय, केके त्रिपाठी, दुर्गाप्रसाद श्रीवास्तव, अनिता ठाकुर, दिनेश राजवाडे सहित अनेक काव्यप्रेमी उपस्थित रहें।

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