छत्तीसगढ़ताजा ख़बरेंदुर्गब्रेकिंग न्यूज़राजनीतिराज्य

शीतलहर एवं ठंड से बचाव के उपाय

शीतलहर एवं ठंड से बचाव के उपाय

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e
mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)

दुर्ग/ राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण नई दिल्ली एवं भारतीय मौसम विज्ञान विभाग द्वारा शीतलहर एवं ठंड से बचाव के लिए आवश्यक दिशा-निर्देश जारी किए गए है। शीत ऋतु के मौसम को ध्यान में रखते हुए विशेष तैयारियों हेतु क्या करें, क्या न करें जारी किया गया हैं। जारी एडवायजरी में नागरिकों से कहा गया है कि शीत लहर आने के पहले पर्याप्त संख्या में गरम कपड़े रखें, ओढऩे के लिए बहुपरत के कपड़े भी उपयोगी है। आपातकाल की आपूर्ति हेतु तैयार रहे। शीत लहर के दौरान यथासंभव घर के भीतर रहें, ठंडी हवा से बचने के लिए कम से कम यात्रा करें। सूखा रहें, यदि गीले हो जाएं तो शरीर की गर्मी को बचाने के लिए शीघ्रता से कपड़े बदलें। निरंगुल दस्ताने ठंड में ज्यादा गरम और ज्यादा अच्छा रक्षा कवच होता है। मौसम की ताजा खबर के लिए रेडियो सुने, टीवे देखें और समाचार पत्र पढ़ें। नियमित रूप से गरम पेय सेवन करें। बुजुर्ग और बच्चों को ठीक से देखभाल करें। ठंड में पाइप जम जाता है, इसलिए पेयजल का पर्याप्त संग्रहण करके रखें। उंगलियों, अंगुठों के सफेद होना या फीकापन, नाक के टिप में शीत दंश लक्षण प्रकट होते है। शीत दंश से प्रभावित क्षेत्रों क्षेत्रों को गर्म नहीं करें, गर्म पानी डालें (शरीर के अप्रभावित हिस्सों के लिए तापमान स्पर्श करने के लिए आरामदायक होना चाहिए)।
शीत लहर के दौरान हायपोथरमिया होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति को गरम स्थान पर ले जाकर उसके कपड़े बदले। प्रभावित व्यक्ति के शरीर को शरीर के साथ संपर्क करके गरम करें, कंबल के बहु परत, कपड़े, टावेल या शीट से ढकें। शरीर को गरम करने के लिए गरम पेय दें। शराब नहीं दें। हालत बिगडऩे पर डॉक्टर की सलाह लें। हायपोथरमिया होने की स्थिति में प्रभावित व्यक्ति शराब का सेवन न करें, यह शरीर के तापमान को घटाता है। शीतदंश क्षेत्र की मालिश न करें, इससे अधिक नुकसान हो सकता है। कंपकंपी को नजरअंदाज नहीं करें। यह एक महत्वपूर्ण पहला संकेत है कि शरीर गर्मी खो रहा है और प्रभावित व्यक्ति को तुरंत घर के भीतर करें।
कृषि को शीत लहर से बचाने जारी एडवायजरी – कृषि के संबंध में शीत लहर व ग्राऊंड फ्रॉस्ट के दौरान फसलों को ठंड से बचाने के लिए प्रकाश की व्यवस्था करें और बार-बार सिंचाई व स्प्रिंकलर सिंचाई करें। बिना पके फलों के पौधों को सरकंडा, स्ट्रॉ, पॉलीथिन शीट्स, गनी बैग से ढक दें। केले के गुच्छों को छिद्र युक्त पॉलीथीन बैग से ढक दें। धान की नर्सरी में रात के समय नर्सरी क्यारियों को पॉलीथिन की चादर से ढक दें और सुबह हटा दें। शाम को नर्सरी क्यारियों की सिंचाई करें और सुबह पानी निकाल दें। सरसों, राजमा और चना जैसी संवेदनशील फसलों को पाले के हमले से बचाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड/0.1 प्रतिशत (1000 लीटर पानी में 1 लीटर भ्2ैव्4) या थियोरिया/500 पीपीएम (1000 लीटर पानी में 500 ग्राम थियोरिया) का छिड़काव करें। यदि आपका क्षेत्र शीत लहर से ग्रस्त है, तो इसका प्रभाव आश्रयों से खत्म करें, गली (बड़े पेड़ों के कतारों के बीच) फसलें उगाएं। फरवरी के अंत या मार्च की शुरूआत में पौधों के प्रभावित हिस्सों की छंटाई करें। काटे गए पौधों पर तांबा कवकनाशी का छिड़काव करें और सिंचाई के साथ एनपीके दें।
ना करें- ठंड के मौसम में मिट्टी में पोषक तत्व न डालें, खराब जड़ गतिविधि के कारण पौधे नहीं अवशोषित नहीं कर सकते हैं। खेत के मिट्टी की गुड़ाई ना करें, ढीली सतह निचली सतह से गर्मी के प्रवाहकत्व को कम कर देती है।
पशुपालकों के लिए जारी एडवायजरी – पशुपालक मवेशियेां को रात के समय शेड के भीतर रखें और उन्हें सूखा बिस्तर लगाकर ठंड से बचाने के लिए प्रबंध करें। ठंड की स्थिति से निपटने के लिए पशुओं को स्वस्थ रखने के लिए आहार में प्रोटीन स्तर और खनिजों को बढ़ाएं। जानवरों की ऊर्जा की आवश्यकता को पूरा करने के लिए पशुओं को नियमित रूप से नमक के साथ खनिज मिश्रण और गेहूं के दाने, गुड़ आदि 10-20 प्रतिशत दैनिक आहार में दें। पोल्ट्री में, पोल्ट्री शेड में कृत्रिम प्रकाश प्रदान करके चूजों का गर्म रखें। पशुपालक सुबह के समय मवेशियों व बकरियों को चरने नहीं दें। रात के समय पशु व बकरी को खुले में नहीं रखें।

Pradesh Khabar

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!