
Govardhan Puja 2025: कल शुभ मुहूर्त, भाई दूज 23 को; अन्नकूट, तिलक टाइमिंग और तिथि
इस साल गोवर्धन पूजा 22 अक्टूबर को सायाह्नकाल (03:29 से 05:44 PM) में स्वाति नक्षत्र में मनेगी। 23 अक्टूबर को है भाई दूज, तिलक का उत्तम समय (10:41 AM से 12:09 PM)। जानें गोवर्धन पूजा और यम द्वितीया का महत्व।
Govardhan Puja और Bhai Dooj 2025: नोट करें शुभ मुहूर्त और तिथियाँ, कल मनेगी गोवर्धन पूजा और परसों भाई दूज
नई दिल्ली: दीपावली के साथ शुरू हुआ पंच दिवसीय महापर्व अब दो प्रमुख उत्सवों के साथ संपन्न होने जा रहा है। इस वर्ष उदया तिथि के कारण गोवर्धन पूजा कल, 22 अक्टूबर, बुधवार को मनाई जाएगी, जिसके बाद परसों, 23 अक्टूबर, गुरुवार को भाई-बहन के अटूट स्नेह का प्रतीक भाई दूज पर्व मनाया जाएगा।
पेश है दोनों पर्वों के शुभ मुहूर्त, तिथि और धार्मिक महत्व की विस्तृत जानकारी:
1. गोवर्धन पूजा और अन्नकूट (22 अक्टूबर 2025)
गोवर्धन पूजा, जिसे अन्नकूट पर्व भी कहा जाता है, भगवान श्रीकृष्ण को समर्पित है। इस दिन भक्त प्रतीकात्मक रूप से गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं और विविध व्यंजनों का भोग लगाते हैं।
तिथि और कारण
- पर्व की तिथि: बुधवार, 22 अक्टूबर 2025
- तिथि आरंभ: 21 अक्टूबर की शाम 5:54 बजे
- तिथि समाप्त: 22 अक्टूबर की रात 8:16 बजे
- धार्मिक नियम: गोवर्धन पूजा हमेशा उदया तिथि (वह तिथि जिसमें सूर्योदय होता है) में मनाई जाती है, इसलिए यह पर्व 22 अक्टूबर को ही मान्य होगा।
शुभ मुहूर्त
| मुहूर्त का नाम | समय सीमा | योग और महत्व |
| प्रातःकालीन मुहूर्त | सुबह 06:26 से 08:42 बजे तक | गोवर्धन पूजा के लिए प्रातःकाल का शुभ समय। |
| सायाह्नकाल (उत्तम) मुहूर्त | दोपहर 03:29 से शाम 05:44 बजे तक | स्वाति नक्षत्र और प्रीति योग का शुभ संयोग। ज्योतिषाचार्य दोपहर में ही अन्नकूट आयोजन की सलाह दे रहे हैं। |
यह पर्व भगवान श्रीकृष्ण द्वारा गोवर्धन पर्वत को उठाकर ब्रजवासियों को इंद्र के प्रकोप से बचाने की स्मृति में मनाया जाता है। इस दिन अन्न, मिठाइयां और विविध व्यंजन बनाकर गोवर्धन महाराज को भोग लगाया जाता है।
2. भाई दूज / यम द्वितीया (23 अक्टूबर 2025)
दीपावली के समापन का प्रतीक भाई दूज, भाई-बहन के प्रेम, सुरक्षा और सौहार्द का पर्व है, जिसे यम द्वितीया भी कहते हैं।
तिथि और शुभ समय
- पर्व की तिथि: गुरुवार, 23 अक्टूबर 2025
- तिथि प्रारंभ: 22 अक्टूबर की रात 08:16 बजे
- तिथि समाप्त: 23 अक्टूबर की शाम 05:14 बजे
- पूजा का उत्तम समय (तिलक मुहूर्त): सुबह 10:41 से दोपहर 12:09 बजे तक
धार्मिक महत्व
- यम-यमुना कथा: धार्मिक मान्यता के अनुसार, इसी दिन यमराज अपनी बहन यमुना के घर पहुँचे थे। उनके आदर-सत्कार से प्रसन्न होकर यमराज ने वरदान दिया था कि जो भाई इस दिन बहन के घर तिलक कराएगा, उसे मृत्यु का भय नहीं रहेगा।
- तिलक और उपहार: बहनें अपने भाइयों को तिलक लगाकर दीर्घायु और समृद्धि की कामना करती हैं, जबकि भाई उन्हें उपहार, वस्त्र या आभूषण भेंट कर अपना स्नेह और सम्मान व्यक्त करते हैं।
- विशेष योग: ज्योतिष के अनुसार, इस दिन चंद्रमा और सूर्य की युति से ग्रह शांति का विशेष योग बनता है, जिससे परिवार में सामंजस्य और सुख-समृद्धि बनी रहती है। बहनें इस दिन यमराज के नाम से दीपदान भी करती हैं।












