
भाजपा सरकार ने पूर्व में शिलान्यास हो चुके पावर प्लांट का पुनः शिलान्यास कर प्रदेश को गुमराह किया
भाजपा सरकार ने पूर्व में शिलान्यास हो चुके पावर प्लांट का पुनः शिलान्यास कर प्रदेश को गुमराह किया
रायपुर। छत्तीसगढ़ में राजनीति उस समय गर्मा गई जब प्रधानमंत्री द्वारा किए गए पावर प्लांट शिलान्यास और प्रधानमंत्री आवास की चाबी सौंपने की प्रक्रिया को लेकर कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर गुमराह करने का आरोप लगाया। कांग्रेस का दावा है कि जिन परियोजनाओं का शिलान्यास और लोकार्पण किया गया, वे पहले ही स्वीकृत हो चुकी थीं और उनके कार्य पूर्ववर्ती सरकार में प्रारंभ हो चुके थे।
राज्य में हाल ही में कोरबा में छत्तीसगढ़ स्टेट पावर जनरेशन कंपनी के 13356 करोड़ रुपये की लागत से 1320 मेगावाट के 660/2 के दो सुपर क्रिटिकल थर्मल पावर प्लांट के निर्माण की घोषणा की गई। इस परियोजना को लेकर कांग्रेस ने स्पष्ट किया कि इसका निर्णय 25 अगस्त 2022 को भूपेश सरकार के कार्यकाल में लिया गया था। परियोजना के लिए वित्तीय स्वीकृति मिलने के बाद 29 जुलाई 2023 को इसका विधिवत शिलान्यास भी किया जा चुका था। इस कार्यक्रम में तत्कालीन मुख्यमंत्री, प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष, उपमुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और कई मंत्रीगण मौजूद थे।
कांग्रेस ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि उसने सत्ता में आने के बाद इस महत्वाकांक्षी परियोजना को ठंडे बस्ते में डाल दिया। यदि समय पर निर्माण कार्य प्रारंभ किया जाता तो अब तक यह परियोजना पूर्णता की ओर अग्रसर हो जाती। राज्य की कुल विद्युत उत्पादन क्षमता 4000 मेगावाट से अधिक हो जाती, जिससे उद्योगों और घरेलू उपभोक्ताओं को पर्याप्त बिजली मिल पाती।
पूर्व में स्वीकृत और प्रारंभ हो चुकी योजनाओं के दोबारा शिलान्यास से राजनीतिक आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। कांग्रेस का कहना है कि भाजपा सरकार ने जनता को गुमराह करने के लिए इस रणनीति का उपयोग किया। कांग्रेस नेताओं का आरोप है कि पावर प्लांट की परियोजना के लिए आवश्यक टेंडर पहले ही जारी किए जा चुके थे और केंद्र सरकार की अनुमति भी प्राप्त हो चुकी थी। ऐसे में दोबारा शिलान्यास कर भाजपा ने केवल श्रेय लेने का प्रयास किया।
राज्य में प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत निर्मित घरों की चाबियों के वितरण को लेकर भी विवाद खड़ा हो गया है। कांग्रेस का कहना है कि जिन आवासों की चाबियां सौंपी गईं, उनका निर्माण पूर्व की सरकार में प्रारंभ किया गया था। भाजपा सरकार ने केवल उन्हीं घरों को वितरित किया, जिनका निर्माण कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हो चुका था। इस मुद्दे को लेकर विपक्ष सरकार पर निशाना साध रहा है और इसे जनभावनाओं के साथ छल करार दिया है।
वर्तमान सरकार द्वारा पहले से स्वीकृत योजनाओं को दोबारा उद्घाटन करने की रणनीति पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। आरोप है कि भाजपा सरकार के पास खुद की कोई नई परियोजना नहीं है, इसलिए वह पूर्व की योजनाओं को ही दोबारा प्रस्तुत कर अपनी उपलब्धियों के रूप में प्रचारित कर रही है।
इस पूरे घटनाक्रम के बाद भाजपा और कांग्रेस के बीच आरोप-प्रत्यारोप तेज हो गए हैं। विपक्ष का कहना है कि भाजपा केवल प्रचार की राजनीति कर रही है और जनता को भ्रमित करने के लिए झूठे दावे कर रही है। वहीं, भाजपा इस आरोप को खारिज करते हुए इसे विकास कार्यों को गति देने का प्रयास बता रही है।
राज्य में इस विवाद को लेकर सियासी माहौल गर्म हो गया है। विपक्ष लगातार यह मांग कर रहा है कि सरकार स्पष्ट करे कि पहले से स्वीकृत और प्रारंभ हो चुकी योजनाओं का दोबारा शिलान्यास क्यों किया गया। वहीं, भाजपा नेताओं का कहना है कि विकास योजनाओं को आगे बढ़ाने में कोई बुराई नहीं है।
छत्तीसगढ़ में इस राजनीतिक घटनाक्रम का असर आगामी चुनावों पर भी पड़ सकता है। विपक्ष इसे अपने पक्ष में भुनाने की कोशिश कर रहा है, जबकि भाजपा इसे अपनी उपलब्धि के रूप में पेश करने में जुटी है। जनता की नजरें अब इस पर टिकी हैं कि इस विवाद का आगामी चुनावों में क्या असर होगा।