छत्तीसगढ़ब्रेकिंग न्यूज़राज्यसरगुजा

गर्भ समापन कानून माँ के जीने के अधिकार की गारंटी देता है:नवीन नायक

गर्भ के चिकित्सकीय समापन कानून पर सीसीएफ़ की ई कार्यशाला सम्पन्न

प्रभा सिंह यादव/ब्यूरो चीफ/सरगुजा// मेडिकल टर्मिनेशन एक्ट का बुनियादी आधार महिला की गरिमा और जीवन की सुरक्षा करना है इसलिए यह कानून अन्य भारतीय कानूनों के साथ गतिरोध की परिस्थिति निर्मित करता है।इसके बाबजूद महिला के जीने के अधिकार को यह कानून हर परिस्थितियों में सुनिश्चित करता है।इसलिए बाल कल्याण समितियो एवं अन्य स्टेक होल्डर्स को इस बुनियादी भावना के अनुरूप कानून के प्रावधानों का प्रयोग करना चाहिये।

a41ad136-ab8e-4a7d-bf81-1a6289a5f83f
ea5259c3-fb22-4da0-b043-71ce01a6842e
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)

यह बात आज प्रख्यात कानूनविद नवीन कुमार ने चाईल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन की 51 वी ई संगोष्ठी सह प्रशिक्षण कार्यशाला को संबोधित करते हुए कही।कार्यशाला में हिमाचल प्रदेश की बाल सरंक्षण आयोग की अध्यक्ष  वंदना योगी ने भी शिरकत की। नवीन कुमार ने बताया की गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून अब 24 सप्ताह तक गर्भ के समापन की अनुमति देता है ।इस कानून का निर्माण 1964 में शांतिलाल शाह की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी की सिफारिशों पर 1971 में किया गया था।तत्समय मातृ मृत्यु दर में अत्यधिक व्रद्धि के मद्देनजर इस कानून को बनाकर अबॉर्शन को विधिक बनाने का सोचा गया था।इसे परिवार नियोजन के सहायक कानून के रूप में भी महत्वपूर्ण माना गया था। नवीन के अनुसार भारत में इस समय स्वास्थय सुविधाओं का बुनियादी ढांचा न्यूनता का शिकार है।डॉक्टर्स एवं सहबद्ध सेवाओं की स्थिति वैश्विक मापदंडों पर बहुत पीछे है।अभी भी देश में47 फीसदी अबॉर्शन नर्स,एएनएम या दाइयों के हाथों से होते है।यह एक जोखिम भरा ट्रेंड है।उन्होंने बताया कि गर्भ का चिकित्सकीय समापन कानून आईपीसी,सीआरपीसी,पॉक्सो एक्ट,पीएनसीडीटी ,जेजे एक्ट जैसे कानूनों के तमाम प्रावधानों के साथ गतिरोध की स्थिति खड़ा करता है।क्योंकि आईपीएस कहती है कि अपराध के साक्ष्य सरंक्षित किया जाना अनिवार्य है लेकिन एमटीपी एक्ट गर्भ समापन की बात करता है। नवीन के अनुसार रेप पीड़ित किसी भी महिला या बालिका के प्राथमिक उपचार से इनकार किया जाना संगीन अपराध की श्रेणी में आता है।उन्होंने बताया कि सुचित्रा श्रीवास्तव बनाम चंडीगढ़ प्रशासन के मामले में सुप्रीम कोर्ट यह स्पष्ट कर चुका है कि किसी बच्चे को जन्म देना उसकी माँ का बुनियादी अधिकार है।उन्होंने बताया कि एमटीपी की धारणा मां के जीवन जीने के अधिकार को हर हाल में सुरक्षित रखना है इसलिए यह एक्ट अनचाहे या माँ के जीवन को जोखिम में डालने वाले भूर्ण की हिफाजत या जीवन को प्राथमिकता नहीं देता है। नवीन ने सुप्रीम कोर्ट के करीब सौ से अधिक निर्णयों का हवाला देकर इस कानून के बेहतर उपयोग की संभावनाओं से देश भर के बाल अधिकार कार्यकर्ताओं को परिचित कराया।

mantr
96f7b88c-5c3d-4301-83e9-aa4e159339e2 (1)
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)

ग्वालियर के पूर्व सीडब्ल्यूसी अध्यक्ष डॉ के के दीक्षित ने संगोष्ठी को संबोधित करते हुए कहा कि गर्भ समापन के सभी पहलुओं पर मूल्याकंन एवं निर्णय के अधिकार डॉक्टरों को ही दिया गया।जब तक एमटीपी एक्ट लागू है तब तक किसी अन्य आदेश की अनुमति की आवश्यकता नही है।लेकिन जो प्रकरण जेजे एक्ट की परिधि में है वहा गर्भ समापन के लिए अधिकारिता सीडब्ल्यूसी के पास है।हिमाचल प्रदेश में बाल अधिकार एवं सरंक्षण की चर्चा करते हुए अध्यक्ष वन्दना योगी ने कहा कि हिमाचल में भी बालकों की समस्याएं भी अन्य राज्यों की तरह ही है।बालिकाओं के साथ अभी भी जन्मना भेदभावपूर्ण परिस्थिति खत्म नही हुई है।शिक्षा के मामले में भी हमें भी गुणवत्तापूर्ण प्रयासों की ओर सोचने की आवश्यकता है।

उन्होंने बताया कि कोरोना में बच्चों के मानसिक स्वभाव पर बहुत बुरा प्रभाव पड़ा है।आज परिवार छोटे है घर बड़े है लेकिन एक माहौल जो संस्कार देते थे स्वत सुरक्षा बोध कराता था वह गायब हो गया है।हिमाचल के परिवारों में इस स्थिति का बुरा प्रभाव पड़ रहा है।उन्होंने बताया कि दुर्गम भौगोलिक स्थितियों के चलते अभी भी हिमाचल में जेजे एक्ट एवं अन्य बाल सरंक्षण प्रावधानों पर पर्याप्त निगरानी नही हो पाती है।इस प्रशिक्षण संगोष्ठी में छत्तीसगढ़ शबरी सेवा संस्थान के प्रदेश सचिव सुरेन्द्र साहू, राजेश सराठे, नलिनी बघेल,आरती सिंह, सरिता पांडेय,पुनम सिन्हा, ओमप्रकाश चन्द्राकर, ललिता जायसवाल सहित पुरे देश भर के करीब दो सौ जिलों से बाल अधिकार कार्यकर्ताओं ने भाग लिया।संगोष्टी का संयोजन चाइल्ड कंजर्वेशन फाउंडेशन के सचिव डॉ कृपाशंकर चौबे ने किया।अध्यक्ष डॉ राघवेंद्र शर्मा ने आशीर्वचन दिया. कोषाध्यक्ष राकेश अग्रवाल ने सभी अतिथि वक्ताओं एवं प्रतिभागियों का आभार प्रदर्शन किया।

Pradesh Khabar

8d301e24-97a9-47aa-8f58-7fd7a1dfb1c6 (2)
e0c3a8bf-750d-4709-abcd-75615677327f
WhatsApp Image 2025-08-03 at 9.25.33 PM (1)

Related Articles

Back to top button
error: Content is protected !!