
बस्तमुक्त विद्यालय का वार्षिक उत्सव संपन्न
बस्तमुक्त विद्यालय का वार्षिक उत्सव संपन्न
गोपाल सिंह विद्रोही/ प्रदेश खबर प्रमुख छत्तीसगढ़ /विश्रामपुर// बस्तामुक्त विद्यालय माध्यमिक शाला रुनियाडीह मे वार्षिक उत्सव सह विदाई कार्यकृम सम्पन्न हुआ।
जानकारी के अनुसार क्षेत्र के प्रथम बस्तामुक्त विद्यालय शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला रुनियाडीह मे वार्षिक उत्सव सह विदाई समारोह का आयोजन संकुल प्रभारी व प्राचार्य रामनगर श्रीमती सुषमा बखला की मुख्य आतिथ्य मे किया गया। कार्यक्रम मे अध्यक्षता हर्ष नारायण शर्मा पूर्व संकुल प्रभारी व प्रधानपाठक कन्या माध्यमिक शाला जयनगर तथा विशिष्ट अतिथि हायर सेकेंडरी स्कूल रामनगर के व्याख्याता सुरेंद्र जायसवाल, अनुराधा झा, सुचिता टोप्पो, संध्या मिश्रा, रीना रोश कुजूर, पिंकू शर्मा, शैक्षिक समन्वयक विजेंद्रलाल जायसवाल, श्रीमती तिलेश्वरी राजवाड़े शिक्षक पूर्व माध्यमिक शाला कसकेला, एनवती राजवाड़े अध्यक्ष एसएमसी व कैलाशो उपाध्यक्ष एसएमसी रहे। कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती के छायाचित्र पर दीप प्रज्वलन के साथ किया गया। स्वागत उद्बोधन में संस्था प्रमुख सीमांचल त्रिपाठी ने बताया कि वर्ष 2015 से संस्था में समुदाय सहयोग पर आधारित वार्षिक उत्सव कार्यक्रम आयोजित होता रहा है। इस वर्ष आयोजन का उद्देश्य आठवीं पढ़कर निकलने वाले बच्चों का परिचय पोषक हायर सेकेंडरी स्कूल के शिक्षको से कराना, बालमन को भयमुक्त करना है ताकि यहां आठवीं अध्ययनरत शत-प्रतिशत बच्चों का दाखिला हायर सेकेंडरी स्कूल रामनगर मे हो। बच्चो ने अपने नृत्य कार्यक्रम से उपस्थित जनमानस को मंत्रमुग्ध कर दिया। दिव्यांग छात्रा किरण सारथी के नेतृत्व मे प्रदर्शित नृत्य पर व्याख्याता सुरेंद्र जायसवाल द्वारा ₹500 नकद राशि प्रदान कर बच्चो को सम्मानित किया गया। कार्यक्रम मे अन्तरराष्ट्रीय महिला दिवस उपलक्ष्य मे आयोजित जिला स्तरीय खेलकूद कबड्डी मे द्वितीय स्थान प्राप्त बच्चो सहित खो-खो मे प्रतिनिधित्व करने वाले बच्चो को प्रशस्तिपत्र, परीक्षा हेतु तख्ती, दो पेन-पेन्सिल, रबर-कटर से तो वहीं जागरुक महिला श्रीमती शांति सिंह पति लालचंद सिंह को गमछा-श्रीफल देकर सम्मानित किया गया। इस दौरान शिक्षक अन्नुलाल राजवाड़े, कुमुदिनी एक्का, परमेश्वर, आरती स्व सहायता समूह सहित एसएमसी के समस्त सदस्य उपस्थित रहे। कार्यक्रम को सफल बनाने मे सीमांचल त्रिपाठी, श्रीमती एम. टोप्पो, भुनेश्वरी राजवाड़े, मानमती जायसवाल, सुमित्रा व नान दईया सक्रिय रहे।