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भारी अवस्थाओं के बीच श्रद्धालु खोपा देव का कर रहे हैं दर्शन

भारी अवस्थाओं के बीच श्रद्धालु खोपा देव का कर रहे हैं दर्शन

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पेयजल ,साफ सफाई ,पार्किंग, प्रतीक्षालय सहित कई असुविधाओं से जूझ रहा है खोपा देव स्थल

गोपाल सिंह विद्रोही //प्रदेश खबर प्रमुख छत्तीसगढ़//बिश्रामपुर – धार्मिक आस्था एवं मनोकामना पूर्ण करने का वर्षों से केंद्र बिंदु रहा सरगुजा संभाग का धार्मिक स्थल खोपा महाराज का दरबार आज भी उपेक्षित है। यहां सुविधाओं के नाम पर श्रद्धालुओं के लिए कुछ भी नहीं है, इसका मुख्य कारण शासकीय भूमि का न होना बताया जा रहा है।

जानकारी के अनुसार ग्राम पंचायत खोपा में वर्षों से विराजे खोपा महाराज का प्रति दिवस पूजा अर्चना करने दूर-दूर से श्रद्धालु अपनी मनोकामनाएं पूर्ण करने हसरते ले कर पहुंचते हैं। श्रद्धालुओं का मनोकामनाएं पूर्ण होने पर वे महाराज के दरबार में बकरे की बलि देना पहुंचते हैं। पूजा अर्चना के बाद श्रद्धालु प्रसाद के रूप में चढ़ाए हुए बकरे को अपने परिजनों रिश्तेदारों एवं मित्रों के साथ पूजा स्थल के आसपास से ही पकाकर ग्रहण करते हैं, परंतु श्रद्धालुओं के लिए कही भी ठहरने लिए कहीं भी उचित स्थान नहीं है ताकि वे परिजनों के साथ बैठकर प्रसाद ग्रहण कर सकें । खोपादेव दरबार का विकास शासकीय भूमि का न होना है तो दूसरी तरफ नेताओं एवं प्रशासनिक उपेक्षा का मुख्य कारण है जिससे यहां विकास संभव नहीं हो सका है। विकास न होने के कारण श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है ।श्रद्धालु मजबूरी वश प्रसाद उठाकर सुरक्षित ठिकाना खोज प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं।

पेयजल की समस्या हमेश बना रहता है
खोपा देव धाम में पेयजल की बड़ी समस्या है । यहां शासन द्वारा दो ट्यूबवेल लगाया गया है एक आम के बगीचा एवं दुसरा खोपा धाम के नीचे ।सौर ऊर्जा से संचालित भी एक ट्यूबवेल है जो हजारों श्रद्धालुओं का प्यास बुझा रहा है ।यहां के दुकानदारों ने शासन से तीन अन्य स्थानों पर ट्यूबवेल खनन की मांग की है।
श्रद्धालुओं के लिए प्रसाद बनाने के लिए उचित स्थान नहीं
खोपा देवधाम में हजारों श्रद्धालुओं को आना-जाना लगा रहता है विशेष समय जैसे चैत्र नवरात्र एवं शारदीय नवरात्रि में भक्तों की हजारों की संख्या में आने जाने का ताता लगा रहता है। श्रद्धालु अपने मनोकामना पूर्ण होने पर खोपा देव के चरणों में बकरे की बलि देते, ऐसी यहां की मान्यता है। बकरा चढ़ाने के बाद श्रद्धालु प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं परंतु यहां कहीं भी कोई सुरक्षित स्थान नहीं होने के कारण श्रद्धालु इधर-उधर पेड़ की छांव खोज कर बकरा पका कर ग्रहण करते ,जिसके लिए उन्हें काफी परेशानियों का सामना करना पड़ता है। धूप आंधी पानी का इन्हें सामना आए दिन उठाना ही पड़ता है। यहां श्रद्धालुओं को ठहरने रुकने का कोई सुविधा नहीं है एक आम का बगीचा है। जो श्रद्धालुओं के लिए शरण स्थली बनी हुई है। यहां आम की बगीचा मेंएक पंचायत भवन है जो पंचायती कार्य में उपयोग होता है। पहुंच वाले ग्राम पंचायत को भी अपना उपयोग कर लेते हैं परंतु आम जनों के लिए यह सुविधा उपलब्ध नहीं है। इसी तरह बागीचा ही आंगनबाड़ी है जो केवल शाकीय कार्य मे उपयोग किया जाता है। यहां आम के बगीचे में शासन द्वारा एक शेड का निर्माण किया गया है इसके अतिरिक्त यहां कोई श्रद्धालुओं के लिए सुविधाएं उपलब्ध नहीं है। श्रद्धालु मंदिर से 1000 मीटर की दूरी स्थित रिहांद नदी के किनारे प्रसाद बनाने हेतु मजबूर है ।
पार्किंग का अभाव है धाम इधर उधर वाहन खड़ी करते है श्रद्धालु

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श्रद्धालु अपने निजी वाहनों से पहुंचते हैं परंतु उन वाहनों को खड़ा करने के लिए कोई निश्चित स्थान नहीं है ।श्रद्धालु यत्र तत्र सर्वत्र कहीं भी वाहनों को खड़ा कर देते हैं जिससे आने जाने वाले अन्य श्रद्धालुओं को काफी परेशानियों को सामना करना पड़ता है जिसको लेकर श्रद्धालु आपस में ही वाहनों को हटाने एवं लगाने को लेकर विवाद करने लगते हैं कभी-कभी तो मारपीट की भी नौबत आ जाती है ।शासन को चाहिए कि यहां वाहनों को रखने के लिए उचित व्यवस्था करने का प्रयास करना चाहिए।
प्रतीक्षालय जर्जर एवं जानलेवा मवेशियों के लिए बना शरण स्थली
कोपा देव धाम में एकमात्र इस प्रतिनिधि की जर्जर प्रतीक्षालय पर नजर पड़ी प्रतीक्षालय का शासन ने मुख्यमंत्री ग्राम विकास प्राधिकरण सूरजपुर द्वारा निर्माण किसी समय किया गया था जोघटिया ईट एवं बालू सीमेंट के उपयोग के कारण जर्जर हो चुका है दरवाजे अज्ञात लोग पर कर चुके हैं 10 बाय 15 का या प्रतीक्षालय कभी भी क्षतिग्रस्त हो सकता है इस कारण से इसका उपयोग श्रद्धालु नहीं कर पाते हैं प्रतीक्षालय में जगह-जगह बड़ी दरारें आ गई है जिस कारण से यह प्रतीक्षालय कभी भी गिर सकता है जर्जर प्रतीक्षालय होने के कारण इसका उपयोग आवारा मवेशी उठा रहे हैं।
गंदगी से फैलती है दुर्गंध सफाई की कोई व्यवस्था नहीं

खोपा धाम में आने वाले श्रद्धालुओं द्वारा गंदगी फैलाई जाती है जिससे पूरा देव धाम में दुर्गंध फैली रहती है ।श्रद्धालु आते हैं बकरा चढ़ाते हैं उन्हें पकाते हैं खाते है और बकरे का अवशेष जहां बनाते खाते हैं वहीं छोड़कर चले जाते हैं जिससे दुर्गंध दूर दूर तक फैलती है । जूठे पत्तल हवा के साथ इधर-उधर उड़ता दिखता है। प्रशासन को चाहिए कि यहां नियमित साफ सफाई की व्यवस्था करें ताकि आने जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए परेशानी का सामना न करना पड़े

मुख्य बैगा सुख लाल चेरवा दो कार्यकाल से है सरपंच
खोपा देव धाम का मुख्य बैगा सुखलाल चेरवा ही ग्राम पंचायत खोपा का दो कार्यकाल से सरपंच का दायित्व निर्वहन कर रहें है जो कोपा देव का सेवा में लगे हैं ,इनके अलावा उनके परिवार के सदस्य उनका सहयोग करते हैं। खोपा देव धाम का विकास न होने के संबंध में पूछे जाने पर उन्होंने बताया कि शासन की उपेक्षा एवं नेताओं की उदासीनता के कारण खोपा का कोई विकास नहीं हो पाया है। इन्होंने बताया कि कोपा देव आस्था एवं मनोकामना केन्द्र है ये सभी का मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं ।प्रदेश के साथ-साथ अन्य प्रदेशों से भी श्रद्धालु यहां आते हैं परंतु उन्हें ठहरने की यहां कोई व्यवस्था नहीं है।पंचायत में कोई ऐसा मद नहीं है जिससे यहां का छोटी-बड़ी आवश्यकताओं को भी पूरा किया जा सके। इन्होंने बताया कि सबसे बड़ी समस्या है यहां शासकीय भूमि का न होना। सभी का निजी भूमि है और अपना निजी भूमि में कोई निर्माण एवं विकास कार्य होना होने नहीं देता इन कारणों से भी यहां विकास न होने का कारण है, परंतु शासन को चाहिए निजी जमीनों का अधिग्रहण कर भूमि स्वामियों को उचित मुआवजा देकर यहां का सर्वांगीण विकास करें ।इसी प्रकार की राय यहां के दुकानदार गिरवर नारायण ,उमेश्वर राजवाड़े ,शंकर सिंह चेरवा भी रखते हैं। इन लोगों ने कहा कि जिस तरह से अन्य धार्मिक स्थलों का विकास हो रहा है यहां का भी होना चाहिए। यहां विकास होगा, व्यवसाय बढ़ेगी, व्यवसाय बढ़ेगी ,लोगों को रोजगार मिलेगा ।इन लोगों ने जिला पुलिस अधीक्षक से प्रत्येक दिन पर्याप्त पुलिस बल तैनात करने की मांग की ताकि यहां शरारती तत्वों का जमावड़ा न लग सके।

Ashish Sinha

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