
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव: 11 जिलों में नए अध्यक्ष नियुक्त
छत्तीसगढ़ कांग्रेस में बड़ा संगठनात्मक बदलाव: 11 जिलों में नए अध्यक्ष नियुक्त
नई नियुक्तियों से प्रदेश कांग्रेस को मिलेगी मजबूती या बढ़ेगा असंतोष?
रायपुर, 22 मार्च 2025: छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी (CPCC) में संगठनात्मक बदलाव करते हुए पार्टी नेतृत्व ने 11 जिला और शहर कांग्रेस कमेटियों के नए अध्यक्षों की नियुक्ति की घोषणा की है। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे द्वारा अनुमोदित इन नियुक्तियों को पार्टी महासचिव के.सी. वेणुगोपाल ने प्रेस विज्ञप्ति जारी कर सार्वजनिक किया। इस बदलाव को आगामी चुनावों की रणनीति और पार्टी संगठन को मजबूत करने की कवायद के रूप में देखा जा रहा है।
इन नियुक्तियों में कुछ नए चेहरे सामने आए हैं, तो कुछ अनुभवी नेताओं को भी जिम्मेदारी दी गई है। इस कदम को कांग्रेस की अंदरूनी राजनीति, गुटबाजी और आगामी विधानसभा व स्थानीय चुनावों की दृष्टि से महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
कौन बने नए जिला/शहर अध्यक्ष?
पार्टी ने जिन 11 जिलों में अध्यक्ष बदले हैं, उनकी सूची इस प्रकार है:
1. बालोद – चंद्रेश हिरवानी
2. दुर्ग (ग्रामीण) – राकेश ठाकुर
3. नारायणपुर – बिसेल नाग
4. कोंडागांव – बुधराम नेताम
5. कोरबा (शहर) – नाथूलाल यादव
6. कोरबा (ग्रामीण) – मनोज चौहान
7. बलौदा बाजार – सुमित्रा घृतलहरे
8. सरायपाली-बिलाईगढ़ – ताराचंद देवांगन
9. सरगुजा – बालकृष्ण पाठक
10. बलरामपुर – कृष्ण प्रताप सिंह
11. बेमेतरा – आशीष छाबड़ा
राजनीतिक समीकरण और रणनीतिक बदलाव
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस पिछले कुछ वर्षों में विभिन्न चुनौतियों से जूझ रही है। भूपेश बघेल सरकार के कार्यकाल के बाद पार्टी के सामने नेतृत्व, संगठन और चुनावी तैयारियों को लेकर कई सवाल खड़े हुए हैं। इन नियुक्तियों के जरिए कांग्रेस ने अपने संगठन में नई ऊर्जा भरने का प्रयास किया है।
जातिगत और क्षेत्रीय संतुलन पर नजर
छत्तीसगढ़ में जातिगत समीकरण चुनावी राजनीति में अहम भूमिका निभाते हैं। कांग्रेस ने इस बदलाव में सामाजिक और क्षेत्रीय संतुलन बनाए रखने की कोशिश की है:
अनुसूचित जनजाति (ST) प्रभाव वाले जिले: नारायणपुर, कोंडागांव, सरगुजा और बलरामपुर में आदिवासी नेताओं को तरजीह दी गई है। इससे कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को मजबूत करना चाहती है।
ओबीसी और सामान्य वर्ग के नेताओं को भी प्रतिनिधित्व: बलौदा बाजार, सरायपाली-बिलाईगढ़ और बेमेतरा में ओबीसी वर्ग से जुड़े नेताओं को जिम्मेदारी दी गई है।
महिला नेतृत्व को भी मिली जगह: बलौदा बाजार में सुमित्रा घृतलहरे को अध्यक्ष बनाकर कांग्रेस ने महिला नेतृत्व को आगे बढ़ाने का संकेत दिया है।
आगामी चुनावों पर प्रभाव
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस को लोकसभा चुनाव 2024 में करारी हार का सामना करना पड़ा था। इस हार के बाद संगठन को मजबूत करने के लिए यह बदलाव किया गया है। आने वाले विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनावों में इन नए अध्यक्षों की भूमिका अहम होगी।
स्थानीय चुनावों में प्रदर्शन सुधारने की चुनौती
नए अध्यक्षों की नियुक्ति से कांग्रेस को स्थानीय स्तर पर मजबूती मिलने की उम्मीद है, लेकिन चुनौती भी कम नहीं है। इन नेताओं को संगठन को नए सिरे से खड़ा करना होगा और विपक्षी दलों, खासकर भाजपा से मुकाबला करना होगा।
क्या कांग्रेस में असंतोष बढ़ेगा?
संगठन में बदलाव अक्सर आंतरिक असंतोष को जन्म देते हैं। जिन नेताओं को अध्यक्ष पद से हटाया गया है, वे नाराज हो सकते हैं। यदि पार्टी इन नेताओं को किसी अन्य जिम्मेदारी में नहीं समायोजित करती है, तो इसका असर आगामी चुनावों पर पड़ सकता है।
कांग्रेस के भीतर गुटबाजी पहले से ही एक बड़ी समस्या रही है। भूपेश बघेल और टीएस सिंहदेव के खेमों के बीच की खींचतान किसी से छिपी नहीं है। ऐसे में नए अध्यक्षों की नियुक्ति को लेकर दोनों गुटों की प्रतिक्रिया पर भी नजर रहेगी।
भाजपा की प्रतिक्रिया और कांग्रेस के लिए चुनौती
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने कांग्रेस के इस कदम को “राजनीतिक अस्तित्व बचाने की कोशिश” बताया है। भाजपा का कहना है कि कांग्रेस की अंदरूनी गुटबाजी और कमजोर नेतृत्व के कारण ये बदलाव ज्यादा प्रभावी नहीं होंगे।
कांग्रेस के लिए असली चुनौती इन नए अध्यक्षों के जरिए जमीनी स्तर पर पार्टी को मजबूत करना है। यदि ये नेता कार्यकर्ताओं को जोड़ने और जनता तक पार्टी की नीतियों को पहुंचाने में सफल होते हैं, तो इसका सकारात्मक असर आगामी चुनावों में दिख सकता है।
छत्तीसगढ़ प्रदेश कांग्रेस कमेटी में 11 जिलों के अध्यक्षों की नियुक्ति को पार्टी के संगठनात्मक ढांचे को मजबूत करने की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है। कांग्रेस ने जातिगत, क्षेत्रीय और युवा नेतृत्व को तरजीह देकर संतुलन बनाने की कोशिश की है। हालांकि, इन नियुक्तियों से पार्टी को कितना फायदा होगा, यह इन नए नेताओं की कार्यशैली और संगठन क्षमता पर निर्भर करेगा।
आने वाले महीनों में कांग्रेस की रणनीति और इन नए अध्यक्षों का प्रदर्शन यह तय करेगा कि पार्टी राज्य में अपनी पकड़ मजबूत कर पाती है या नहीं।