
हाईकोर्ट ने बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की, “बहुसंख्यक आबादी हो जाएगी अल्पसंख्यक।”
हाईकोर्ट ने बढ़ते धर्मांतरण पर चिंता व्यक्त की, “बहुसंख्यक आबादी हो जाएगी अल्पसंख्यक।”
नई दिल्ली:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने धर्मांतरण के बढ़ते मामलों पर चिंता व्यक्त की है और कहा है कि इन मामलों पर रोक लगानी चाहिए। यदि ऐसा नहीं हुआ तो बहुसंख्यक आबादी एक दिन अल्पसंख्यक हो जाएगी। हाई कोर्ट ने भी कहा कि धर्मांतरण के लिए होने वाले कार्यक्रमों पर तुरंत रोक लगा दी जानी चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एससी/एसटी और अन्य आर्थिक रूप से कमजोर लोग उत्तर प्रदेश में ईसाई धर्म में धर्मांतरित हो रहे हैं। कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 25 किसी को लालच देकर धर्म बदलने की इजाजत नहीं देता, लेकिन स्वेच्छा से धर्म चुनने की आजादी देता है। अपने धर्म का प्रचार करना मतलब है किसी दूसरे धर्म का व्यक्ति अपने धर्म में बदल जाए।
हमीरपुर के मौदहा निवासी आरोपी कैलाश की 2021 की जमानत याचिका खारिज करते हुए अधिनियम ने यह टिप्पणी की। याची पर अपने गांव के एक व्यक्ति का इलाज करने के लिए धर्मांतरण करने की कोशिश का आरोप लगाया गया है, जिसको लेकर हमीरपुर के मौदहा थाने में धर्मांतरण सहित अन्य धाराओं में मुकदमा दर्ज है। कोर्ट ने मामले को गंभीर मानते हुए याची की जमानत को खारिज कर दिया और कहा कि धर्म का प्रचार गलत नहीं है, लेकिन किसी को धर्मांतरित करना विधि विरुद्ध है। याची पर गांव के अन्य गरीब लोगों का भी ईसाई धर्म अपनाने का आरोप लगाया गया है।
शिकायतकर्ता की प्रतिक्रिया क्या थी?
एफआईआर में शिकायतकर्ता रामकली प्रजापति ने बताया कि उसके भाई रामफल को कैलाश के घर से दिल्ली में एक सामाजिक कार्यक्रम में भाग लेने के लिए ले गया था। गांव के अन्य लोगों को भी इस समारोह में ले जाया गया था। बाद में सभी को लालच देकर ईसाई धर्म में बदल दिया गया। रामकली ने कहा कि उनका भाई मानसिक रूप से बीमार था। इस मामले में आवेदक की गिरफ्तारी के बाद, कैलाश के अधिवक्ता ने कहा कि आवेदक ने शिकायतकर्ता के भाई को नहीं बदल दिया था। पादरी सोनू, जो कार्यक्रम का आयोजक था, सभी का धर्म परिवर्तन कराया। उसे जमानत पर रिहा कर दिया गया है।
राज्य सरकार ने इस मामले में क्या कदम उठाया?
राज्य सरकार के अतिरिक्त महाधिवक्ता ने कहा कि ऐसी सभाओं का आयोजन लोगों को ईसाई बना रहा है। कैलाश गांव से लोगों को ले जाकर उन्हें ईसाई धर्म में बदलने में शामिल रहा है। इसके बदले उसे काफी धन दिया गया था। कोर्ट ने कहा कि देशवासियों को धर्मांतरण करने वाली सभाओं पर तत्काल रोक लगा दी जाए। अनुच्छेद 25 धर्मांतरण की अनुमति नहीं देता है।
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात का बयान हाई कोर्ट के बयान पर
ऑल इंडिया मुस्लिम जमात के राष्टीय अध्यक्ष मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के धर्मांतरण के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अगर धर्मांतरण जारी रहा तो बहुसंख्यक आबादी कहीं अल्पसंख्यक नहीं हो जाएगी, तो ऐसा किसी क्षेत्र में हो सकता है। मैं इनकार नहीं कर रहा हूँ, लेकिन उत्तर प्रदेश में मुसलमानों या ईसाईयों द्वारा धर्मांतरण कराने का कोई प्रयास नहीं हो रहा है और ना ही अल्पसंख्यकों की कोई संस्था है जो लोगों को धर्मांतरण करने के लिए प्रलोभन देती है।
मौलाना शाहबुद्दीन बरेलवी ने कहा कि उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण का कानून पहले से ही बना हुआ है, जिसमें सख्त धाराएं हैं। यह कानून उत्तर प्रदेश में धर्मांतरण करने वालों को जेल में डाल देगा। मौलाना ने कहा कि संविधान ने स्वंय स्वइच्छा के साथ धर्म परिवर्तन की इजाजत दी है, मगर धर्म परिवर्तन कराने के लिए डराना या धमकाना या लालच देना संविधान के विरोध होगा, और इस्लाम भी इसी बात की शिक्षा देता है।