
(दोहे)
नारी है नारायणी !
नारी है नारायणी, नारी-षक्ति अपार।
नारी का वंदन करे, यह सारा संसार।।
महिलाओं को हम सभी, दिल से करें प्रणाम।
जनती हैं जो जगत् में, राम कृष्ण बलराम।।
किन महिलाओं का करूं, बोलो आज बखान।
नर से भी ज़्यादा यहां, नारी का अवदान।।
नारी के साफल्य पर, है हम सबको गर्व।
आभारी है देष ये, यह समाज भी सर्व।।
मां भगिनी बेटी बहू, पत्नी-जैसे रूप।
नारी की हर रूप में, होती छटा अनूप।।
षिक्षित हों सब नारियां, हो उनका उत्थान।
लोग सभी उनका करें, अंदर से सम्मान।।
नर-नारी में भेद क्या, दोनों एक समान।
दोनों ही भगवान् की, हैं प्यारी संतान।।
बनें स्वावलम्बी यहां, सभी औरतें आज।
सपने उनके पूर्ण हों, बन जाएं सब काज।।
महिलाओं पर हो रहा, अनुदिन अत्याचार।
सब उनकी रक्षा करें, यही आज दरकार।।
वनिताओं की शक्ति से, सबल हुआ है देष।
सुख-वैभव से भर गया, मिटे अनगिनत क्लेष।।
मुकुन्दलाल साहू
अस्तबल कालोनी,
खरसिया रोड, अम्बिकापुर,
जिला – सरगुजा (छ.ग.)
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