छत्तीसगढ़राज्यसरगुजा

सरगुजा राजपरिवार द्वारा दशहरा पर 24 अक्टूबर को सायं 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुला रहेगा पैलेस

सरगुजा राजपरिवार द्वारा दशहरा पर 24 अक्टूबर को सायं 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक खुला रहेगा पैलेस

प्रत्येक वर्ष की तरह इस वर्ष भी आमजनों के लिये दशहरा पर पैलेस को खोला जायेगा। राजपरिवार के मुखिया टीएस सिंहदेव सहित परिवार के लोग आमजनों से मुलाकात करेंगे। इस दौरान रघुनाथ पैलेस सायं 4 बजे से रात्रि 8 बजे तक आमजनों के लिये खुला रखा जायेगा।

सरगुजा राजपरिवार द्वारा प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्रि के अवसर पर दशमी तिथि को होने वाले फाटक, अश्व, गज, शस्त्र, नगाड़ा, नवग्रह, ध्वज, निशान सहित अन्य पूजा परम्परानुसार राजपरिवार के मुखिया प्रदेश के उपपमुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव सहित उनके उत्तराधिकारी आदित्येश्वर शरण सिंह देव ने सम्पन्न की। पूर्वजों से चली आ रही परम्परा का राजपरिवार ने निर्वहन किया। दशहरा का पर्व राज रियासत के प्रति एक मान्यता का प्रतिक है, जिसमें दशहरा के दिन आकर राजपरिवार से जुड़े लोग एवं आमजन राजा के प्रति अपना विश्वास प्रकट करते हैं एवं नज़राना पेश करते हैं। यह परम्परा सदियों से चलती आ रही है जो कि प्रत्येक वर्ष शारदीय नवरात्रि के अवसर पर सम्पन्न होती है। दशहरा के पर्व पर अब भी लोग हजारों की संख्या में सरगुजा पैलेस पहुंचते हैं और सरगुजा राजपरिवार के मुखिया टीएस सिंहदेव, उनके छोटे भाई राजा अरूणेश्वर शरण सिंह देव एवं उत्तराधिकारी आदित्येश्वर शरण सिंहदेव से मुलाकात करते हैं।

23 अक्टूबर को दशमी तिथि लगते ही परंपरानुसार सरगुजा पैलेस में शस्त्र पूजा सम्पन हुई। शस्त्र पूजन उपरांत मिडिया से बात करते हुए उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव ने कहा कि आज हम समाज में धर्मों के के बीच लड़ाई एवं आपसी मनमुटाव की बात देखते हैं, किन्तु मुझे अपने परिवार पर गर्व होता है कि हमारे पूर्वजों ने अपने पूजन पद्वतियों एवं परम्पराओं में हरवर्ग को स्थान दिया है। अनुसूचित जाति एवं जनजातियों से लेकर विभिन्न धर्मों के प्रतिकों की पूजा इस दौरान दो दिनों में पूजा होती है। उपमुख्यमंत्री सिंहदेव ने कहा कि शादीय नवरात्रि की शुरूआत से ही पूजा प्रारंभ हो जाती है। साथ ही परिवार में अष्टमी एवं नवमी के संधि पर होने वाले विशेष संधि पूजा का हमारे यहां विशेष महत्व है। परंपरा है कि जब संधि पूजा कर महाराजा-राजा पैलेस लौटते हैं तो सर्वप्रथम क्षेत्र के आदिवासी वर्ग से जुड़े लोग जिन्हें हम अपना रक्षक मानते हैं वे जब सिंह दरवाजा अर्थात् फाटक पूजा करते हैं और फाटक खोल कर अंदर प्रवेश हेतु आमंत्रित करते हैं, तभी पैलेस में प्रवेश मिलता है, इसके पहले नौबत खाना की पूजा होती है। वहीं दशहरा पर क्षेत्र की रक्षा एवं सुरक्षा के लिये हाथी एवं घोड़ा अर्थात् अश्व व गज की पूजा राजा के सेना एवं शक्ति के प्रतिक के रूप में की जाती है, शस्त्र पूजा उपरांत नगाड़ा पूजा एवं निशान पूजा सहित अन्य परंपरानुसार पूजा सम्पन्न की जाती है। इसके पश्चात सदियों से चली आ रही परम्परानुसार राजा कचहरी में बैठ कर आमजनों से मुलाकात करते हैं। जिसमें लोग आकर राजपरिवार के प्रति अपना विश्वास प्रकट करते हैं। परिवार की इस परम्परा का हम लोग निर्वहन कर रहे हैं। पूजा के दौरान उत्राधिकारी आदित्येश्वर शरण सिंह देव भी आसन में साथ बैठ कर पूजा सम्पन्न किया। साथ शस्त्र पूजा के दौरान उप मुख्यमंत्री टीएस सिंहदेव के छोटे भाई अरूणेश्वर शरण सिंह देव, बहन मंजूश्री आनंद, सोमेन्द्र प्रताप सिंह, शशिभाल सिंह, भूवन भास्कर सिंह, बालकृष्ण पाठक, राजपुरोहित द्विपेश पांडेय सहित काफी संख्या में राजपरिवार से जुड़े लोग एवं आमजन उपस्थित रहे।

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Ashish Sinha

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