
प्रधानमंत्री भारत सरकार को मदारी आर्ट्स के आनंद कुमार गुप्त ने गुमनाम हो रहे एवं हासिये पर जा चुके लोक कलाकारों (कला जत्था, नुक्कड़ नाटक, जातरा, तमाशा, नौटंकी, कठपुतली नृत्य, बुट्टा, बीहू, विदेशिया, धमाल, रऊत, छाली, लाहो, सुग्गी, कुरावार कली, छाऊ, कुमी, भोरिया, जवारा, सरहुल, लावा एवं अन्य) को केन्द्र/राज्य सरकार की योजनाओं का प्रचार कार्य के द्वारा रोजगार प्रदान करने के संबंध में ज्ञापन सौंपा गया…
ब्यूरो चीफ/सरगुजा// मदारी आर्ट्स के आनंद कुमार गुप्त ने अपने ज्ञापन में कहा है कि कलाकारों के द्वारा गीत-संगीत, नाटक एवं अन्य माध्यमों से जनता से सीधे संवाद कर किसी भी विषय पर जन-चेतना का कार्य करना सार्थक ठोस एवं सस्ता है, जबकि सेटेलाईट होर्डिंग्स, पोस्टर के माध्यम महंगे हैं और जनता से कोसों दूर है, जबकि आज कोविड-19 सहित बहुत सारे विषयों पर जागरूकता की व्यापक आवश्यकता है। देश के 700 से अधिक जिलों में लगभग 1 लाख से ज्यादा ऐसे कलाकारों के समूह से करोड़ों कलाकार जुड़कर जनसेवा का कार्य करते हैं, लेकिन महामारी के इस दौर में सभी बेरोजगार हो गये हैं। सरकार के द्वारा भी ध्यान नहीं दिया जा रहा है। एक आकड़ें के अनुसार केन्द्र सरकार प्रतिदिन अपने कार्यों के प्रचार में करोड़ों रूपये तथा वर्ष में अरबों रूपये हाईटैक माध्यम से खर्च करती है, उदाहरण के तौर पर छत्तीसगढ़ जैसे छोटे प्रदेश की सरकार लगभग 38 लाख रूपये प्रतिदिन एवं देश के बड़े राज्यों का बजट इससे कई गुना ज्यादा होता है। आपको यह जानकर आश्चर्य होगा कि अकेले मदारी आर्ट्स के कलाकार पिछले 25 वर्षों में 100 से ज्यादा विषयों पर 1 हजार से ज्यादा कलाकारों के सहयोग से लगभग 22 हजार नुक्कड़ नाटक का प्रदर्शन कर देश के करोड़ों लोगों को अपना संदेश दे चुके हैं, लेकिन आज ये कलाकार गुमनाम है। आगे उन्होंने कहा कि देश के सभी राज्यों के लोक कलाकारों को शासन से जोड़कर उनके माध्यम से योजनाओं का प्रचार-प्रसार कराकर रोजगार देने से इससे हमारी कला संस्कृति भी जीवित रहेगी और लाखों लोगों का घरबार परिवार चलेगा।