
पूरा देश एक निश्चित लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है, यही विकसित भारत का लक्ष्य है: पीएम
संतों ने हमारे समाज में बहुत बड़ा योगदान दिया है, जब पूरा समाज और देश किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए एक साथ आता है, तो वह उद्देश्य अवश्य पूरा होता है: पीएम
स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान जो तड़प और चेतना थी, उसे विकसित भारत के लिए 140 करोड़ देशवासियों में हर पल होना चाहिए: पीएम
विकसित भारत बनने की पहली शर्त है वोकल फॉर लोकल बनकर आत्मनिर्भर बनना: पीएम
भारत के युवाओं की क्षमता से पूरी दुनिया आकर्षित है, ये हुनरमंद युवा न केवल देश बल्कि दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार होंगे: पीएम
कोई भी देश अपनी विरासत पर गर्व करके और उसे सहेजकर ही आगे बढ़ सकता है, हमारा मंत्र है विकास के साथ-साथ विरासत भी: पीएम
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आज गुजरात के वडताल में श्री स्वामीनारायण मंदिर के 200वें वर्षगांठ समारोह में भाग लिया। वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि श्री स्वामीनारायण की कृपा से ही 200वीं वर्षगांठ समारोह आयोजित किया जा रहा है। दुनिया भर से आए सभी शिष्यों का स्वागत करते हुए मोदी ने कहा कि स्वामीनारायण मंदिर की परंपरा में सेवा सर्वोपरि है और आज शिष्य सेवा में लीन थे। प्रधानमंत्री ने कहा कि हाल ही में मीडिया में समारोह को देखकर उन्हें खुशी हुई।
मोदी ने कहा कि वडताल धाम में 200वें वर्ष का समारोह महज इतिहास नहीं है। उन्होंने कहा कि यह उनके समेत कई अनुयायियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण घटना है, जो वडताल धाम में गहरी आस्था के साथ पले-बढ़े हैं। उन्होंने कहा कि यह अवसर भारतीय संस्कृति के शाश्वत प्रवाह का प्रमाण है। मोदी ने इस बात पर जोर दिया कि श्री स्वामीनारायण द्वारा वडताल धाम की स्थापना के 200 वर्ष बाद भी आध्यात्मिक चेतना जीवित है और स्वामीनारायण की शिक्षाओं और ऊर्जा को आज भी अनुभव किया जा सकता है। मोदी ने मंदिर के 200वें वर्ष के समारोह पर सभी संतों और अनुयायियों को हार्दिक शुभकामनाएं दीं। प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त की कि भारत सरकार ने स्मारक का दो सौ रुपये (200) का चांदी का सिक्का और एक डाक टिकट जारी किया है। उन्होंने कहा कि ये प्रतीक आने वाली पीढ़ियों के मन में इस महान अवसर की यादों को जीवित रखेंगे।
प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि स्वामीनारायण से जुड़ा हर व्यक्ति इस परंपरा के साथ अपने मजबूत व्यक्तिगत, आध्यात्मिक और सामाजिक संबंधों से अवगत है। उन्होंने कहा कि उन्होंने अतीत में भी संतों की दिव्य संगति का आनंद लिया और आज भी राष्ट्र के विकास के लिए सार्थक चिंतन का अवसर प्राप्त किया। प्रधानमंत्री ने कहा कि वे अन्य व्यस्तताओं के कारण व्यक्तिगत रूप से इस कार्यक्रम में शामिल नहीं हो सके, लेकिन मानसिक रूप से वे वडताल धाम में मौजूद थे।
मोदी ने कहा कि भारत में संत परंपरा की बहुत बड़ी विशेषता रही है और कोई भी संत या महात्मा हमेशा मुश्किल समय में ही अवतरित होता है। उन्होंने कहा कि भगवान स्वामीनारायण भी ऐसे समय में अवतरित हुए थे, जब सैकड़ों वर्षों की गुलामी के बाद देश कमजोर हो गया था और खुद पर से विश्वास उठ गया था। श्री मोदी ने कहा कि भगवान स्वामीनारायण और उस काल के सभी संतों ने न केवल नई आध्यात्मिक ऊर्जा दी, बल्कि हमारे स्वाभिमान को भी जगाया और हमारी पहचान को पुनर्जीवित किया। उन्होंने इस दिशा में शिक्षा पत्री और वचनामृत के योगदान पर जोर दिया और कहा कि हम सभी का कर्तव्य है कि उनकी शिक्षाओं को आत्मसात करें और उन्हें आगे बढ़ाएं। मोदी ने कहा कि उन्हें खुशी है कि वड़ताल धाम मानवता की सेवा और नए युग के निर्माण में बहुत बड़ा योगदान देकर एक महान प्रेरणा बन गया है। उन्होंने कहा कि इसी वड़ताल धाम ने वंचित समाज से सगराम जी जैसे महान शिष्य दिए हैं। मोदी ने रेखांकित किया कि आज वड़ताल धाम द्वारा दूर-दराज के आदिवासी इलाकों में कई बच्चों को भोजन, आश्रय, शिक्षा के साथ-साथ सेवाएं और परियोजनाएं दी जा रही हैं। उन्होंने कहा कि आदिवासी क्षेत्रों में महिला शिक्षा जैसे महत्वपूर्ण अभियान चलाए जा रहे हैं। श्री मोदी ने गरीबों की सेवा, नई पीढ़ी का निर्माण, आधुनिकता और आध्यात्मिकता के संयोजन से भारतीय संस्कृति को संरक्षित करने जैसे वड़ताल धाम की अन्य सेवाओं पर प्रकाश डाला। श्री मोदी ने वड़ताल धाम के संतों और भक्तों की सराहना की कि उन्होंने उन्हें कभी निराश नहीं किया और बेहतर भविष्य के लिए स्वच्छता से लेकर पर्यावरण तक के अभियान चलाए। उन्होंने कहा कि उन्होंने इसे अपनी जिम्मेदारी के रूप में स्वीकार किया है और पूरे दिल और आत्मा से इसे पूरा करने में लगे हुए हैं। मोदी ने यह भी कहा कि स्वामीनारायण परंपरा के अनुयायियों ने एक पेड़ माँ के नाम अभियान के तहत एक लाख से अधिक पेड़ लगाए हैं।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हर व्यक्ति के जीवन में एक उद्देश्य होता है जो उसके जीवन को भी निर्धारित करता है। उन्होंने कहा कि यह उद्देश्य हमारे मन, कर्म और शब्दों को प्रभावित करता है और जब कोई व्यक्ति जीवन का उद्देश्य पा लेता है, तो पूरा जीवन बदल जाता है। उन्होंने कहा कि संतों और ऋषियों ने हर युग में लोगों को उनके जीवन के उद्देश्य के बारे में जागरूक किया है। मोदी ने हमारे समाज में संतों और ऋषियों के महान योगदान पर प्रकाश डाला और कहा कि जब पूरा समाज और देश किसी उद्देश्य को पूरा करने के लिए एकजुट होता है, तो वह निश्चित रूप से पूरा होता है। उन्होंने कहा कि इसके कई उदाहरण हैं। प्रधानमंत्री ने रेखांकित किया कि धार्मिक संस्थानों ने आज युवाओं को एक बड़ा उद्देश्य दिया है और पूरा देश विकसित भारत के एक निर्धारित लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। श्री मोदी ने वडताल के साधु-संतों और पूरे स्वामीनारायण परिवार से विकसित भारत के इस पवित्र उद्देश्य को जन-जन तक ले जाने का आग्रह किया। स्वतंत्रता आंदोलन का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि आजादी की चाह, आजादी की चिंगारी एक सदी तक समाज के अलग-अलग कोने में देशवासियों को प्रेरित करती रही और एक भी दिन या एक भी पल ऐसा नहीं बीता जब लोगों ने आजादी के अपने इरादे, अपने सपने, अपने संकल्प छोड़े हों। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता आंदोलन में जो चाह थी, वही चाह विकसित भारत के लिए 140 करोड़ देशवासियों को हर पल चाहिए। उन्होंने सभी संतों और शिष्यों से आग्रह किया कि वे लोगों को प्रेरित करें कि आने वाले 25 वर्षों तक विकसित भारत के लक्ष्य को जीएं और हर पल उससे जुड़े रहें। प्रधानमंत्री ने इस बात पर भी जोर दिया कि सभी को विकसित भारत में अपना योगदान देना चाहिए, चाहे वे किसी भी स्थान पर हों। उन्होंने कहा कि विकसित भारत के लिए पहली शर्त यह है कि इसे आत्मनिर्भर भारत बनाया जाए और इसके लिए किसी बाहरी व्यक्ति की नहीं, बल्कि भारत के 140 करोड़ नागरिकों की जरूरत है। श्री मोदी ने कार्यक्रम में मौजूद शिष्यों से वोकल फॉर लोकल को बढ़ावा देकर अपना योगदान देने का आग्रह किया। विकसित भारत के लिए देश की एकता और अखंडता के महत्व पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने कहा कि निहित स्वार्थी तत्व समाज को नष्ट करने की साजिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रयास की गंभीरता को समझना और एकजुट होकर ऐसे प्रयासों को विफल करना जरूरी है।
मोदी ने भगवान श्री स्वामीनारायण की शिक्षाओं पर जोर देते हुए कहा कि कठिन तपस्या से कैसे बड़े लक्ष्य प्राप्त किए जा सकते हैं, कैसे एक युवा मन में राष्ट्र निर्माण के लिए निर्णायक दिशा लेने की क्षमता होती है और कैसे युवा राष्ट्र का निर्माण कर सकते हैं और करेंगे। उन्होंने कहा कि इसके लिए सक्षम, योग्य और शिक्षित युवाओं का निर्माण करना आवश्यक है। मोदी ने रेखांकित किया कि सशक्त और कुशल युवा एक विकसित भारत की सबसे बड़ी ताकत हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारत के युवाओं की वैश्विक मांग में और वृद्धि होगी। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि दुनिया में भारत की कुशल जनशक्ति की मांग बहुत अधिक है और पूरी दुनिया भारत की मजबूत युवा शक्ति से आकर्षित है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि ये युवा न केवल देश की बल्कि दुनिया की जरूरतों को पूरा करने के लिए तैयार होंगे। नशा मुक्ति पर स्वामीनारायण संप्रदाय के प्रयासों पर प्रकाश डालते हुए मोदी ने संतों और शिष्यों से युवाओं को नशे से दूर रखने और उन्हें नशा मुक्त बनाने में योगदान देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि युवाओं को नशे की लत से बचाने के लिए अभियान और प्रयास न केवल भारत में बल्कि दुनिया भर में हमेशा आवश्यक हैं और इन्हें निरंतर किया जाना चाहिए।
किसी भी देश की प्रगति तभी संभव है जब उसे अपनी विरासत पर गर्व हो और वह उसे सहेज कर रखे। श्री मोदी ने कहा कि भारत का मंत्र विकास के साथ-साथ विरासत भी है। श्री मोदी ने अयोध्या का उदाहरण देते हुए प्रसन्नता व्यक्त की कि हजारों वर्ष पुरानी भारत की विरासत के गौरव को पुनः विकसित किया जा रहा है, जिसे कभी नष्ट हुआ माना जाता था। उन्होंने काशी, केदारनाथ, पावगढ़, मोढेरा के सूर्य मंदिर, सोमनाथ के परिवर्तन का भी उदाहरण दिया। उन्होंने कहा कि चारों ओर एक नई चेतना और एक नई क्रांति दिखाई दे रही है। श्री मोदी ने यह भी कहा कि देवी-देवताओं की सैकड़ों वर्ष पुरानी चोरी की गई मूर्तियां भारत को वापस की जा रही हैं। लोथल के पुनर्विकास परियोजना का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सांस्कृतिक चेतना का अभियान केवल सरकार की जिम्मेदारी नहीं है, बल्कि उन सभी नागरिकों की जिम्मेदारी है जो इस भूमि, इस देश से प्यार करते हैं, जो इसकी परंपराओं से प्यार करते हैं, जो इसकी संस्कृति पर गर्व करते हैं, जो हमारी विरासत की प्रशंसा करते हैं। श्री मोदी ने प्रसन्नता व्यक्त की कि वडताल धाम में भगवान स्वामीनारायण की कलाकृतियों का संग्रहालय अक्षर भुवन भी इस अभियान का हिस्सा था। उपस्थित जनसमूह को बधाई देते हुए श्री मोदी ने विश्वास व्यक्त किया कि अक्षर भुवन भारत की अमर आध्यात्मिक विरासत का एक भव्य मंदिर बनेगा।
श्री मोदी ने कहा कि विकसित भारत का लक्ष्य तभी आसानी से प्राप्त किया जा सकता है, जब 140 करोड़ भारतीय एक साथ मिलकर एक साझा लक्ष्य को पूरा करेंगे। उन्होंने कहा कि इस यात्रा को पूरा करने में हमारे संतों का मार्गदर्शन बहुत महत्वपूर्ण है। प्रधानमंत्री ने दुनिया भर से आए सभी संतों से आग्रह किया कि वे हर 12 साल में आयोजित होने वाले पूर्ण कुंभ के बारे में दुनिया भर में प्रचार करें, जो भारत की विरासत का प्रतीक है। उन्होंने संतों से अनुरोध किया कि वे दुनिया भर के लोगों को शिक्षित करें और गैर-भारतीय मूल के विदेशियों को प्रयागराज में आयोजित होने वाले पूर्ण कुंभ के बारे में समझाएं। उन्होंने संतों से आग्रह किया कि वे अपनी विदेश स्थित प्रत्येक शाखा से कम से कम 100 विदेशियों को आगामी कुंभ मेले में बड़ी श्रद्धा के साथ लाने का प्रयास करें। उन्होंने कहा कि यह पूरी दुनिया में जागरूकता फैलाने का कार्य होगा, जिसे संत आसानी से कर सकते हैं।
भाषण का समापन करते हुए श्री मोदी ने व्यक्तिगत रूप से उपस्थित न हो पाने के लिए क्षमा मांगी तथा स्वामीनारायण मंदिर के सभी संतों और शिष्यों को द्वि-शताब्दी समारोह की शुभकामनाएं दीं।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 11 नवंबर 2024 को गुजरात के वडताल में श्री स्वामीनारायण मंदिर की 200वीं वर्षगांठ समारोह में वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से भाग लिया। वडताल में श्री स्वामीनारायण मंदिर कई दशकों से लोगों के सामाजिक और आध्यात्मिक जीवन को प्रभावित कर रहा है।