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चारागाहों में लहलहा रहा मवेशियों का प्रिय आहार नेपियर

जिले के 253 चारागाहों के 544 एकड़ में लगाया गया नेपियर घास

चारागाहों में लहलहा रहा मवेशियों का प्रिय आहार नेपियर

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ब्यूरो चीफ/ सरगुजा//  पौष्टिकता से भरपूर मवेशियों का प्रिय आहार हरा-चारा नेपियर घास जिले के गोठान में विकसित की गई चारागाहों में लहलहा रहे हैं। जिले में बारिश और धूप भी अच्छी हो रही है जिसके परिणामस्वरूप चारागाहों में लगाये गए नेपियर घास शीघ्र जड़ पकड़ कर तेजी से विकसित हो रहे है जिससे चारागाह में हरियाली छाई है।

कलेक्टर संजीव कुमार झा ने सभी 262 पूर्ण गोठान के चारागाहों में अनिवार्य रूप से नेपियर घास लगाने के निर्देश पशु चिकित्सा विभाग और जनपद पंचायत के अधिकारियां को दिये हैं। अब तक 253 गोठानो के चारागाह में 544 एकड़ क्षेत्र में नेपियर घास लगाया गया है शेष में भी शीघ्र लगा दिया जाएगा। गोठानो में पशुओं को हरा चारा हमेशा उपलब्ध रहे इसके लिए कलेक्टर ने सबसे पहले चारागाहों को नेपियर घास के लिए आत्मनिर्भर बनाने सभी गोठानो मे नेपियर स्लिप्स लगाने के निर्देश दिए है। आगामी वर्षों में अन्य जिलों को नेपियर गांठ बेचकर गोठान समितियां आमदनी प्राप्त कर सकेंगे।

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नेपियर घास बहुत तेजी से बढ़ती है और इसकी हाईट इंसानों से काफी ज्यादा होती है, इसलिए इसे हाथी घास भी कहा जाता है। पशुओं के लिए यह पौष्टिक चारा है। इस घास को साल भर में 6 से 8 बार कटाई की जा सकती है और हरा-चारा प्राप्त किया जा सकता है। उत्पादन कम हो तो इसे फिर से खोद कर लगा दिया जाता है। पशु चारा के रूप में यह काफी तेजी से अपनाया जा रहा है।हाइब्रिड नेपियर घास को गर्म मौसम की फसल कहा जाता है। इसके तेजी से विकास के लिए उपयुक्त तापमान 31 डिग्री माना जाता है जबकि 15 डिग्री से कम तापमान होने पर इसकी पैदावार कम हो जाती है। गर्मियों के मौसम में धूप और फिर हल्की बारिश इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है। नेपियर घास की उपज सभी तरह की मिट्टियो में हो सकती है। हालांकि दोमट मिट्टी इसके लिए उपयुक्त मानी जाती है। इसे तने की कटिंग और जड़ों द्वारा भी लगाया जा सकता है। अभी जो समय है यानी बारिश के समय इसे लगाना आसान होता है।

पोषक तत्वों से भरपूर- पशुओं के चारे के लिए नेपियर घास बहुत ही उपयुक्त माना जाता है। संकर नेपियर घास में क्रूड प्रोटीन 8-10 फीसदी, क्रूड रेशा 30 फीसदी और कैल्सियम 0.5 फीसदी होता है। इसके अलावा 16-20 फीसदी शुष्क पदार्थ, 60 फीसदी पाचन क्षमता और 3 फीसदी औक्सालेट वाला यह चारा है। इस चारे को दलहनी चारे के साथ मिला कर पशुओ को खिला सकते हैं।

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