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ब्रज में इस बार कैसे मनाई जाएगी होली?

ब्रज में इस बार कैसे मनाई जाएगी होली?

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ब्रज की होली विश्वभर में प्रसिद्ध है। इस बार 2025 में ब्रज की होली को और भी भव्य बनाने की तैयारियां शुरू हो चुकी हैं। मथुरा, वृंदावन, बरसाना और नंदगांव की गलियों में एक बार फिर रंगों की बौछार होगी और श्रद्धालु श्रीकृष्ण की लीला का आनंद लेंगे। स्थानीय प्रशासन और मंदिर प्रबंधन ने इस वर्ष की होली को विशेष बनाने के लिए कई नई योजनाएँ बनाई हैं। आइए जानते हैं कि इस बार ब्रज में होली का पर्व कैसे मनाया जाएगा।

होली उत्सव की प्रमुख तिथियाँ

ब्रज में होली एक दिन का नहीं, बल्कि लगभग एक महीने तक चलने वाला उत्सव है। इस वर्ष होली का उत्सव निम्नलिखित कार्यक्रम के अनुसार होगा:

लड्डू होली (मठुरा- वृंदावन) – 14 मार्च

बरसाना की लट्ठमार होली – 15 मार्च

नंदगांव की लट्ठमार होली – 16 मार्च

फूलों की होली (बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन) – 17 मार्च

रंगभरनी एकादशी (बांके बिहारी मंदिर) – 20 मार्च

गुलाल होली (द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा) – 22 मार्च

होली दहन – 24 मार्च

धुलेंडी (रंगों की होली) – 25 मार्च

होली की तैयारियाँ

1. सुरक्षा व्यवस्था होगी चाक-चौबंद

हर वर्ष ब्रज में लाखों श्रद्धालु होली खेलने आते हैं, जिससे प्रशासन के लिए सुरक्षा एक बड़ी चुनौती बन जाती है। इस बार विशेष रूप से:

5000 से अधिक पुलिसकर्मियों की तैनाती की जाएगी।

महिला सुरक्षा के लिए अलग से पुलिस दल रहेगा।

CCTV कैमरों और ड्रोन से निगरानी रखी जाएगी।

2. पर्यटकों के लिए विशेष सुविधा

इस बार प्रशासन ने विदेशी पर्यटकों के लिए विशेष सुविधाएँ देने की योजना बनाई है:

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मथुरा और वृंदावन में हेल्प डेस्क बनाई जाएगी।

होली के दौरान परिवहन सुविधाओं को सुगम बनाया जाएगा।

होटल और धर्मशालाओं की व्यवस्था को बेहतर किया जाएगा।

ब्रज की अनूठी होली उत्सव परंपराएँ

1. बरसाना की लट्ठमार होली

बरसाना में महिलाओं द्वारा पुरुषों को लाठियों से मारने की अनूठी परंपरा निभाई जाती है। यह परंपरा राधा-कृष्ण की प्रेमलीला को दर्शाती है। इस वर्ष इसे और आकर्षक बनाने के लिए विशेष मंच तैयार किए जा रहे हैं।

2. नंदगांव की होली

बरसाना के बाद नंदगांव में होली का आयोजन किया जाता है, जहाँ पुरुष महिलाओं को रंग लगाते हैं और महिलाएँ उन्हें परंपरागत तरीके से चिढ़ाती हैं।

3. फूलों की होली

बांके बिहारी मंदिर में रंगों की बजाय फूलों से होली खेली जाती है। इस बार इस आयोजन में अतिरिक्त 500 किलो फूलों का उपयोग किया जाएगा।

4. रंगभरनी एकादशी

बांके बिहारी मंदिर में इस दिन ठाकुरजी पर विशेष रूप से गुलाल चढ़ाया जाता है और भक्तगण झूमकर होली खेलते हैं।

होली खेलने के लिए नियम और निर्देश

केवल प्राकृतिक रंगों और गुलाल का प्रयोग करें।

महिलाओं के सम्मान का विशेष ध्यान रखा जाए।

नशे में धुत होकर हुड़दंग करने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

ब्रज की होली केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि भगवान श्रीकृष्ण की लीलाओं का जीवंत अनुभव है। इस बार की होली को यादगार बनाने के लिए स्थानीय प्रशासन और मंदिरों की ओर से विशेष तैयारियाँ की गई हैं। भक्तों को इस पावन अवसर पर प्रेम और उल्लास के साथ होली का आनंद उठाना चाहिए।

Ashish Sinha

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