
शंखनाद महासत्संग: आध्यात्मिकता, सेवा और समरसता का दिव्य संगम
शंखनाद महासत्संग: आध्यात्मिकता, सेवा और समरसता का दिव्य संगम
नक्सल प्रभावित युवाओं के लिए विकास की नई राह
रायपुर, 12 मार्च 2025: राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में आज एक अभूतपूर्व आध्यात्मिक महासत्संग का आयोजन हुआ, जिसमें हजारों श्रद्धालुओं ने भाग लिया। इस भव्य आयोजन में मुख्यमंत्री विष्णु देव साय भी उपस्थित रहे और प्रदेश की सुख, समृद्धि एवं खुशहाली के लिए आशीर्वाद प्राप्त किया। ओंकार ध्वनि के सामूहिक उच्चारण से पूरा वातावरण आध्यात्मिक ऊर्जा से गुंजायमान हो उठा।
परोपकार और मानवता की सेवा का अनुपम उदाहरण
मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर गुरु के सेवा कार्यों की भूरि-भूरि प्रशंसा की और कहा कि उनका संस्थान परोपकार और मानव कल्याण के क्षेत्र में जो योगदान दे रहा है, वह अद्वितीय है। उन्होंने ध्यान और योग की पुनःस्थापना में इस संस्थान की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया, जिससे करोड़ों लोगों का जीवन सकारात्मक रूप से परिवर्तित हुआ है।
उन्होंने घोषणा की कि सरकार और इस संस्थान के बीच एक ऐतिहासिक समझौता (एमओयू) हुआ है, जिसके अंतर्गत जल संरक्षण, कृषि संवर्धन, शिक्षा, आजीविका, महिला सशक्तिकरण और नशा मुक्ति जैसे क्षेत्रों में बड़े पैमाने पर कार्य किए जाएंगे।
इस अवसर पर नया रायपुर में ‘आर्ट ऑफ लिविंग सेंटर ऑफ एक्सीलेंस’ की आधारशिला भी रखी गई, जो योग, ध्यान, कौशल विकास और सामुदायिक उत्थान के लिए समर्पित रहेगा। यह केंद्र प्रदेशवासियों को आत्मविकास के असीमित अवसर प्रदान करेगा।
ओंकार ध्वनि से गुंजायमान हुआ साइंस कॉलेज मैदान
कार्यक्रम के दौरान आध्यात्मिक गुरु ने ध्यान की शक्ति को सरल शब्दों में समझाया और श्रद्धालुओं को गहन ध्यान की अनुभूति करवाई। जैसे ही हजारों श्रद्धालुओं ने ‘ॐ’ ध्वनि का उच्चारण किया, पूरा साइंस कॉलेज मैदान आध्यात्मिक स्पंदन से भर उठा। इस दिव्य वातावरण ने सभी को गहन शांति और आंतरिक आनंद का अनुभव कराया।
नक्सल प्रभावित युवाओं को आत्मसात करने का संदेश
गुरु ने अपने ओजस्वी संबोधन में नक्सल प्रभावित युवाओं से अपील की कि वे हिंसा का मार्ग छोड़कर विकास की मुख्यधारा में शामिल हों। उन्होंने कहा, “बंदूक से कोई समाधान नहीं निकलता। समता, समृद्धि और न्याय के लिए प्रेम और सेवा आवश्यक हैं। हम आपके साथ खड़े हैं, मिलकर छत्तीसगढ़ को उत्तम और भारत को श्रेष्ठ बनाएंगे।”
उन्होंने इस बात पर विशेष जोर दिया कि छत्तीसगढ़ अपार प्राकृतिक संसाधनों और सांस्कृतिक धरोहर से परिपूर्ण है। यदि इसे उचित दिशा में विकसित किया जाए, तो यह विश्वभर में अपनी अलग पहचान बना सकता है। उन्होंने युवाओं से आग्रह किया कि वे राज्य के निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाएं और इसे नई ऊंचाइयों तक ले जाएं।
जीवन में शक्ति, भक्ति, युक्ति और मुक्ति का महत्व
गुरु ने अपने प्रेरणादायक प्रवचन में जीवन के चार स्तंभों—शक्ति, भक्ति, युक्ति और मुक्ति—पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि प्रतिकूल परिस्थितियों में भी मन की स्थिरता बनाए रखना आवश्यक है। व्यक्ति को दूसरों से प्रेरणा लेनी चाहिए, लेकिन स्वयं की मौलिकता को बनाए रखना भी महत्वपूर्ण है।
उन्होंने प्रेम की सच्ची परिभाषा बताते हुए कहा कि प्रेम का वास्तविक अर्थ यह है कि कोई भी व्यक्ति पराया नहीं होता। सच्चे प्रेम में परस्पर समर्पण और सेवा का भाव निहित होता है।
गुरु ने उपस्थित श्रद्धालुओं से एक अनोखी ‘गुरु दक्षिणा’ मांगी—उन्होंने कहा कि सभी लोग अपनी समस्याएं, दुख और कष्ट यहीं छोड़कर जाएं और नवजीवन की ओर अग्रसर हों। उन्होंने ईश्वर पर विश्वास रखने और जीवन को सकारात्मक दृष्टिकोण से जीने का संदेश दिया।
भजन संध्या में भावविभोर हुए श्रद्धालु
कार्यक्रम के अंतिम चरण में भजन संध्या का आयोजन हुआ, जिसमें संगीतमय भजनों की मधुर धुनों पर पूरा मैदान भक्तिरस में सराबोर हो गया। आध्यात्मिक गुरु जब श्रद्धालुओं के बीच पहुंचे, तो भक्तों की अपार श्रद्धा और उत्साह देखते ही बनता था।
गणमान्य व्यक्तियों की उपस्थिति
इस महासत्संग में सरगुजा विकास प्राधिकरण की उपाध्यक्ष लता उसेंडी, विधायक किरण सिंहदेव, पूर्व मंत्री महेश गागड़ा सहित कई जनप्रतिनिधि और हजारों श्रद्धालु उपस्थित रहे।
इस भव्य आयोजन ने यह संदेश दिया कि आध्यात्मिकता और सेवा से समाज में सकारात्मक परिवर्तन लाया जा सकता है। ऐसे कार्यक्रम न केवल व्यक्तिगत आत्मविकास को प्रेरित करते हैं, बल्कि सामाजिक समरसता को भी सशक्त करते हैं।