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नव निर्वाचित सरपंचों के लिए कार्यशाला आयोजित, पंचायत संचालन और वित्तीय प्रबंधन पर दी गई विस्तृत जानकारी

नव निर्वाचित सरपंचों के लिए कार्यशाला आयोजित, पंचायत संचालन और वित्तीय प्रबंधन पर दी गई विस्तृत जानकारी

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बलरामपुर,20 मार्च 2025 – कलेक्टर राजेन्द्र कटारा के निर्देशानुसार अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कुसमी करूण डहरिया की अध्यक्षता में अनुभाग कुसमी अंतर्गत नव निर्वाचित सरपंचों के लिए एक विशेष कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य सरपंचों को पंचायत राज व्यवस्था, प्रशासनिक कार्यप्रणाली, वित्तीय प्रबंधन और पंचायत संचालन से जुड़ी आवश्यक जानकारियों से अवगत कराना था।

कार्यशाला का उद्देश्य और महत्व
ग्राम पंचायत प्रशासन में सरपंचों की भूमिका अत्यंत महत्वपूर्ण होती है। वे स्थानीय शासन की सबसे महत्वपूर्ण इकाई के प्रमुख होते हैं और ग्रामीण विकास योजनाओं को प्रभावी ढंग से लागू करने में उनकी सक्रिय भागीदारी आवश्यक होती है। इसी उद्देश्य से इस कार्यशाला का आयोजन किया गया, ताकि नव निर्वाचित सरपंचों को पंचायत संचालन, शासन-प्रशासन के नियमों और योजनाओं की बेहतर समझ मिल सके।

कार्यशाला में मुख्य रूप से छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के प्रमुख प्रावधानों पर चर्चा की गई। सरपंचों को इस अधिनियम के तहत उनकी शक्तियों, कर्तव्यों और उत्तरदायित्वों के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। साथ ही, उन्हें यह भी बताया गया कि पंचायत को किस प्रकार कार्य करना चाहिए और वित्तीय आहरण की प्रक्रिया क्या होती है।

पंचायतों के कार्य संचालन पर चर्चा
इस कार्यशाला में पंचायतों के काम-काज और सम्मिलन की प्रक्रिया पर विशेष चर्चा की गई। पंचायत की बैठकें किस प्रकार संचालित की जाएं, प्रस्तावों को किस प्रकार पारित किया जाए, पंचायती विकास योजनाओं को क्रियान्वित करने की प्रक्रिया क्या होनी चाहिए, जैसे विषयों पर विस्तारपूर्वक जानकारी दी गई। इसके अलावा, ग्रामसभा की भूमिका, उसकी नियमित बैठकें और उनमें लिए गए निर्णयों को पंचायत में लागू करने की विधि पर भी प्रकाश डाला गया।

सरपंचों को पंचायत निधि के उपयोग, बजट निर्माण, सरकारी योजनाओं की वित्तीय सहायता, विकास कार्यों के लिए धन आवंटन और उनके सही इस्तेमाल के बारे में बताया गया। वित्तीय अनुशासन बनाए रखने और पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए उन्हें आवश्यक दिशानिर्देश भी दिए गए।

सरपंचों ने साझा किए अपने अनुभव
इस कार्यशाला में भाग लेने वाले कई सरपंचों ने अपने अनुभव साझा किए। उन्होंने बताया कि पंचायत संचालन के दौरान किन-किन चुनौतियों का सामना करना पड़ता है और कैसे वे अपने ग्राम पंचायत क्षेत्र में विकास कार्यों को सुचारू रूप से चला सकते हैं। कुछ सरपंचों ने बताया कि उन्हें अभी भी प्रशासनिक कार्यों की तकनीकी समझ में कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है, जबकि कुछ ने सरकार द्वारा दी जा रही विभिन्न योजनाओं के क्रियान्वयन में आ रही दिक्कतों को उजागर किया।

इसके अलावा, सरपंचों ने अपने-अपने गांवों के विकास हेतु बनाई गई कार्ययोजनाओं के बारे में भी अधिकारियों को बताया। उन्होंने शिक्षा, स्वास्थ्य, स्वच्छता, जल आपूर्ति, सड़क निर्माण और अन्य बुनियादी सुविधाओं की उपलब्धता बढ़ाने के लिए आवश्यक कदमों पर चर्चा की।

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विकासखंड स्तरीय अधिकारी-कर्मचारियों की सहभागिता
कार्यशाला में जनपद पंचायत कुसमी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी अभिषेक पाण्डेय सहित विभिन्न विकासखंड स्तरीय अधिकारी और कर्मचारी भी उपस्थित रहे। इन अधिकारियों ने सरपंचों को ग्रामीण विकास योजनाओं के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए उपयोगी सुझाव दिए।

विभिन्न विभागों के प्रतिनिधियों ने केंद्र और राज्य सरकार द्वारा संचालित योजनाओं जैसे प्रधानमंत्री आवास योजना, महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा), राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, जल जीवन मिशन आदि की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इन योजनाओं का लाभ गांवों में अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचे, इसके लिए सरपंचों की भूमिका अहम होती है।

सरपंचों को मिली महत्वपूर्ण जानकारी
इस कार्यशाला में सरपंचों को पंचायत संचालन से जुड़ी कई अहम जानकारियां दी गईं, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित बिंदु शामिल थे—

छत्तीसगढ़ पंचायत राज अधिनियम 1993 के तहत सरपंचों की जिम्मेदारियां
ग्राम पंचायतों के काम-काज की प्रक्रिया और नियमावली
ग्रामसभा के महत्व और उसकी बैठकें आयोजित करने की प्रक्रिया
वित्तीय प्रबंधन और पारदर्शिता बनाए रखने के तरीके
विकास योजनाओं को लागू करने की रणनीति
सरकारी योजनाओं का लाभ अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाने की तकनीक
सामुदायिक सहभागिता और ग्राम विकास में जनता की भूमिका
कार्यशाला का समापन और आगे की कार्ययोजना
कार्यशाला के अंत में सरपंचों से अपेक्षा की गई कि वे अपने-अपने गांवों में मिली जानकारी का सही उपयोग करें और पंचायतों को अधिक प्रभावी बनाएं। उन्हें पंचायत राज व्यवस्था को मजबूत करने के लिए सक्रियता से कार्य करने के निर्देश दिए गए।

सरपंचों से यह भी आग्रह किया गया कि वे प्रत्येक गांव में ग्रामसभा को और अधिक सक्रिय बनाएं, जिससे ग्रामीण विकास की योजनाओं का प्रभावी कार्यान्वयन हो सके। इसके साथ ही, उन्हें यह भी बताया गया कि वे शासन की योजनाओं का लाभ ग्रामीण जनता तक पहुंचाने में सहयोग करें और जरूरतमंद लोगों को सरकारी योजनाओं से जोड़ने का प्रयास करें।

यह कार्यशाला सरपंचों के लिए अत्यंत उपयोगी सिद्ध हुई, क्योंकि इससे उन्हें पंचायत प्रशासन, वित्तीय नियोजन और सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन की प्रक्रिया को समझने का अवसर मिला। इस प्रकार की कार्यशालाएं समय-समय पर आयोजित की जाती रहेंगी, जिससे सरपंचों को और अधिक जानकारी मिले और वे अपने कार्यक्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन कर सकें।

इस कार्यशाला ने यह स्पष्ट कर दिया कि पंचायत प्रतिनिधियों को उनके अधिकारों और कर्तव्यों के प्रति जागरूक करना अत्यंत आवश्यक है, ताकि वे अपने गांवों के विकास में पूरी निष्ठा के साथ योगदान दे सकें। अधिकारी और कर्मचारी भी इस प्रक्रिया में उनका मार्गदर्शन करने के लिए तत्पर रहेंगे, जिससे पंचायतें अपने उद्देश्यों को सही तरीके से पूरा कर सकें और गांवों का सर्वांगीण विकास हो सके।

Ashish Sinha

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