
राज्य नीति आयोग की दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न: नीति निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन में अधिकारियों को मिला नया दृष्टिकोण
राज्य नीति आयोग की दो दिवसीय कार्यशाला संपन्न: नीति निर्माण, निगरानी और मूल्यांकन में अधिकारियों को मिला नया दृष्टिकोण
रायपुर, 21 मार्च 2025: राज्य नीति आयोग, छत्तीसगढ़ द्वारा नीति आयोग, भारत सरकार के विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (डीएमईओ) के सहयोग से आयोजित दो दिवसीय निगरानी एवं मूल्यांकन कार्यशाला का आज सफल समापन हुआ। अटल नगर, नवा रायपुर स्थित राज्य नीति आयोग के सभाकक्ष में 20 और 21 मार्च को आयोजित इस कार्यशाला का उद्देश्य सरकारी योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली को सुदृढ़ करना, नीति निर्माण को डेटा आधारित बनाना और योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाना था।
कार्यशाला में राज्य शासन के विभिन्न विभागों के अधिकारियों को निगरानी और मूल्यांकन की मूलभूत अवधारणाओं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण और डेटा विश्लेषण के महत्व पर विस्तृत प्रशिक्षण दिया गया। विशेष रूप से, अधिकारियों को यह समझाने पर जोर दिया गया कि किस प्रकार प्रभावी मूल्यांकन से योजनाओं की सफलता और विफलता का विश्लेषण किया जा सकता है और किन सुधारात्मक कदमों की आवश्यकता होती है।
कार्यशाला की प्रमुख विशेषताएँ
डेटा-संचालित नीति निर्माण:
सरकारी योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली को अधिक प्रभावी बनाने के लिए डेटा के उचित उपयोग पर विशेष जोर दिया गया।
नीति निर्माण में डेटा एनालिटिक्स की भूमिका, लॉजिकल फ्रेमवर्क और थ्योरी ऑफ चेंज को लागू करने के तरीकों पर चर्चा हुई।
मूल्यांकन के प्रमुख आयाम:
योजनाओं की प्रभावशीलता मापने के लिए विभिन्न तकनीकों जैसे लॉजिकल फ्रेमवर्क (LF), आउटपुट-आउटकम मॉनिटरिंग फ्रेमवर्क (OOMF) और डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स पर गहन विचार-विमर्श किया गया।
प्रभाव मूल्यांकन, प्रक्रियात्मक मूल्यांकन और परिणाम मूल्यांकन के विभिन्न पहलुओं पर प्रशिक्षण दिया गया।
प्रशिक्षण सत्र और विशेषज्ञों की भागीदारी:
डीएमईओ, नीति आयोग, भारत सरकार के निदेशक अबिनाश दास व उनकी विशेषज्ञ टीम ने कार्यशाला में लॉजिकल फ्रेमवर्क, डेटा गवर्नेंस क्वालिटी इंडेक्स और प्रभावी निगरानी एवं मूल्यांकन प्रणाली पर प्रस्तुतीकरण दिया।
विशेषज्ञों ने बताया कि प्रभावी मूल्यांकन से न केवल योजनाओं की सफलता और विफलता का विश्लेषण किया जा सकता है, बल्कि सुधार के लिए आवश्यक कदम भी उठाए जा सकते हैं।
मूल्यांकन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण और व्यावहारिक प्रशिक्षण
अधिकारियों को सरकारी योजनाओं की निगरानी और मूल्यांकन के वैज्ञानिक दृष्टिकोण के बारे में विस्तार से जानकारी दी गई। कार्यशाला के दौरान निम्नलिखित बिंदुओं पर विशेष ध्यान दिया गया:
मूल्यांकन की प्रक्रिया, उसका महत्व और नीति निर्माण में इसकी भूमिका।
डेटा संग्रह की आधुनिक विधियाँ और उनकी प्रभावशीलता।
मूल्यांकन में आने वाली चुनौतियाँ और उनके समाधान।
डेटा का विश्लेषण कर नीति निर्माण में सुधार के अवसर।
विशेषज्ञों ने बताया कि प्रभावी निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली विकसित करने से सरकारी योजनाओं की पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित होती है। उन्होंने लॉजिकल फ्रेमवर्क और थ्योरी ऑफ चेंज जैसी रणनीतियों के माध्यम से योजनाओं के प्रभाव को मापने की प्रक्रिया को विस्तार से समझाया।
नीति आयोग और राज्य नीति आयोग की भूमिका
राज्य नीति आयोग के सदस्य डॉ. के. सुब्रमण्यम ने कार्यशाला में कहा कि छत्तीसगढ़ में नीति निर्माण को डेटा-संचालित बनाने के लिए संस्थागत क्षमता निर्माण और अंतर-विभागीय समन्वय को मजबूत किया जा रहा है। उन्होंने कहा, “आने वाले समय में नीति निर्माण और योजना क्रियान्वयन को अधिक प्रभावी बनाने में यह कार्यशाला मील का पत्थर साबित होगी।”
राज्य नीति आयोग की सदस्य सचिव डॉ. नीतू गोरडिया ने समापन अवसर पर सभी प्रतिभागियों, प्रशिक्षकों और डीएमईओ टीम को धन्यवाद देते हुए कहा कि भविष्य में भी राज्य नीति आयोग और डीएमईओ इस तरह की और कार्यशालाओं का आयोजन करेंगे, जिससे छत्तीसगढ़ में डेटा-संचालित शासन प्रणाली को और अधिक मजबूत बनाया जा सके। उन्होंने कहा, “नीति निर्माण और योजनाओं की सफलता सुनिश्चित करने के लिए निगरानी और मूल्यांकन एक अनिवार्य प्रक्रिया है, जिसे प्रभावी तरीके से लागू किया जाना चाहिए।”
कार्यशाला में शामिल विभाग और अधिकारी
इस कार्यशाला में विभिन्न विभागों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया, जिनमें प्रमुख रूप से निम्नलिखित विभाग शामिल थे:
सुशासन एवं अभिसरण विभाग
उच्च शिक्षा विभाग
महिला एवं बाल विकास विभाग
पंचायत विभाग
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग
स्कूल शिक्षा विभाग
खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग
नगरीय प्रशासन विभाग
योजना विभाग
राज्य एवं जिला स्तर के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस कार्यशाला में भाग लिया और अपनी योजनाओं में निगरानी व मूल्यांकन को अधिक प्रभावी बनाने के लिए महत्वपूर्ण जानकारियाँ प्राप्त कीं।
अधिकारियों की प्रतिक्रियाएँ
कार्यशाला में भाग लेने वाले अधिकारियों ने इसे बेहद उपयोगी बताया। एक अधिकारी ने कहा, “यह कार्यशाला हमें योजनाओं के मूल्यांकन के वैज्ञानिक तरीके सिखाने में बहुत मददगार रही। अब हम अपनी नीतियों को अधिक प्रभावी ढंग से क्रियान्वित कर सकेंगे।” वहीं, एक अन्य अधिकारी ने कहा, “डेटा-संचालित निगरानी प्रणाली अपनाने से योजनाओं की सफलता दर बढ़ेगी और पारदर्शिता सुनिश्चित होगी।”
राज्य नीति आयोग की इस कार्यशाला का उद्देश्य अधिकारियों को निगरानी और मूल्यांकन प्रणाली से परिचित कराना और सरकारी योजनाओं की प्रभावशीलता बढ़ाने के लिए डेटा-संचालित निर्णय लेने की संस्कृति को बढ़ावा देना था।
आयोग ने यह स्पष्ट किया कि आने वाले समय में इस तरह की कार्यशालाओं की संख्या और बढ़ाई जाएगी, ताकि अधिकाधिक अधिकारियों को इसका लाभ मिल सके। इसके अलावा, राज्य में नीति निर्माण की प्रक्रिया को और पारदर्शी और वैज्ञानिक बनाने के लिए तकनीकी नवाचारों को भी शामिल किया जाएगा।
यह कार्यशाला छत्तीसगढ़ सरकार की पारदर्शिता और प्रभावी प्रशासनिक व्यवस्था की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके माध्यम से नीति निर्माण को अधिक सटीक और परिणामोन्मुखी बनाने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं।