
CBI की छापेमारी: भूपेश बघेल और देवेंद्र यादव के खिलाफ जांच या राजनीतिक प्रतिशोध?
CBI की छापेमारी: भूपेश बघेल और देवेंद्र यादव के खिलाफ जांच या राजनीतिक प्रतिशोध?
छत्तीसगढ़ की राजनीति में एक बार फिर हलचल मच गई है। केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) ने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और कांग्रेस सांसद देवेंद्र यादव के निवास पर छापा मारा है। यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब कांग्रेस अहम AICC बैठक की तैयारियों में जुटी थी। कांग्रेस ने इसे राजनीति से प्रेरित बताया है, जबकि भाजपा इसे भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी कार्रवाई कह रही है।
CBI की टीम सुबह से ही रायपुर और भिलाई स्थित बघेल और यादव के आवास पर जांच कर रही है। सूत्रों के मुताबिक, यह छापेमारी कथित वित्तीय अनियमितताओं और भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की जांच के तहत की जा रही है। हालांकि, अभी तक इस जांच के आधिकारिक कारणों का पूरा खुलासा नहीं किया गया है।
भूपेश बघेल का आज दिल्ली जाने का कार्यक्रम था, जहां उन्हें 8 और 9 अप्रैल को अहमदाबाद (गुजरात) में होने वाली AICC बैठक के लिए गठित “ड्राफ़्टिंग कमेटी” की मीटिंग में शामिल होना था। लेकिन ठीक उसी समय CBI उनके रायपुर और भिलाई स्थित निवास पर पहुंच गई, जिससे इस कार्रवाई के पीछे राजनीतिक मंशा होने की अटकलें तेज हो गई हैं।
कांग्रेस इस कार्रवाई को भाजपा सरकार द्वारा राजनीतिक प्रतिशोध करार दे रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि जब भी कोई बड़ा चुनाव नजदीक आता है, तब विपक्षी नेताओं के खिलाफ CBI, ED और IT जैसी एजेंसियों का उपयोग किया जाता है।
भाजपा की प्रतिक्रिया: “भ्रष्टाचार पर कार्रवाई”
भाजपा ने कांग्रेस के आरोपों को नकारते हुए कहा कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र रूप से काम कर रही हैं और यदि कोई भ्रष्टाचार हुआ है तो उसकी जांच होनी ही चाहिए। भाजपा प्रवक्ता ने बयान दिया:
“अगर कोई दोषी नहीं है, तो उसे डरने की जरूरत नहीं। कांग्रेस को जांच में सहयोग करना चाहिए, न कि इसे राजनीति से जोड़ना चाहिए।”
राजनीतिक प्रभाव और आगे की रणनीति
कांग्रेस इसे भाजपा की ‘तानाशाही’ और लोकतांत्रिक संस्थाओं के दुरुपयोग के रूप में प्रचारित कर सकती है।
पार्टी कार्यकर्ता इस मुद्दे को लेकर विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
यह मामला कांग्रेस के लिए चुनावी मुद्दा बन सकता है।
भाजपा इसे कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में हुए भ्रष्टाचार से जोड़ सकती है।
यह छत्तीसगढ़ में भाजपा के लिए चुनावी फायदा पहुंचाने का जरिया बन सकता है।
यदि CBI को ठोस सबूत मिलते हैं, तो कांग्रेस की छवि को नुकसान हो सकता है।
CBI की यह कार्रवाई छत्तीसगढ़ की राजनीति को नया मोड़ दे सकती है। यदि जांच में कुछ ठोस निकलता है, तो कांग्रेस की स्थिति कमजोर हो सकती है। वहीं, यदि यह केवल एक राजनीतिक दांव-पेच साबित होता है, तो कांग्रेस इसे भाजपा के खिलाफ एक बड़े हथियार के रूप में इस्तेमाल कर सकती है। अब यह देखना महत्वपूर्ण होगा कि जांच में क्या सामने आता है और इसके चुनावी नतीजों पर क्या असर पड़ता है।