
लोकमाता अहिल्यादेवी के जीवन चरित्र को आत्मसात करना होगा: रामदत्त चक्रधर
लोकमाता अहिल्यादेवी के जीवन चरित्र को आत्मसात करना होगा: रामदत्त चक्रधर
रायपुर में अहिल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी जयंती समारोह का समापन
रायपुर: लोकमाता अहिल्यादेवी होल्कर त्रिशताब्दी जयंती समारोह आयोजन समिति, छत्तीसगढ़ प्रांत द्वारा दीनदयाल उपाध्याय ऑडिटोरियम में सोमवार को व्याख्यान आयोजित किया गया। इस अवसर पर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सह सरकार्यवाह रामदत्त चक्रधर ने कहा कि भारत ने समय-समय पर अनेक प्रतिकूलताओं का सामना करते हुए गौरवशाली कीर्तिमान स्थापित किए हैं। यह उपलब्धियां महान विभूतियों, संतों और समाज सुधारकों के कृतित्व का परिणाम हैं। लोकमाता अहिल्यादेवी भी ऐसी ही प्रेरणास्रोत हैं, जिनसे वर्तमान और भावी पीढ़ी को प्रेरणा लेनी चाहिए।
महान नेतृत्व और शासन कुशलता
चक्रधर ने अहिल्यादेवी के जीवन का उल्लेख करते हुए बताया कि वे सामान्य परिवार से थीं, लेकिन उनके तीन गुण उन्हें महान वीरांगना बनाते हैं। पहला गुण उनका ‘अभयम’ अर्थात साहस था। उन्होंने अपने विस्तृत राज्य में विद्रोहों का सामना कर अद्भुत सैन्य क्षमता से उनका समाधान किया और संपूर्ण भारत को एकात्मता के सूत्र में बांधा।
दूसरा गुण उनकी प्रशासनिक दक्षता थी। परिवार में लगातार दुर्घटनाओं के बावजूद उन्होंने शासन संचालन में कोई शिथिलता नहीं आने दी। नासिक में आर्थिक अनियमितता की शिकायत पर उन्होंने तत्काल संबंधित अधिकारी को पदमुक्त कर दिया। पंढ़रपुर में निर्माण कार्य की गुणवत्ता जांचने के लिए हाथियों से परीक्षण करवाया। उनके राज्य में निर्धनों को कोई भी धनवान व्यक्ति प्रताड़ित नहीं कर सकता था। उनका मानना था कि शासन और जनता के बीच मां और संतान का संबंध होना चाहिए।
धार्मिकता और सांस्कृतिक योगदान
तीसरा गुण उनकी आध्यात्मिकता थी। उनके हाथ में शिवलिंग सदैव देखा जाता है। उन्होंने काशी, बद्रीनाथ, केदारनाथ, गया सहित अनेक स्थानों पर मंदिरों का निर्माण एवं जीर्णोद्धार करवाया। पंढ़रपुर यात्रियों के लिए भोजन व्यवस्था सुनिश्चित की। वे न्यायप्रियता और सनातन मूल्यों के पालन के लिए प्रसिद्ध थीं।
भारत के स्वर्णिम कालखंड में प्रेरणा स्रोत
चक्रधर ने कहा कि यह भारत का स्वर्णिम कालखंड है, जिसमें अयोध्या में श्रीराम मंदिर निर्माण और अनुच्छेद 370 की समाप्ति जैसे गौरवशाली क्षण देखने को मिल रहे हैं। यह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का शताब्दी वर्ष भी है। ऐसे समय में हमें लोकमाता अहिल्यादेवी के जीवन से प्रेरणा लेनी चाहिए।
इस अवसर पर संघ के प्रांत संघचालक टोपलाल वर्मा ने बताया कि त्रिशताब्दी वर्ष के तहत छत्तीसगढ़ के 1157 शिक्षण संस्थानों में व्याख्यानमाला, निबंध प्रतियोगिता और रंगोली निर्माण जैसे कार्यक्रम आयोजित किए गए, जिनमें युवाओं और प्रबुद्धजनों की बड़ी भागीदारी रही। समारोह समिति के प्रदेश अध्यक्ष एवं पूर्व कुलपति नरेंद्र प्रसाद दीक्षित ने कार्यक्रम के उद्देश्य पर प्रकाश डाला।
कार्यक्रम में एक आकर्षक नृत्य नाटिका का मंचन हुआ। इस अवसर पर पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के कुलपति सच्चिदानंद शुक्ल, संघ के प्रांत प्रचारक अभयराम, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति गिरीश चंदेल समेत बड़ी संख्या में प्रबुद्धजन उपस्थित रहे।