
राहुल गांधी का बीजेपी पर हमला: “मंदिर में दलितों को नहीं घुसने देते, ये धर्म नहीं – हम मोहब्बत की दुकान खोलेंगे”
राहुल गांधी ने बीजेपी पर जातीय भेदभाव का आरोप लगाते हुए कहा कि दलितों के मंदिर जाने पर मंदिर धुलवाया जाता है। बोले – ये धर्म नहीं, हम मोहब्बत और न्याय का हिंदुस्तान बनाएंगे।
“नफ़रत का बाज़ार नहीं बनने देंगे हिंदुस्तान, मोहब्बत की दुकान खोलेंगे” – राहुल गांधी का बीजेपी पर तीखा हमला
नई दिल्ली।लोकसभा चुनाव 2024 की तैयारियों के बीच कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) पर सीधा हमला बोला है। उन्होंने एक जनसभा को संबोधित करते हुए आरोप लगाया कि बीजेपी दलितों को मंदिरों में प्रवेश नहीं करने देती, और अगर कोई चला जाए, तो मंदिर को “धुलवाया” जाता है। राहुल गांधी ने इसे धर्म के नाम पर भेदभाव और नफरत फैलाने वाली मानसिकता करार दिया।
अपने संबोधन में राहुल गांधी ने कहा,
“बीजेपी दलितों को मंदिर में नहीं जाने देती है, और अगर कोई चला जाए तो वे मंदिर को धुलवाते हैं – ये हमारा धर्म नहीं है।
हमारा धर्म वो है जो सबको इज़्ज़त देता है, हर व्यक्ति का आदर करता है।
कांग्रेस और बीजेपी में यही फर्क है – हमारे दिलों में सबके लिए मोहब्बत और इज़्ज़त है, जबकि उनके दिलों में सिर्फ नफ़रत।
हम इस देश को नफ़रत का बाज़ार नहीं बनने देंगे – मोहब्बत की दुकान खोल कर न्याय का हिंदुस्तान बनाएंगे।”
उनका यह बयान सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है और इसे कांग्रेस के अभियान “न्याय का हिंदुस्तान” और “मोहब्बत की दुकान” से जोड़ा जा रहा है।
सामाजिक समरसता पर ज़ोर
राहुल गांधी के इस बयान का मूल संदेश सामाजिक न्याय, धार्मिक सहिष्णुता और समानता की भावना को बढ़ावा देना है। उन्होंने साफ कहा कि धर्म किसी को छोटा या बड़ा नहीं बनाता, बल्कि सभी को समान इज्जत और अधिकार देता है। उन्होंने दलितों के साथ मंदिरों में होने वाले भेदभाव का मुद्दा उठाकर एक संवेदनशील और जमीनी सच्चाई को राष्ट्रीय मंच पर रखा है।
‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सोच का विस्तार
राहुल गांधी का “मोहब्बत की दुकान” वाला जुमला भारत जोड़ो यात्रा के दौरान प्रसिद्ध हुआ था, जब वे नफरत के खिलाफ प्रेम और एकता की बात कर रहे थे। इस नई टिप्पणी में उन्होंने उसी सोच को आगे बढ़ाते हुए साफ संदेश दिया है कि देश की आत्मा को नफ़रत और विभाजन की राजनीति से नहीं, बल्कि मोहब्बत और इंसाफ से बचाया जा सकता है।
राजनीतिक हमला और स्पष्ट अंतर की बात
कांग्रेस नेता ने अपने बयान में सिर्फ भावनात्मक अपील ही नहीं की, बल्कि बीजेपी और कांग्रेस की नीतियों में मूलभूत अंतर भी सामने रखा। उन्होंने कहा कि:
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बीजेपी नफरत की राजनीति करती है, जबकि कांग्रेस सबके लिए इज्जत और मोहब्बत की बात करती है।
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बीजेपी धर्म को सत्ता का हथियार बनाती है, कांग्रेस धर्म को समानता और करुणा से जोड़ती है।
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कांग्रेस भारत को “न्याय का हिंदुस्तान” बनाना चाहती है, जहां हर वर्ग को सम्मान और अवसर मिले।
बीजेपी की प्रतिक्रिया और संभावित पलटवार
राहुल गांधी के इस बयान पर अब तक बीजेपी की कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आई है, लेकिन राजनीतिक जानकारों का मानना है कि इस बयान के जरिए राहुल गांधी ने दलित और पिछड़े वर्ग के वोटर्स को साधने की कोशिश की है। भाजपा इसे “धर्म पर हमला” या “राजनीतिक स्टंट” कह सकती है।
वहीं, दलित नेताओं और संगठनों की प्रतिक्रियाएं महत्वपूर्ण होंगी, क्योंकि इस मुद्दे से सीधे उनकी सामाजिक गरिमा जुड़ी हुई है।
सांस्कृतिक विमर्श में धर्म की परिभाषा
राहुल गांधी ने “धर्म” की परिभाषा पर भी सवाल उठाया और उसका पुनर्पाठ प्रस्तुत किया। उनका कहना था कि:
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सच्चा धर्म वह है जो सभी को बराबरी का दर्जा देता है।
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धर्म का मतलब डर और भेदभाव नहीं, बल्कि करुणा और न्याय है।
यह बात उन्होंने सामाजिक न्याय के बड़े विमर्श के संदर्भ में कही, जिससे डॉ. अंबेडकर, महात्मा गांधी, और नेहरू जैसे नेताओं की विचारधारा की झलक मिलती है।
कांग्रेस के ‘न्याय पथ’ अभियान से जुड़ाव
राहुल गांधी की यह टिप्पणी कांग्रेस के मौजूदा “न्याय पथ” अभियान से भी जुड़ी हुई है, जिसमें पार्टी सामाजिक, आर्थिक और सांस्कृतिक न्याय की बात कर रही है।
कांग्रेस इस समय संविधान की रक्षा, समान अवसर, और दलित-पिछड़ों की भागीदारी को मुख्य चुनावी मुद्दा बना रही है।